दुनिया / चर्च की गलती की कीमत चुका रहा यह देश, कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बढ़ा

कोरोना महामारी से जंग में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला दक्षिण कोरिया (South Korea) एक चर्च की गलती की सजा भुगत रहा है। राजधानी सियोल स्थित चर्च ने देश को कोरोना की दूसरी लहर के खतरे में धकेल दिया है। पिछले महीने चर्च के सदस्यों ने बड़ी संख्या में विरोध-प्रदर्शन में भाग लिया था, जिसकी वजह से संक्रमण फैलने की रफ्तार अचानक से बढ़ गई और दक्षिण कोरिया को फिर से रेड अलर्ट जारी करना पड़ा।

Zee News : Sep 19, 2020, 01:30 PM
सियोल: कोरोना (CoronaVirus) महामारी से जंग में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला दक्षिण कोरिया (South Korea) एक चर्च की गलती की सजा भुगत रहा है। राजधानी सियोल स्थित चर्च ने देश को कोरोना की दूसरी लहर के खतरे में धकेल दिया है। 

पिछले महीने चर्च के सदस्यों ने बड़ी संख्या में विरोध-प्रदर्शन में भाग लिया था, जिसकी वजह से संक्रमण फैलने की रफ्तार अचानक से बढ़ गई और दक्षिण कोरिया को फिर से रेड अलर्ट जारी करना पड़ा। अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ समय में ही संक्रमितों की संख्या काफी बढ़ गई है। हर रोज दर्ज किये जाने वाले मामले अब तीन अंकों तक पहुंच गए हैं।  

कार्रवाई की तैयारी

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना की दूसरी लहर की आशंका को जन्म देने के लिए चर्च पूरी तरह जिम्मेदार है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सरकार चर्च से ट्रेसिंग और टेस्टिंग के प्रयासों को बाधित करके संक्रमण फैलाने के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में 4 मिलियन डॉलर की मांग करेगी। इसके अलावा, सारंग जील चर्च (Sarang Jeil Church) और उसके लीडर रेव जून क्वांग-हून (Rev। Jun Kwang-hoon) के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया जाएगा।

सरकारी प्रयासों में बना बाधा

सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि देश को फिर से कोरोना के खतरे में धकेलने के लिए चर्च को जिम्मेदार ठहराया गया है। चर्च के सदस्यों ने न केवल संक्रमण रोकने के सरकारी प्रयासों में बाधा उत्पन्न की बल्कि खुद भी बड़े पैमाने पर वायरस के वाहक बने। सरकार की परेशानी यह है कि प्रार्थना के लिए चर्च जाने वाले अधिकांश लोगों का विश्वास है कि कोरोना वायरस को एक साजिश के तहत वहां भेजा गया था ताकि चर्च को बंद किया जा सके। 

ऐसे हुई शुरुआत

इस संबंध में चर्च से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मालूम हो कि सरकार विरोधी नेता रेव जून क्वांग-हून को इस महीने की शुरुआत में जमानत के नियमों के उल्लंघन पर पुन: गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने 15 अगस्त को अवैध रूप से एक राजनीतिक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया, जिसमें बड़े पैमाने पर लोग जुटे। यहीं से संक्रमण की रफ्तार में तेजी आने का सिलसिला शुरू हुआ।

लगातार बढ़ रहे मामले

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा सेवा ने भी कहा है कि वो 4।7 मिलियन डॉलर की क्षतिपूर्ति के लिए चर्च के खिलाफ मुकदमा करेगा। वहीं, कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी (The Korea Disease Control and Prevention Agency) के मुताबिक, गुरुवार रात तक नए संक्रमण के 126 मामले सामने आये थे। जिसके चलते कुल संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा बढ़कर 22,783 हो गया है और अब तक 377 लोगों की मौत हुई है। सरकार द्वारा कोरोना से निपटने के लिए लागू किये गए सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों के चलते संक्रमण के मामलों में काफी कमी दर्ज की गई थी। यहां तक कि महामारी से जंग में कोरिया एक उदाहरण के तौर पर उभरकर आ रहा था, लेकिन चर्च की गलती ने उसकी मेहनत पर पानी फेर दिया।

सरकार अगले हफ्ते के पारंपरिक अवकाश को लेकर भी परेशान है। इस मौके पर बड़े पैमाने पर लोग यात्राएं करते हैं, ऐसे में संक्रमण के फैलने की आशंका भी बनी रहेगी।   

पहले भी बढ़ा चुका है परेशानी 

चर्चा के चलते सरकार को पहले भी परेशनी का सामना करना पड़ा है। मार्च में चर्च के सदस्यों ने अशुद्ध पानी से लोगों पर छिड़काव किया था। बाद में चर्च के 135 अनुयायियों में से 46 कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिसमें पादरी और उनकी पत्नी भी शामिल थीं। पादरी किम ने कथित तौर पर संक्रमण फैलाने के लिए माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि जो कुछ भी हुआ उसका मुझे दुःख है, मैं इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं। उन्होंने यह भी कहा है कि देश के महामारी से बाहर निकलने के बाद वह अपना पद त्याग देंगे।