देश / कोरोना की दवा रेमेडिसिवीर की हो रही कालाबाजारी, जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा इंजेक्शन

कोरोना वायरस के इलाज की दवा रेमेडिसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है। चाहे टोसिलिजुमेब हो, चाहे रेमेडिसिवीर इंजेक्शन हो मरीज दवाई के लिए तरस रहे हैं। दवाई नहीं मिलने से लोगों की जान जा रही है, वहीं लोग दूसरी तरफ लोग कालाबाजारी में जुटे हैं। गुजरात के भावनगर में रेमेडिसिवीर की कालाबाजारी ने एक शख्स की जान ले ली।

News18 : Aug 04, 2020, 03:55 PM
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज की दवा रेमेडिसिवीर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) की कालाबाजारी हो रही है। चाहे टोसिलिजुमेब हो, चाहे रेमेडिसिवीर इंजेक्शन हो मरीज दवाई के लिए तरस रहे हैं। दवाई नहीं मिलने से लोगों की जान जा रही है, वहीं लोग दूसरी तरफ लोग कालाबाजारी में जुटे हैं। गुजरात के भावनगर में रेमेडिसिवीर की कालाबाजारी ने एक शख्स की जान ले ली।

चंद्रकांत शाह को भावनगर के कृष्णा अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार ने एडमिशन के वक्त सभी जरूरी दस्तावेज अस्पताल को दिए। शुरू में चंद्रकांत भाई की तबियत स्टेबल थी, फिर अचानक उनकी तबियत बिगड़ी। डॉक्टर्स ने रेमेडिसिवीर इंजेक्शन की जरूरत बताई। इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने सरकार ने इंजेक्शन के सामने जरूरी दस्तावेज सबमिट कराना आवश्यक कर दिया है। चंद्रकांत का बेटा जब रेमेडिसिवीर इंजेक्शन लेने पहुंचा और जरूरी दस्तावेज दिए तो पता चला इन दस्तावेजों पर पहले ही 6 इंजेक्शन जारी हो चुके हैं, अब नहीं मिल सकते। इंजेक्शन के लिए परिवार ने भरपुर कोशिशें की लेकिन नहीं मिला। वहीं समय पर दवाई नहीं पहुचने से चंद्रकांत ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।


चंद्रकांत के दामाद दर्शक शाह ने कहा, ऐसा नहीं बोल रहे कि आपके नाम पर जारी 6 इंजेक्शन मैंने ले लिए हैं और उसे बेच दिया है। ऐसी कोई जानकारी हमें नहीं दी गयी और हम रात को दौड़ते रह गए। आप समझ सकते हैं यह इंजेक्शन क्रिटीकल स्टेज पर दिया जाता है। समय पर मिला होता और उसकी केयर हुई होती तो शायद उन्हें बचाया जा सकता था। हमें उन्हें खोने की नौबत नहीं आती।

दरअसल, आरोप अस्पताल एडमिनिस्ट्रेशन पर लगा है कि उन्होंने मरीज के आधार कार्ड पर पहले ही इंजेक्शन ले लिए गए थे और उठाए किसी और को बेच दिया। पीड़ित परिवार इंजेक्शन के लिए रातभर दौड़ाते रहे। दस्तावेजों में डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन या डिमांड कॉपी भी आवश्यक है। ऐसे में डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन या डिमांड कॉपी किसने लिखी? क्या किसी डॉक्टर के फर्जी दस्तावेज के सहारे डिमांड कॉपी बनी या वाकई में डॉक्टर भी इस रैकेट में शामिल है, यह जांच का विषय है। इस मामले में म्युनिसिपल कमिश्नर ने जांच के आदेश दिए है।

भावनगर नगर निगम कमिश्नर एम ऐ गांधी ने कहा, जरूरी डॉक्टर्स की पैनल बनाई गई है। आने वाले 5 दिनों में यह जांच करेंगे और उसके बाद जो भी सामने आएगा, उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।


अस्पताल के स्टाफ की मिलीभगत साफ तौर पर दिख रही है। ऐसे में अस्पताल के खिलाफ कालाबाजारी और फर्जीवाड़े के तहत कड़ी कारवाही जरूरी है।​