Hemant Soren News / CM सोरेन को बड़ी राहत, कोर्ट ने कहा- जमानत बरकरार रहेगी, ED की याचिका खारिज

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हेमंत सोरेन की जमानत बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की याचिका खारिज कर दी। ED ने झारखंड हाई कोर्ट के जमानत आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अच्छा फैसला है।

Vikrant Shekhawat : Jul 29, 2024, 02:25 PM
Hemant Soren News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हेमंत सोरेन की जमानत बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की याचिका खारिज कर दी। ED ने झारखंड हाई कोर्ट के जमानत आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अच्छा फैसला है। जज ने तर्कसंगत फैसला सुनाया है। हम आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, हाई कोर्ट की टिप्पणियों का ट्रायल पर कोई असर नहीं होगा। 

31 जनवरी को हुई थी गिरफ्तारी

झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी JMM नेता सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले ही हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सोरेन ने 4 जुलाई को फिर से सीएम पद की शपथ ली। झारखंड हाईकोर्ट ने सोरेन को जमानत देते हुए कहा था कि मामले को देखते हुए याचिकाकर्ता द्वारा समान प्रकृति का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है।

हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती

सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने राज्य की राजधानी में बड़गाम अंचल में 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री के अपने पद का दुरुपयोग किया था। ईडी ने दावा किया था कि जांच के दौरान हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने स्वीकार किया था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें उक्त भूखंड के स्वामित्व में बदलाव करने के लिए आधिकारिक आंकड़ों से छेड़छाड़ करने का निर्देश दिया था। ईडी ने कहा था कि भूखंड पर जब कब्जा किया जा रहा था, तब उसके असली मालिक राजकुमार पाहन ने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन उस पर कभी कार्रवाई नहीं हुई। हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ईडी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।