News18 : Jul 15, 2020, 07:45 AM
ब्रिटेन। कोरोना से लेकर सीमा विवादों में घिरे चीन (China) के खिलाफ इस समय पूरी दुनिया खड़ी हो गई है। इसी कड़ी में मंगलवार को ब्रिटेन ने चाइनीज कंपनी हुवावेई (Huawei) टेक्नोलॉजी पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध के बाद हुवावे अगले सात सालों तक ब्रिटेन में अपना 5जी कारोबार नहीं कर पाएगी। यह प्रतिबंध ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कहने पर लगाया गया है। माना जा रहा है कि ब्रिटेन यह फैसला अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में लिया है। ब्रिटेन सरकार ने घरेलू टेलीकॉम कंपनियों से कहा है कि वे 2027 तक अपने 5जी नेटवर्क से चाइनीज कंपनी हुवावेई के सभी उपकरणों को हटा दें।
प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन की अध्यक्षता में हुई एनसीएससी की बैठक में हुवावेई पर मई में लगाए गए नए अमेरिकी प्रतिबंधों की समीक्षा के बाद यह निर्णय किया गया। इन नए प्रतिबंध से चीनी कंपनी अमेरिकी सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी पर आधारित उत्पादों को प्राप्त नहीं कर सकती है। ब्रिटेन के इस प्रतिबंध के बाद उसके नेटवर्क से हुवावेई का सामान पूरी तरह से हटा दिया जाएगा। वहीं 31 दिसंबर 2020 के बाद किसी भी नए 5जी किट को खरीदने पर पूर्ण पाबंदी रहेगी। ब्रिटेन के डिजिटल, सांस्कृतिक, मीडिया और खेल सचिव ओलिवर डाउडेन ने कहा कि 5जी हमारे देश के लिए बदलने वाली प्रौद्योगिकी होगी। लेकिन यह तभी संभव होगा जब हमें उसके लिए खड़े किए गए बुनियादी ढांचे पर पूरा भरोसा और हम उसकी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हों। उन्होंने कहा कि हुवावेई पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद हमारे साइबर विशेषज्ञों की सलाह पर सरकार ने हुवावेई को हमारे 5जी नेटवर्क के लिए प्रतिबंधित करने का निर्णय किया है। जनवरी 2021 के बाद ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क में कोई भी नयी 5जी किट नहीं जोड़ी जाएगी। वहीं 2027 तक देश का 5जी नेटवर्क हुवावेई से मुक्त होगा।'सरकार इस प्रतिबंध को देगी कानून का रूप'डाउडेन ने कहा कि अगले आम चुनाव (2024) तक सरकार इस प्रतिबंध को कानून का रूप दे देगी ताकि हमारे 5जी नेटवर्क से हुवावेई को पूरी तरह हटाने का रास्ता साफ हो सके। हुवावेई पर ब्रिटेन के इस प्रतिबंध को अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। ब्रिटेन के इस फैसले पर निराशा जताते हुए हुवावेई ने बीजिंग में जारी एक बयान में कहा कि यह ब्रिटेन में मोबाइल फोन रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक बुरी खबर है। यह एक निराशाजनक फैसला है। यह ब्रिटेन को धीमी डिजिटल राह पर धकेलने, डिजिटल डिवाइड को बढ़ाने और महंगे बिलों की तरफ ले जाने वाला फैसला है। बता दें कि इसी साल जनवरी में ब्रिटेन सरकार ने कहा था कि हुवावे को 5जी नेटवर्क के संवेदनशील कोर से बाहर रखा जाएगा और अन्य क्षेत्रों में उसकी भागीदारी महज 35 फीसदी रहेगी, लेकिन अब सरकार ने अपना फैसला बदल दिया है।
प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन की अध्यक्षता में हुई एनसीएससी की बैठक में हुवावेई पर मई में लगाए गए नए अमेरिकी प्रतिबंधों की समीक्षा के बाद यह निर्णय किया गया। इन नए प्रतिबंध से चीनी कंपनी अमेरिकी सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी पर आधारित उत्पादों को प्राप्त नहीं कर सकती है। ब्रिटेन के इस प्रतिबंध के बाद उसके नेटवर्क से हुवावेई का सामान पूरी तरह से हटा दिया जाएगा। वहीं 31 दिसंबर 2020 के बाद किसी भी नए 5जी किट को खरीदने पर पूर्ण पाबंदी रहेगी। ब्रिटेन के डिजिटल, सांस्कृतिक, मीडिया और खेल सचिव ओलिवर डाउडेन ने कहा कि 5जी हमारे देश के लिए बदलने वाली प्रौद्योगिकी होगी। लेकिन यह तभी संभव होगा जब हमें उसके लिए खड़े किए गए बुनियादी ढांचे पर पूरा भरोसा और हम उसकी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हों। उन्होंने कहा कि हुवावेई पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद हमारे साइबर विशेषज्ञों की सलाह पर सरकार ने हुवावेई को हमारे 5जी नेटवर्क के लिए प्रतिबंधित करने का निर्णय किया है। जनवरी 2021 के बाद ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क में कोई भी नयी 5जी किट नहीं जोड़ी जाएगी। वहीं 2027 तक देश का 5जी नेटवर्क हुवावेई से मुक्त होगा।'सरकार इस प्रतिबंध को देगी कानून का रूप'डाउडेन ने कहा कि अगले आम चुनाव (2024) तक सरकार इस प्रतिबंध को कानून का रूप दे देगी ताकि हमारे 5जी नेटवर्क से हुवावेई को पूरी तरह हटाने का रास्ता साफ हो सके। हुवावेई पर ब्रिटेन के इस प्रतिबंध को अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। ब्रिटेन के इस फैसले पर निराशा जताते हुए हुवावेई ने बीजिंग में जारी एक बयान में कहा कि यह ब्रिटेन में मोबाइल फोन रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक बुरी खबर है। यह एक निराशाजनक फैसला है। यह ब्रिटेन को धीमी डिजिटल राह पर धकेलने, डिजिटल डिवाइड को बढ़ाने और महंगे बिलों की तरफ ले जाने वाला फैसला है। बता दें कि इसी साल जनवरी में ब्रिटेन सरकार ने कहा था कि हुवावे को 5जी नेटवर्क के संवेदनशील कोर से बाहर रखा जाएगा और अन्य क्षेत्रों में उसकी भागीदारी महज 35 फीसदी रहेगी, लेकिन अब सरकार ने अपना फैसला बदल दिया है।