वाराणसी / काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर को लेकर बड़ा फैसला, कोर्ट ने पुरातात्विक सर्वेक्षण का दिया आदेश

काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी परिसर विवाद (Kashi Vishwanath-Gyanvapi) मामले में बड़ा फैसला आया है। ज्ञानवापी परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण (Archaeological Survey ) के लिए सीनियर डिवीजन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में सर्वे का फैसला सुनाया है। ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सिविल जज, सीनियर डिवीजन, फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी ने सर्वे का फैसला सुनाया है

Vikrant Shekhawat : Apr 08, 2021, 05:29 PM
वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी परिसर विवाद (Kashi Vishwanath-Gyanvapi) मामले में बड़ा फैसला आया है। ज्ञानवापी परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण (Archaeological Survey ) के लिए सीनियर डिवीजन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में सर्वे का फैसला सुनाया है। ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सिविल जज, सीनियर डिवीजन, फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी ने सर्वे का फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले को काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष के लोगों के पक्ष में आया बड़ा फैसला माना जा रहा है। कोर्ट ने 1991 से सर्वेक्षण को लेकर चले आ रहे मामले पर ऑर्डर जारी किया है। कोर्ट ने निर्दश दिया है कि केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाकर पूरे परिसर का अध्ययन किया जाए।

ये है पूरा मामला

इस केस में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामियां मस्जिद दो पक्षकार आमने-सामने हैं। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद सहित विश्वनाथ मंदिर परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से अपील सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर की गई थी। इस बीच मुस्लिम पक्षकारों की ओर से एएसआई और उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर पक्षकार की ओर से की गई सर्वेक्षण की मांग के बाबत आपत्ति भी दर्ज करायी। मालूम हो कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद भी स्थित है, जिसका मुकदमा 1991 से स्थानीय अदालत मे चल रहा है। पिछले 1 साल से सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे हटने के नियम के बाद एक बार फिर से वाराणसी न्यायालय में इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है। हिन्दू पक्ष इस पुरे इलाके को एएसआई से पुरातात्विक सर्वे कराने की मांग कर रहा है।

ये है मांग

मामले में वादी पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि 1991 से दायर मुकदमा में मांग की गई थी कि जिसमे यह मांग की गई थी कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है। जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरमम्त का अधिकार है। कोर्ट से ये मांग प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने दायर किया था। मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा अन्य विपक्षी हैं। मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ। रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है। जिसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। यह देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से है और मंदिर परिसर पर कब्जा करके मुसलमानों ने मस्जिद बना दिया है। 15 अगस्त 1947 में विवादित परिसर का स्वरूप मंदिर का ही था। अब वादी ने कोर्ट से भौतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की।

मुस्लिम पक्ष की ये है दलील

वादी विजय शंकर रस्तोगी बताते है कि मुस्लिम पक्ष की ओर से ये विवाद उठाया गया था कि विवादित स्थल यानि ज्ञानवापी मस्जिद की धार्मिक स्थिति 15 अगस्त 1947 को मस्जिद की थी और चल रहे मुकदमे को इसी आधार पर निरस्त कर दिया जाए। जिसके विरूद्द हिंदू पक्ष की ओर से अपने पक्ष रखते हुए कोर्ट में बताया गया कि पूरा विश्वनाथ मंदिर परिसर का ज्ञानवापी मस्जिद एक विवादित अंश है और धार्मिक स्थिति के निर्धारण के लिए साक्ष्यों के आधार पर होना चाहिए इसलिए पूरे ज्ञानवापी परिसर का साक्ष्य लेने के लिए प्रथम अपर जनपद नयायाधीश द्वारा 1998 में आदेशित किया गया था।

उसके विरूद्ध मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट में रिट याचिका में चली गई थी। इस कारण से इसकी कार्रवाई स्थगित हो गई थी काफी लंबे समय से। अब स्थगत आदेश समाप्त होने के बाद पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक तरीके से साक्ष्य लेने के लिए एएसआई, न्यू दिल्ली और पुरातत्व विभाग यूपी सरकार को रिट जारी कराकर न्यायालय के माध्यम से ये निवेदन किया गया है कि पुरात्तत्व विभाग रडार के जरिये और खुदाई करके स्वंभू विशेश्वर ज्योतिर्लिंग के विवादित स्थल के मध्य के गुंबद के स्थान के नीचे विराजमान हैं, उसको परिलक्षित करावे और पुरे ज्ञानवापी परिसर का साक्ष्य लें। इसी के लिए प्रार्थनापत्र  सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में दाखिल किया गया था।