कराची यूनिवर्सिटी हमला / तीन चीनी महिलाओं की मौत के बाद भड़का चीन, पाकिस्तान को दिखाई आंख

कराची विश्वविद्यालय परिसर में हुए बम धमाके के बाद चीन ने पाकिस्तान को फटकार लगाई है और अपने नागरिकों की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। इस हमले में तीन चीनी महिलाओं समेत चार लोगों की मौत हो गई थी। हमले की निंदा करते हुए चीन ने पूरी जांच और अपराधियों को सजा देने की मांग की है। हमले के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों की खून व्यर्थ में नहीं बहाया जा सकता।

Vikrant Shekhawat : Apr 27, 2022, 03:06 PM
कराची विश्वविद्यालय परिसर में हुए बम धमाके के बाद चीन ने पाकिस्तान को फटकार लगाई है और अपने नागरिकों की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। इस हमले में तीन चीनी महिलाओं समेत चार लोगों की मौत हो गई थी। हमले की निंदा करते हुए चीन ने पूरी जांच और अपराधियों को सजा देने की मांग की है। 

हमले के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों की खून व्यर्थ में नहीं बहाया जा सकता। उन्होंने कहा, घटना में शामिल लोग निश्चित रूप से इसकी कीमत चुकाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय ने हमले में तीन चीनी नागरिकों की मौत के बाद चीन में पाकिस्तानी राजदूत को फोन भी किया। 

बलूच लिबरेशन आर्मी ने ली हमले की जिम्मेदारी

पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी में कराची विश्वविद्यालय परिसर में मंगलवार शाम एक वैन में हुए धमाके में तीन चीनी महिलाओं समेत चार लोगों की मौत हो गई। इस विस्फोट में कई अन्य घायल भी हुए हैं। आशंका है कि हमला चीनी भाषा पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं को निशाना बनाकर किया गया। हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली है।

चीनियों पर नहीं है पहला हमला

पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर यह हमला पहली बार नहीं हुआ है। पिछले साल जुलाई में ही दो चीनी नागरिकों पर नकाबपोश लोगों ने गोलियां चला दी थीं। इसी साल श्रमिकों को ले जा रही एक बस पर हमला किया गया था, जिसमें कई चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। नवंबर 2018 में बलूचों की ओर से चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमला कर दिया गया था। इसमें तीन की मौके पर मौत हो गई थी। 

चीनी निवेश का विरोध कर रही है बीएलए

हाल के दिनों में बलूच लिबरेशन आर्मी एक बड़ा उग्रवादी संगठन बनकर सामने आया है। कई देशों में इसे प्रतिबंधत भी कर दिया गया है। यह संगठन पाकिस्तान में चीनी निवेश का विरोध करता है, इसमें खासकर बलूचिस्तान में किया गया निवेश शामिल है। बलूचिस्तान प्रांत तभी से अस्थिर बना हुआ है जब से चीन ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया है और ग्वादर में बंदरगाह का निर्माण शुरू किया है। बंदरगाह निर्माण की शर्तों के अनुसार चीन को 40 वर्षों के लिए वहां उत्पन्न होने वाले राजस्व का 90 फीसदी हिस्सा प्राप्त होगा।