AajTak : Apr 03, 2020, 12:02 PM
कोरोना वायरस की वजह से हमारी धरती अब स्थिर हो गई है। अब वह उतना नहीं कांपती, जितना लॉकडाउन से पहले कांपती थी। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इस समय जब पूरी दुनिया में लॉकडाउन है। हमारी धरती का कंपन कम हो गया है। यानी पूरी दुनिया में ध्वनि प्रदूषण इतना कम हो गया है कि अब भूकंप विज्ञानी बेहद छोटे स्तर के भूकंपों को भी भांप ले रहे हैं। जबकि, लॉकडाउन से पहले ऐसा करने में मुश्किल आती थी।
हम इंसानों की फितरत है कि जहां रहेंगे वहां शोर मचाएंगे। इतनी ज्यादा आवाजें निकालते हैं कि चारों तरफ शोर हो जाता है। गाड़ियों का, फैक्ट्रियों का, हॉर्न, तोड़फोड़ और निर्माण आदि से निकलने वाली आवाजें धरती के कंपन को बढ़ा देती हैं।ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे ने दुनिया के कुछ देशों के भूगर्भ वैज्ञानिकों के साथ मिलकर यह पता लगाया है। इनकी मानें तो कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से ध्वनि प्रदूषण कम हुआ है। डेली मेल में यह खबर प्रकाशित हुई है।वैज्ञानिकों ने लंदन, पेरिस, लॉस एंजिल्स, बेल्जियम और न्यूजीलैंड में भूकंप सूचक यंत्र के जरिए इस बात का खुलासा किया है कि इस समय यानी लॉकडाउन के दौरान धरती का कंपन कम हो गया है। इन सभी जगहों पर ऐसी ही रीडिंग मिली। जब भी इंसान धरती पर चलते हैं, यातयात जारी रहता है, नावें, जहाज, विमान उड़ते हैं तब ध्वनि की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से पृथ्वी ज्यादा कांपती है। लॉकडाउन के समय पूरी दुनिया में इतनी कम आवाज है कि लोगों को शांति मिल रही है।
हम इंसानों की फितरत है कि जहां रहेंगे वहां शोर मचाएंगे। इतनी ज्यादा आवाजें निकालते हैं कि चारों तरफ शोर हो जाता है। गाड़ियों का, फैक्ट्रियों का, हॉर्न, तोड़फोड़ और निर्माण आदि से निकलने वाली आवाजें धरती के कंपन को बढ़ा देती हैं।ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे ने दुनिया के कुछ देशों के भूगर्भ वैज्ञानिकों के साथ मिलकर यह पता लगाया है। इनकी मानें तो कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से ध्वनि प्रदूषण कम हुआ है। डेली मेल में यह खबर प्रकाशित हुई है।वैज्ञानिकों ने लंदन, पेरिस, लॉस एंजिल्स, बेल्जियम और न्यूजीलैंड में भूकंप सूचक यंत्र के जरिए इस बात का खुलासा किया है कि इस समय यानी लॉकडाउन के दौरान धरती का कंपन कम हो गया है। इन सभी जगहों पर ऐसी ही रीडिंग मिली। जब भी इंसान धरती पर चलते हैं, यातयात जारी रहता है, नावें, जहाज, विमान उड़ते हैं तब ध्वनि की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से पृथ्वी ज्यादा कांपती है। लॉकडाउन के समय पूरी दुनिया में इतनी कम आवाज है कि लोगों को शांति मिल रही है।
बेल्जियम के रॉयल ऑब्जर्वेटरी के भूगर्भ विज्ञानी थॉमस लेकॉक ने एक ऐसा यंत्र विकसित किया है जो धरती की कंपन और आवाजों में हो रहे बदलावों का अध्ययन करता है। साथ ही दोनों के बीच के अंतर को दिखाता है। थॉमस लेकॉक बताते हैं कि आम दिनों में इंसानों द्वारा इतना शोर होता है कि हम धरती के मामूली कंपन को भी नहीं जांच पाते थे। हमारे यंत्रों में हल्का कंपन भी पता नहीं चलता था। लेकिन अब लॉकडाउन के समय हम धरती की हल्की कंपकंपी को भी नोट कर पा रहे हैं। भूगर्भ विज्ञानी स्टीफन हिक्स ने बताया कि आमदिनों में धरती की कंपकंपी दिन में बढ़ जाती थी। रात में कम रहती थी। लेकिन आजकल रात से कम कंपकंपी के आंकड़े दिन में आ रहे हैं। हिक्स ने बताया कि पहले हमें धरती के भूकंप, ध्वनि और कंपकंपी को नापने के लिए इंसानों द्वारा पैदा की जाने वाली आवाजों को हमारे यंत्रों से हटाना पड़ता था। लेकिन इन दिनों हमें ये मेहनत नहीं करनी पड़ रही है। धरती की हल्की आवाजें और कंपकंपी भी रिकॉर्ड हो रही हैं। इस समय पूरी दुनिया में धरती की कंपकंपी नापने के लिए थॉमस लेकॉक की ही तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। ताकि पता किया जा सके कि क्या वाकई में सभी जगह ऐसा ही है। (फोटोः रॉयटर्स)लंदन, पेरिस, लॉस एंजिलिस, बेल्जियम और न्यूजीलैंड में थॉमस लेकॉक के यंत्रों और तकनीक से की गई जांच से पता चला कि लॉकडाउन की वजह से हमारी धरती का कांपना कम हो गया है। ये एक बेहद खुशी की बात है।Coronavirus lockdowns are changing the way the Earth moves https://t.co/2ijifjJYXD
— Daily Mail Online (@MailOnline) April 1, 2020