देश / केंद्र ने कोविड-19 पीड़ितों के मुआवज़े को लेकर गाइडलाइन बनाने के लिए एससी से मांगा और समय

केंद्र सरकार ने कोविड-19 मृतकों के परिवारों को मुआवज़ा देने को लेकर गाइडलाइन्स तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्धारित समय सीमा को 4 हफ्ते बढ़ाने की मांग की है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को 6 सप्ताह के अंदर गाइडलाइन्स तैयार करने का निर्देश दिया था।

Vikrant Shekhawat : Jul 21, 2021, 01:49 PM
नयी दिल्ली: केंद्र ने कोविड-19 से जान गंवाने वालों के परिवारों को अनुग्रह राशि के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के वास्ते राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को शीर्ष न्यायालय (Supreme Court) द्वारा निर्धारित समय सीमा और चार हफ्ते बढ़ाने का अनुरोध उच्चतम न्यायालय से किया है. न्यायालय ने अपने 30 जून के फैसले में महामारी से मरने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को अनुग्रह राशि के तौर पर एनडीएमए को छह हफ्ते के अंदर उपयुक्त दिशानिर्देश की सिफारिश करने का निर्देश दिया था.

केंद्र ने एक अर्जी में कहा कि एनडीएमए के सक्रिय विचारार्थ में यह कवायद अपने अंतिम चरण में है और इसकी कुछ और गहराई से पड़ताल करने की जरूरत है.

सरकार ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि दिशनिर्देश तैयार करने के लिए उसे चार हफ्ते का वक्त और दिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus In India) के कारण मरने वालों के परिवारों को अनुग्रह राशि ( Ex-gratia Compensation) का भुगतान करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करे. जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोर्ट कोई मुआवजा तय नहीं कर सकती. सरकार अपनी नीति के मुताबिक पीड़ित परिवार को राहत देने का निर्णय ले सकती है. कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने संसाधन के हिसाब से मुआवजा या राहत पर नीति तय कर सकती है.

बता दें याचिकाकर्ताओं ने पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की थी. हालांकि कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया है. केंद्र सरकार ने कहा था कि इतना मुआवजा देना संभव नही है. सरकार पर आर्थिक दबाव पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह कोविड संक्रमण के कारण होने वाली मौतों के मामले में डेथ सर्टिफिकेट जारी करने को आसान बनाने के लिए उचित दिशानिर्देश भी जारी करे. पीठ ने केंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया कि आपदा पीड़ितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 में अंग्रेजी के शब्द ‘शैल’ की जगह ‘मे’ पढ़ा जाए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि NDMA अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहा है.