Vikrant Shekhawat : Nov 26, 2019, 11:40 AM
दिल्ली: आजाद भारत के इतिहास में आज की तारीख की एक खास अहमियत है। दरअसल यही वह दिन है, जब गुलामी की जंजीरों से आजाद होकर अपने स्वतंत्र अस्तित्व को आकार देने का प्रयास कर रहे राष्ट्र ने संविधान को अंगीकार किया था। इसी दिन संविधान सभा ने इसे अपनी स्वीकृति दी थी। इस वजह से इस दिन को 'संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। संविधान सभा के सदस्यों का पहला सेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित हुआ। इसमें संविधान सभा के 207 सदस्य थे। संविधान की ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ बी आर अंबेडकर थे। इन्हें भारत के संविधान का निर्माता भी कहा जाता है।सरकार ने 19 नवंबर, 2015 को राजपत्र अधिसूचना की सहायता से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया था। भारत के संविधान निर्माता के डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है। यह दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया। इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं।
यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं। इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का वक्त लगा था। इसके लिए 29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करनेवाली समिति की स्थापना की गई थी और इसके अध्यक्ष के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की नियुक्ति हुई थी।
संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित और कॉलीग्राफ्ड थी। इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था। संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षप किए । दो दिन बाद इसे लागू किया गया था।
इस दिन स्कूलों में बच्चों को संविधान की प्रस्तावना एवं मौलिक कर्तव्यों की जानकारी दी जाती है। संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना, समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना है
संविधान दिवस के मौके पर उपराष्ट्रपति एम. वेकैंया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई दी है। इस मौके पर कई बधाई के संदेश दिए जा रहे हैं।
उपराष्ट्रपति नायडू ने ट्वीट किया, मैं आज संविधान दिवस के अवसर पर देशवासियों को बधाई देता हूं। इस दिन, 1949 में, भारत के विवेकशील लोगों ने खुद को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के सक्षम मार्गदर्शन के तहत तैयार संविधान दिया था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने 395 अनुच्छेद और आठ अनुसूची वाले मसौदा संविधान को अपनाया था, जिस पर दो साल 11 महीनों और 17 दिनों की अवधि में हुए 11 सत्रों के दौरान संविधान सभा के 299 सदस्यों के बीच पूरी तरह से बहस हुई थी।
नायडू ने कहा कि अब यह हमारा सवोर्च्च राष्ट्रीय दायित्व है कि हम अपने व्यक्तिगत और सामुदायिक जीवन में संविधान की भावना के प्रति ईमानदार रहे। उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमें अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी बनाए रखनी चाहिए, संवैधानिक निकायों और प्रक्रियाओं में विश्वास करना चाहिए और उनका सम्मान करना होना चाहिए। संविधान दिवस पर मेरी हार्दिक बधाई।”
प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट कर कहा, संविधान दिवस पर हम हमारे संविधान सभा में सेवा देने वाले महान लोगों के शानदार योगदान को गर्व के साथ याद करते हैं। हमें हमारे संविधान पर गर्व है और इसमें निहित मूल्यों को बनाए रखने के लिए हमारी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।