US-China Tariff War / अमेरिका पर चीन ने किया ऐसा प्रहार, अमेरिकी बाजार में मच गया हाहाकार

अमेरिका-चीन के टैरिफ युद्ध से अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। डाव जोंस 3%, नैस्डैक 3.25% और एसएंडपी 500 करीब 3% गिरा। टेस्ला, एनवीडिया, मेटा, एपल, अमेजन समेत कई दिग्गज कंपनियों के शेयर लुढ़के। निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ, जिससे बाजार में घबराहट बढ़ गई।

US-China Tariff War: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, अमेरिका और चीन, एक बार फिर से आमने-सामने हैं। अमेरिका ने पहले चीन पर 34% का टैरिफ लगाया, जिसे चीन ने तुरंत जवाबी कार्रवाई के रूप में अमेरिका पर समान दर से टैरिफ लगाकर पलटवार किया। इस आर्थिक संघर्ष का असर वैश्विक बाजारों पर साफ दिखाई दे रहा है, खासकर अमेरिकी शेयर बाजार में।

अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट

ट्रेड वॉर के प्रभाव से अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। शुरुआती कारोबारी सत्र में:

  • डाव जोंस लगभग 3% गिरकर कारोबार कर रहा था।

  • नैस्डैक कंपोजिट में 3.25% की गिरावट दर्ज की गई।

  • एसएंडपी 500 भी 3% की गिरावट के साथ कारोबार करता नजर आया।

पिछले कारोबारी सत्र में भी अमेरिकी बाजार में गिरावट देखी गई थी, जब निवेशकों ने ट्रंप प्रशासन के टैरिफ फैसलों को लेकर मंदी और महंगाई की आशंका जताई थी। इस गिरावट के कारण एसएंडपी 500 के मार्केट कैप से 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की गिरावट हुई।

प्रमुख इंडेक्स की स्थिति

डाव जोंस
अमेरिकी समयानुसार सुबह 9:55 AM पर:

  • डाव जोंस 1,113.64 अंक (-2.75%) गिरकर 39,432.29 पर कारोबार कर रहा था।

  • कारोबारी सत्र के दौरान 39,287.17 के न्यूनतम स्तर तक पहुंचा।

नैस्डैक कंपोजिट
  • 9:55 AM पर 537.79 अंक (-3.25%) गिरकर 16,012.81 पर पहुंचा।

  • दिन के दौरान यह 15,918.25 के न्यूनतम स्तर तक गया।

एसएंडपी 500
  • 151.61 अंक (-2.81%) गिरकर 5,244.91 पर कारोबार करता दिखा।

  • दिन में यह 5,208.55 तक गिरा।

प्रमुख कंपनियों के शेयरों में गिरावट

  • टेस्ला: 7% तक की गिरावट।

  • एपल: 3% से अधिक की गिरावट।

  • मेटा (फेसबुक की पैरेंट कंपनी): 4% की गिरावट।

  • अमेजन: 2.33% की गिरावट।

  • एनवीडिया: 5% से अधिक की गिरावट।

  • ओरेकल: 5% से अधिक की गिरावट।

  • एडिडास: 4% से अधिक की गिरावट।

  • नाइकी: 3.50% से अधिक की गिरावट।

नतीजे और संभावनाएं

अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर ने वैश्विक बाजारों को अस्थिर कर दिया है। निवेशकों में चिंता बढ़ रही है कि यह टकराव लंबे समय तक जारी रहा तो मंदी की आशंका और बढ़ सकती है। आने वाले दिनों में बाजार की दिशा काफी हद तक दोनों देशों की नीतियों पर निर्भर करेगी।