Haryana New Government / जहां BJP की सरकार वहां बने डिप्टी, हरियाणा में फिर क्यों हुआ बदलाव?

हरियाणा में नायब सैनी की नई कैबिनेट में डिप्टी सीएम का न होना चर्चा का विषय बना हुआ है। अन्य बीजेपी-शासित राज्यों में दो डिप्टी सीएम की नियुक्ति के बावजूद हरियाणा में ऐसा क्यों नहीं हुआ, यह सवाल उठ रहा है। पार्टी ने सभी जातियों को हिस्सेदारी देने का संदेश दिया है।

Vikrant Shekhawat : Oct 19, 2024, 09:15 AM
Haryana New Government: हरियाणा में नए मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में नई कैबिनेट का गठन हो गया है, लेकिन सरकार में उपमुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) का न होना राजनीतिक चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी की अन्य राज्यों में कैबिनेट के गठन के अनुभवों के विपरीत, हरियाणा में डिप्टी सीएम की नियुक्ति न होने के दो प्रमुख कारण हैं, जो इस निर्णय को महत्वपूर्ण बनाते हैं।

अन्य राज्यों में डिप्टी सीएम की नियुक्ति

पिछले एक साल में बीजेपी ने चार राज्यों—राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा—में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई है। इन चारों राज्यों में बीजेपी ने मुख्यमंत्री के साथ दो डिप्टी सीएम की नियुक्ति की है। उदाहरण के लिए:

  • मध्य प्रदेश: यहां मोहन यादव के साथ राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा को डिप्टी सीएम बनाया गया है।
  • राजस्थान: भजनलाल शर्मा के साथ दीया कुमारी और प्रेमचंद्र बैरवा उपमुख्यमंत्री हैं।
  • छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ अरुण साव और विजय शर्मा डिप्टी सीएम बने हैं।
  • ओडिशा: मोहन मांझी के साथ के वर्धन सिंहदेव और पार्वती परिदा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
इस संदर्भ में हरियाणा में डिप्टी सीएम न बनाने के फैसले ने सवाल उठाए हैं।

क्यों नहीं बनाया गया डिप्टी सीएम?

हरियाणा में उपमुख्यमंत्री न बनाने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं:

  1. प्रेशर पॉलिटिक्स से बचना: हरियाणा में चुनाव परिणामों के बाद नायब सैनी, राव इंद्रजीत सिंह और अनिल विज मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे। डिप्टी सीएम के लिए कई नेताओं ने अपने-अपने समुदायों का हवाला दिया। बीजेपी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह दबाव में निर्णय नहीं लेगी और नायब सैनी को स्वतंत्रता दी गई है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सैनी को अपनी टीम के साथ काम करने का अवसर दिया गया है।

  2. सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व: यदि बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम किसी विशेष समुदाय से बनाये होते, तो बाकी जातियों में यह संदेश जाता कि केवल कुछ जातियों को ही प्राथमिकता दी जा रही है। हरियाणा के जाट बनाम गैर-जाट समीकरण को देखते हुए, बीजेपी ने यह निर्णय लिया कि डिप्टी सीएम नहीं बनाना अधिक सुरक्षित होगा।

बीजेपी ने कैबिनेट में जाट, ब्राह्मण, यादव और दलित समुदाय से 2-2 मंत्री बनाए हैं, जबकि पंजाबी, राजपूत, गुर्जर, वैश्य और गंगवा को एक-एक मंत्री पद दिया गया है। इससे सभी जातियों को प्रतिनिधित्व मिलता है।

डिप्टी सीएम का संवैधानिक आधार

भारत के संविधान में उपमुख्यमंत्री का कोई विशेष उल्लेख नहीं है। संविधान में केवल मुख्यमंत्री और कैबिनेट के बारे में बताया गया है। इसके बावजूद, देश के 16 राज्यों में उपमुख्यमंत्री मौजूद हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, नगालैंड, महाराष्ट्र और मेघालय जैसे राज्यों में दो-दो डिप्टी सीएम हैं।

बीजेपी ने कांग्रेस के मुकाबले डिप्टी सीएम बनाने में बढ़त बनाई है। कांग्रेस शासित हिमाचल, तेलंगाना और कर्नाटक में एक-एक उपमुख्यमंत्री हैं, जबकि तमिलनाडु में एमके स्टालिन मुख्यमंत्री हैं और उनके बेटे उदयनीधि स्टालिन उपमुख्यमंत्री हैं।

निष्कर्ष

हरियाणा में नायब सैनी द्वारा बनाई गई नई कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री की अनुपस्थिति ने एक नई चर्चा को जन्म दिया है। बीजेपी की यह रणनीति न केवल राज्य की सियासत को समझने में मदद करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पार्टी सभी समुदायों को समाहित करने का प्रयास कर रही है। हरियाणा के राजनीतिक समीकरण में यह निर्णय किस तरह से प्रभाव डालेगा, यह भविष्य में देखने लायक होगा।