Vikrant Shekhawat : Jul 07, 2022, 06:22 PM
बोरिस जॉनसन ने गुरुवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया। पिछले दिनों एक के बाद एक कई मंत्रियों के इस्तीफा देने के बाद बोरिस जॉनसन काफी दबाव में थे। इस्तीफे के बाद उन्होंने कहा कि नए नेता का चुनाव होने तक वह प्रधानमंत्री के पद पर बने रहेंगे। गृह मंत्री प्रीति पटेल सहित मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री के कई करीबी उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। पार्टी के पूर्व डिप्टी व्हिप क्रिस पिंचर की नियुक्ति और उनपर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों का सही जवाब नहीं देने को लेकर मंगलवार को जॉनसन ने माफी मांगी थी। लेकिन उसके बावजूद उनके 50 से ज्यादा सहयोगी इस्तीफे दे चुके हैं।पिंचर स्कैंडल अकेला नहीं है, इसके अलावा भी कई स्कैंडल हैं जिसके चलते बोरिस जॉनसन की कुर्सी गई है। आइए जानते हैं उन 5 स्कैंडल के बारे में जिनके चलते गई बोरिस जॉनसन की कुर्सी। द पिंचर अफेयरबोरिस जॉनसन की कुर्सी जाने के पीछे 'द पिंचर अफेयर' या पिंचर स्कैंडल सबसे बड़ा कारण है। कहा जा रहा है कि इस सप्ताह सरकार से बड़े पैमाने पर इस्तीफे पिंचर स्कैंडल के चलते हुए हैं। एक वरिष्ठ पूर्व सिविल सेवक ने आरोप लगाया था कि बोरिस जॉनसन के कार्यालय ने सांसद क्रिस्टोफर पिंचर के खिलाफ पिछले यौन उत्पीड़न के आरोपों के बारे में गलत जानकारी दी थी।फरवरी में, जॉनसन ने पिंचर को डिप्टी चीफ व्हिप नियुक्त किया था। लेकिन पिछले हफ्ते, पिंचर को पार्टी से निलंबित कर दिया गया। पिंचर ने यह स्वीकार किया था कि उन्होंने शराब के नशे में दो लोगों को गलत तरीके से छुआ था। बाद में यह सामने आया कि पिंचर पर पहले भी यौन उत्पीड़न के आरोप लग चुके हैं। कहा गया कि बोरिस ने इसकी जानकारी पार्टी को नहीं दी थी। जॉनसन के कार्यालय ने शुरू में कहा था कि प्रधानमंत्री पिंचर के खिलाफ पिछले आरोपों से अनजान थे। हालांकि, सोमवार को वरिष्ठ पूर्व सिविल सेवक साइमन मैकडोनाल्ड ने एक पत्र लिखकर कहा कि उन्होंने 2019 में आरोपों की जांच की थी और शिकायतों को सही पाया था।"पार्टीगेट"जब कोरोना के दौरान सैंकड़ों लोग हर दिन मर रहे थे तब ब्रिटिश पीएम की एक नाइट पार्टी की खूब चर्चा हुई जिसे "पार्टीगेट" भी कहा गया। यह पार्टी कहीं और नहीं बल्कि खुद पीएम के दफ्तर यानी 10 डाउनिंग स्ट्रीट में हुई थी। कहा गया कि पीएम ने पार्टी कर सख्त COVID-19 लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन किया।अपने जन्मदिन की इस पार्टी में शामिल होने पर पुलिस ने जॉनसन पर जुर्माना लगाया गया था। यही नहीं, बोरिस जॉनसन को महारानी एलिजाबेथ से भी माफी मांगनी पड़ी। अप्रैल 2021 में क्वीन के पति प्रिंस फिलिप की मौत हो गई थी। लेकिन उनके अंतिम संस्कार की पूर्व संध्या पर डाउनिंग स्ट्रीट में पार्टी ने खूब सुर्खियां बटोरीं। जब मामला खुला तो बोरिस ने महारानी से माफी मांगी। इसे पार्टीगेट स्कैंडल इसलिए भी कहा गया क्योंकि वो इकलौती पार्टी नहीं थी जो पीएम के ऑफिस में हुई। एक वरिष्ठ सिविल सेवक की रिपोर्ट में पाया गया कि वहां लॉकडाउन के दौरान कई अवैध पार्टियां हुईं। रिपोर्ट में कर्मचारियों के अत्यधिक शराब के सेवन और उल्टी करने के मामले भी बताए गए। संसद अभी भी इस बात की जांच कर रही है कि क्या जॉनसन अवैध पार्टियों से अवगत थे या उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जॉनसन का कहना है कि उस समय उन्हें यकीन था कि पार्टियों ने कानून नहीं तोड़ा, लेकिन अब स्वीकार करते हैं कि उनसे गलती हुई थी।अन्य सेक्स स्कैंडलजॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी के सांसदों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। जिनमें से दो आरोपों के कारण सांसदों ने इस्तीफा भी दे दिया। कंजर्वेटिव सांसद इमरान अहमद खान ने 15 साल के लड़के के यौन शोषण का दोषी पाए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया। एक अन्य कंजर्वेटिव सांसद नील पैरिश ने यह स्वीकार करने के बाद इस्तीफा दे दिया कि उन्होंने हाउस ऑफ कॉमन्स में अपने फोन पर दो बार पोर्न देखी। एक अन्य कंजर्वेटिव सांसद को बलात्कार, यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों के संदेह में गिरफ्तार किया गया। सांसद को मई में जमानत मिल गई थी।ओवेन पैटर्सन अफेयरपिछले साल, संसद की मानक समिति ने कंजर्वेटिव सांसद और पूर्व मंत्री ओवेन पैटर्सन को 30 दिनों के लिए निलंबित करने की सिफारिश की थी। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि उन्होंने उन्हें भुगतान करने वाली कंपनियों की ओर से पैरवी करके लॉबिंग की थी। कंजरवेटिव सांसदों ने शुरू में संसद में पैटर्सन के निलंबन को रोकने और सांसदों की जांच की प्रक्रिया को बदलने के लिए मतदान किया। सुर्खियां बनने की बजाय पैटर्सन ने इस्तीफा दे दिया और सरकार ने प्रस्तावित परिवर्तनों को छोड़ दिया। पैटरसन की सीट भरने के लिए कंजर्वेटिव चुनाव हार गए।रिफर्बिशमेंट पर जांचप्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के डाउनिंग स्ट्रीट स्थित फ्लैट का रिफर्बिशमेंट (नवीनीकरण) कराया गया। इसे एक सेलिब्रिटी डिजाइनर के नेतृत्व में किया गया और उसमें सोने के वॉलपेपर लगाए गए। मामला सामने आने के बाद ब्रिटेन के चुनाव आयोग ने पाया कि बोरिस ने इसके लिए भुगतान किए गए पैसों का सही से ब्यौरा नहीं दिया। सही रिपोर्ट करने में विफल रहने के लिए उन पर 17,800 पाउंड का जुर्माना लगाया।