Vikrant Shekhawat : Jun 16, 2021, 04:06 PM
नई दिल्ली। एलजेपी में मचे घमासान के बीच चिराग पासवान ने बुधवार को दिल्ली में एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया। इस दौरान चिराग पासवान ने कहा कि लड़ाई लंबी होगी। मेरी पार्टी को तोड़ने का प्रयास हमेशा किया गया। चिराग पासवान ने कहा, "कुछ समय से मेरी तबियत ठीक नहीं चल रही थी। जो घटनाचक्र घटा वो मेरे लिये भी कठिन हो रहा था। सबने देखा 8 अक्टूबर को मेरे पिता जी का निधन हुआ। उसके बात तुरंत चुनाव मे उतरने का निर्णय हुआ, मेरे लिये कठिन समय था। वो एक महीना 35 दिन का समय, वैसे सोचने का समय ही नहीं मिल पाया। चुनाव मे एलजीपी को बड़ी जीत मिली। 25 लाख वोट एलजेपी को मिला और जनता का बड़ा समर्थन मिला। हमने सिद्धांतो से समझौता नहीं किया।"
उन्होंने कहा, "मैंने अंत तक प्रयास किया कि पार्टी और परिवार को साथ रह सकूं। मैं परिवार की बातें सार्वजनिक करना पसंद नहीं करता। मुझसे मेरे चाचा कहते तो मैं खुद उन्हें पद दे देता। मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा सिर्फ लड़ाई के। जो कुछ भी हुआ वह कानून सम्मत नहीं है। भविष्य में कानूनी लड़ाई लड़ सकता हूं। मैं अपनी पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों के साथ मजबूती के साथ लड़ाई लड़ूंगा। पापा ने बड़ी मेहनत से पार्टी बनाई थी।"उन्होंने कहा, "कुछ मुद्दों को लेकर हम एनडीए गठबंधन के साथ बिहार मे आगे नहीं बढ़ सके। जब पापा थे तो कुछ लोगों के द्वारा एलजेपी को तोड़ने का प्रयास हुआ। पापा जब अस्पताल में थे, मुझसे कहा और चाचा से कहा कि मीडिया में क्यों खबर आती हैं कि पार्टी टूट रही है। अगर मैं जेडीयू, बीजेपी से मिलकर चुनाव लड़ता तो मुझे सिद्दांतों से समझौता करना पड़ता और नीतीश कुमार के समाने नतमस्तक होना पड़ता। ना मैं झुका और ना समझौता किया।"चिराग ने आगे कहा, "कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने पर तैयार नहीं थे, उसमे मेरे चाचा ने चुनाव-प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई। वीणा जी का बेटा खुद दूसरे पार्टी से चुनाव लड़ रहा था। जब चुनाव समाप्त हुए और मुझे कुछ समय चाहिये था और उसके बाद कोरोना प्रोटोकॉल लगा और फिर मुझे टाइफाइड हो गया जब मैं बीमार था और मेरे पीठ पीछे षडयंत्र रचा गया इसका मुझे दुख है। मैंने चाचा से संपर्क भी करने की कोशिश की। संवादहीनता नहीं होनी चाहिए। फिर होली के दिन मैंने उनको पत्र लिखा। उस पत्र मे यही लिखा कुछ भी है तो बात तो कीजिए आप। मैं चाचा के घर भी गया, वहां भी कोशिश की। मम्मी भी चाचा से संपर्क साधने का 15 दिन से प्रयास कर रही हैं।"
उन्होंने कहा, "मैंने अंत तक प्रयास किया कि पार्टी और परिवार को साथ रह सकूं। मैं परिवार की बातें सार्वजनिक करना पसंद नहीं करता। मुझसे मेरे चाचा कहते तो मैं खुद उन्हें पद दे देता। मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा सिर्फ लड़ाई के। जो कुछ भी हुआ वह कानून सम्मत नहीं है। भविष्य में कानूनी लड़ाई लड़ सकता हूं। मैं अपनी पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों के साथ मजबूती के साथ लड़ाई लड़ूंगा। पापा ने बड़ी मेहनत से पार्टी बनाई थी।"उन्होंने कहा, "कुछ मुद्दों को लेकर हम एनडीए गठबंधन के साथ बिहार मे आगे नहीं बढ़ सके। जब पापा थे तो कुछ लोगों के द्वारा एलजेपी को तोड़ने का प्रयास हुआ। पापा जब अस्पताल में थे, मुझसे कहा और चाचा से कहा कि मीडिया में क्यों खबर आती हैं कि पार्टी टूट रही है। अगर मैं जेडीयू, बीजेपी से मिलकर चुनाव लड़ता तो मुझे सिद्दांतों से समझौता करना पड़ता और नीतीश कुमार के समाने नतमस्तक होना पड़ता। ना मैं झुका और ना समझौता किया।"चिराग ने आगे कहा, "कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने पर तैयार नहीं थे, उसमे मेरे चाचा ने चुनाव-प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई। वीणा जी का बेटा खुद दूसरे पार्टी से चुनाव लड़ रहा था। जब चुनाव समाप्त हुए और मुझे कुछ समय चाहिये था और उसके बाद कोरोना प्रोटोकॉल लगा और फिर मुझे टाइफाइड हो गया जब मैं बीमार था और मेरे पीठ पीछे षडयंत्र रचा गया इसका मुझे दुख है। मैंने चाचा से संपर्क भी करने की कोशिश की। संवादहीनता नहीं होनी चाहिए। फिर होली के दिन मैंने उनको पत्र लिखा। उस पत्र मे यही लिखा कुछ भी है तो बात तो कीजिए आप। मैं चाचा के घर भी गया, वहां भी कोशिश की। मम्मी भी चाचा से संपर्क साधने का 15 दिन से प्रयास कर रही हैं।"