Vikrant Shekhawat : Aug 03, 2022, 12:43 PM
China-Taiwan News : चीन ने अमेरिकी सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद विरोध दर्ज कराने के बाद ताइवान की सीमा को घेरना शुरू कर दिया है. चीन ने ताइवान सीमा के पास अपना युद्धाभ्यास शुरू किया और इसके साथ ही ताइवान की सीमा के पास गस्त करते चीनी फाइटर जेट दिखे. ताइवान सीमा के पास चीन ने जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट से गश्त किया. चीन ने 21 लड़ाकू विमानों से ताइवान की घेराबंदी की है.अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) की ताइवान (Taiwan) यात्रा से पहले ही चीन ने अमेरिका (America) से कह दिया था कि वह आग से न खेले. चीन की चेतावनी को नजर अंदाज करते हुए नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गईं. ताइवान को लेकर अमेरिकी रुख से चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है. बुधवार की सुबह चीन में अमेरिकी राजदूत (US Ambassador) को बुलाकर फिर से चेताया गया कि नैंसी पेलोसी आग से खेल रही हैं और अमेरिका को इसका खामियाजा जरूर भुगतना चाहिए.वहीं, पेलोसी के ताइवान में कदम रखते ही चीन द्वीपीय देश के चारों ओर समंदर और आसमान में युद्धाभ्यास (PLA War Drill) के लिए सेना को उतार दिया. कहा जा रहा है कि इस युद्धाभ्यास (Chinese Army War Exercise) की वजह से नैंसी पेलोसी के विमान को दक्षिण कोरिया (South Korea) के लिए उड़ान भरने में दिक्कत आ सकती है. आखिर चीन को नैंसी पेलोसी से इतनी दिक्कत क्यों है, आइये जानते हैं.पेलोसी से पहले करीब 25 वर्षों में किसी भी अमेरिकी राजनयिक ने ताइवान की उच्च स्तरीय यात्रा नहीं की है. नैंसी पेलोसी अमेरिका में एक वरिष्ठ राजनेता हैं और वर्षों से कई मोर्चों पर चीन की आलोचना करती आ रही हैं. अमेरिका ने 1970 से वन चाइना पॉलिसी को मान्यता दे रखी है, जिसके तहत ताइवान चीन का हिस्सा माना जाता है लेकिन पीठ पीछे वह इस द्वीपीय देश के साथ अनौपचारिक संबंध और रणनीति रखता है. चीन को लगता है कि वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक की ताइवान में उपस्थिति अमेरिकी की ओर से द्वीपीय देश की स्वतंत्रता के लिए किसी प्रकार की मदद को इंगित करती है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियांह ने पेलोसी की यात्रा से पहले कहा था कि अगर वह ताइवान जाएंगी तो चीन दृढ़ और कड़े कदम उठाएगा. उन्होंने कहा था, ''नैंसी पेलोसी का ताइवान जाना "चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को गंभीर रूप से कमजोर करेगा, इससे चीन-अमेरिका संबंधों की बुनियाद पर गहरा असर पड़ेगा और ताइवान के स्वतंत्रता बलों को गंभीर रूप से गलत संकेत भेजेगा.''