Live Hindustan : Nov 25, 2019, 06:25 PM
महाराष्ट्र के मुद्दे के विरोध के दौरान कांग्रेस सांसदों और मार्शल के बीच टकराव पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह पहली बार है जब मैंने सदन को हंगामे के बाद स्थगित कर दिया है। मैं हमेशा चाहता हूं कि सदन चले और बहस होनी चाहिए। लेकिन इस तरह के कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया जिसकी वजह से कई बार के स्थगन के बाद कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा। हंगामे के कारण दोनों सदनों में प्रश्नकाल एवं शून्यकाल में कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका। शीतकालीन सत्र में यह पहला मौका है जब विपक्ष के हंगामे के कारण कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी और पूरे दिन कोई विधायी कामकाज नहीं हो पाया। राज्यसभा में भोजनावकाश के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई विपक्षी कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के सदस्य अपनी जगह पर खड़े हो गये। सदन में कांग्रेस के उप नेता आनंद शमार् ने नियम 267 के तहत महाराष्ट्र के मुद्दे पर चचार् कराने की मांग की। उप सभापति हरिवंश ने कहा कि इस मामले में सभापति सुबह ही स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। दोबारा इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि सदन में विधायी कामकाज लंबित है और इसे पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है और वैसे भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन से संबंधित विषय को अभी सदन के पटल पर नहीं रखा गया है।उप सभापति ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर को अंतरार्ष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र प्राधिकरण विधेयक 2019 वापस लेने को कहा। सदन ने हंगामे के बीच ही इस विधेयक को वापस लेने की मंजूरी दी। हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने और उभयलिंगी समुदाय से संबंधित विधेयक पर चर्चा होने देने की अपील की। सदस्यों पर इसका असर न होते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही मंगलवार दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले सुबह भी विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी थी। लोकसभा में भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सहित कई दलों के सदस्य हंगामा करते हुए सदन के बींचोबीच आकर नारेबाजी करने लगे। पीठासीन अधिकारी मीनाक्षी लेखी ने हंगामे के बीच जरूरी कागजात सदन के पटल पर रखवाये। सदस्य हाथों में तख्तियां लेकर 'लोकतंत्र की हत्या बंद करो' तथा तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारे लगाते रहे। भारी हंगामे को देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई कांग्रेस के सदस्य महाराष्ट्र के मुद्दे पर हंगामा करने लगे। वे हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुये अध्यक्ष के आसन के समीप आ गये। केरल के एनार्कुलम से कांग्रेस सदस्य हीबी ईडन और केरल के ही त्रिसूर से पार्टी के सदस्य टी.एन. प्रतापन काले रंग का बड़ा सा बैनर लेकर सदन के बीचों-बीच आ गये जिस पर “लोकतंत्र की हत्या बंद करो” का नारा लिखा हुआ था।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें बार-बार चेतावनी देते हुये बैनर सदन से बाहर ले जाने को कहा लेकिन सदस्यों ने उनकी नहीं सुनी। अध्यक्ष ने फिर कड़े लहजे में कहा “मैं नाम लेकर चेतावनी दे रहा हूं, हीबी ईडन और प्रतापन, आप इसे लेकर बाहर जायें।” लेकिन जब उनकी चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ तो अध्यक्ष ने दोनों सदस्यों को सदन से बाहर करने का आदेश दिया। मार्शलों ने दोनों सदस्यों को सदन से बाहर करने की कोशिश की तो उन्होंने मार्शलों के साथ भी धक्का-मुक्की की। इस बीच अन्य कांग्रेसी सदस्यों की नारेबाजी चलती रही। पार्टी के दो सदस्यों को बाहर निकालने का आदेश देने के बाद सदन में नारेबाजी तेज हो गयी। हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे जैसे ही शुरू हुई विपक्षी दलों के सदस्य पहले से ही हाथ में 'लोकतंत्र की हत्या बंद करो' जैसे नारे लिखी तख्तियाँ लेकर शोर-शराबा करते हुए अपनी सीटों पर खड़े हो गये। इससे पहले कि हँगामा करते हुये सदस्य प्रश्नकाल की तरह सदन के बीचों-बीच आकर कार्यवाही बाधित करते सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही दोपहर बाद दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।