Vikrant Shekhawat : Jul 15, 2024, 02:45 PM
China-Bangladesh Relation: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हाल ही में चीन के दौरे पर गई थीं. उनके दौरे को लेकर कई तरह की चर्चाएं हुईं. कहा जाने लगा था कि चीन बांग्लादेश को लोन दे देगा. वो उसे अपने पाले में कर लेगा और भारत के सामने नई चुनौती खड़ी हो जाएगी, लेकिन ये सभी बातें धरी की धरी रह गईं. हुआ एकदम विपरीत. शेख हसीना का चीन दौरा 4 दिन का था, लेकिन वह 3 दिन में ही देश वापस लौट गईं. कारण ये बताया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब थी. इस वजह से उन्हें अचानक 1 दिन पहले ही लौटना पड़ा. दरअसल, शेख हसीना इस उम्मीद के साथ चीन गई थीं कि शी जिनपिंग उनको बहुत ज्यादा अहमियत देंगे. दरअसल, 2016 में जब जिनपिंग बांग्लादेश गए थे तब उन्होंने कई वादे किए थे.उन्होंने कहा था कि हम आपको लाखों करोड़ों का लोन दे देंगे. हम आपके यहां निवेश करेंगे, लेकिन तब चीन की तूती बोलती थी. 8 साल बाद यानी 2024 में चीन की स्थिति ठीक नहीं है. वह आर्थिक संकट से गुजर रहा है. जिनपिंग के उन्हीं वादों को याद रखते हुए शेख हसीना चीन गई थीं.शेख हसीना ने क्यों ठुकराया चीन का ऑफरशेख हसीना उम्मीद कर रही थीं कि चीन उन्हें 4 लाख करोड़ का लोन तो दे ही देगा. मगर चीन ने जो लोन ऑफर किया उसे जानकर बांग्लादेश हैरान था. चीन उसे 900 करोड़ का लोन ही ऑफर कर रहा था. बांग्लादेश हैरान था कि चीन की कथनी और करनी में इतना फर्क है. कहा जा रहा है कि शेख हसीना इससे नाखुश थीं और इन्हीं वजहों से उन्होंने यात्रा तय समय से पहले ही खत्म कर दी.बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, चीन से मिलने वाले ऑफर से ढाका खुश नहीं था, क्योंकि ढाका ज्यादा की उम्मीद कर रहा था. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को शी के साथ लंबी बातचीत की उम्मीद थी लेकिन केवल संक्षिप्त बातचीत ही हो पाई. इसके अलावा चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने शेख हसीना से मुलाकात तक नहीं की. यही नहीं, चीनी मीडिया ने भी शेख हसीना के दौरे को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया.इस साल दो बार भारत आईं शेख हसीनाचीन के दौरे से पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री भारत आई थीं. वह इस साल दो बार भारत का दौरा कर चुकी हैं.दोनों यात्राएं जून में हुईं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुईं और बाद में द्विपक्षीय राजकीय यात्रा पर दिल्ली आईं . नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी विदेशी नेता की यह पहली यात्रा थी.वहीं, उन्होंने आखिरी बार जुलाई 2019 में चीन का दौरा किया था. चीन और बांग्लादेश के संबंध मधुर रहे हैं. लेकिन भारत और बांग्लादेश की बढ़ती नजदीकियों से चीन को मिर्ची लग जाती है. बांग्लादेश को अपने पाले में करने के लिए ही वो उसे लोन देता है. चीनबांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. हालांकि इससे पहले भारत के साथ ये जुड़ा था.उधर, कोरोना महामारी के बाद बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. शेख हसीना की सरकार उसे पटरी पर लाने का प्रयास कर रही हैं. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री चीन के दौरे पर गई थीं. उन्हें उम्मीद थी कि चीन उसे संकट से निकालने में मदद करेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका.