कोरोना अलर्ट / 'गाय' के बिना संभव नहीं हो पाएगा कोरोना वायरस का खात्‍मा

फ्रांस के माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट लुई पाश्चर ने जर्म थ्‍योरी ऑफ डिजीज दी। उन्‍होंने 1897 में हैजा और 1904 में एंथ्रेक्स वैक्‍सीन बना ली थी। इसके अलावा उन्‍होंने रैबीज और चिकनपॉक्‍स की वैक्‍सीन भी बनाई। वहीं, वैज्ञानिकों ने 19वीं शताब्‍दी के आखिर तक प्‍लेग की वैक्‍सीन भी तैयार कर ली थी। वैज्ञानिकों ने 1890 से 1950 के बीच बीसीजी समेत कई वक्‍सीन बना ली थीं, जिनका आज भी इस्‍तेमाल किया जाता है।

News18 : Apr 24, 2020, 05:25 PM
चीन से बाहर निकलने के बाद कोरोना वायरस अब तक दुनियाभर में 27।37 लाख लोगों से ज्‍यादा को अपनी चपेट में ले चुका है। इनमें गंभीर संक्रमण के कारण 1,91,423 लोगों की मौत हो चुकी है। अलग दवाइयों के कॉम्बिनेशन की मदद से डॉक्‍टर्स 7,51,805 संक्रमितों की जिंदगी बचाने में सफल हो चुके हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता इसका इलाज ढूंढने में जुटे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस की पूरी तरह से रोकथाम बिना वैक्‍सीनेशन के संभव नहीं है। बता दें कि वैक्सीनेशन शब्द लैटिन भाषा के वैक्सीनम (Vaccinum) से बना है। वर्ल्‍ड ऑफ डिक्‍शनरी के मुताबिक, इसका अर्थ 'गाय (Cow) या गाय से लिया गया' भी होता है। इसके अलावा इसे वैक्‍सीनी (vaccini), वैक्सिना (vaccina), वैक्सिनी (vaccini), वैक्सिनिस (vaccinis), वैक्सिनो (vaccino), वैक्सिनोरम (vaccinorum) भी कहा जाता है। वैक्‍सीनम का एक मतलब काऊबेरी (Cowberry) भी होता है।

पश्चिम में वैक्‍सीनोलॉजी के संस्‍थापक ब्रिटिश डॉक्‍टर एडवर्ड जेनर (Dr। Edward Jenner) ने 1796 में डेयरी उद्योग में काम करने वाली महिलाओं पर शोध में पाया कि वे चेचक (Smallpox) नहीं बल्कि वैक्‍सीनिया वायरस (CowPox) से संक्रमित होती थी, जिसके लक्षण लगभग चेचक जैसे ही होते थे।  इम्‍यूनाइजेशन एडवाइजरी सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद उन्‍होंने 13 साल के एक लड़के पर काऊपॉक्‍स को लेकर शोध किया। उन्‍होंने उसके हाथ में कट लगाकर उसे काऊपॉक्‍स से संक्रमित किया। फिर ये साबित किया कि ये संक्रमण स्‍मॉलपॉक्‍स नहीं है। इसके बाद उन्‍होंने चेचक का टीका बनाया। डेयरी उद्योग पर शोध से पहला टीका बनने के कारण बाद में किसी भी वायरस से प्रतिरक्षा प्रदान करने वाले इम्‍युनाइजेशन को वैक्‍सीनेशन कहा जाने लगा। बता दें कि 24 से 30 अप्रैल के बीच वर्ल्‍ड इम्‍युनाइजेशन वीक मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं वैक्‍सीनेशन का पूरा इतिहास।।।

टीकाकरण का चलन सैकड़ों साल पुराना है। बताया जाता है कि चीन में बौद्ध भिक्षु सांप के डंसने (Snake Bite) से होने वाले नुकसान से बचने के लिए उसके जहर का बहुत ही कम मात्रा में विशेष विधि के जरिये सेवन करते थे। भिक्षु 17वीं शताब्‍दी में सांप के जहर के जरिये खुद को Cowpox और Smallpox से भी सुरक्षित कर लेते थे। मौजूदा दौर के हिसाब से कहें तो एडवर्ड जेनर ने 13 साल के लड़के पर अपनी वैक्‍सीन का सफल क्‍लीनिक ट्रायल किया था। इसके बाद 1798 में चेचक की पहली वैक्‍सीन पूरी तरह से बनकर तैयार हो गई थी। इसके बाद 18वीं और 19वीं शताब्‍दी में अभियान चलाकर स्‍मॉलपॉक्‍स का टीकाकरण किया गया। धीरे-धीरे 1979 में स्‍मॉल पॉक्‍स को पूरी दुनिया से खत्‍म करने के लिए टीकाकरण को व्‍यवस्थित तरीके से लागू किया गया।

फ्रांस के माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट लुई पाश्चर ने जर्म थ्‍योरी ऑफ डिजीज दी। उन्‍होंने 1897 में हैजा और 1904 में एंथ्रेक्स वैक्‍सीन बना ली थी। इसके अलावा उन्‍होंने रैबीज और चिकनपॉक्‍स की वैक्‍सीन भी बनाई। वहीं, वैज्ञानिकों ने 19वीं शताब्‍दी के आखिर तक प्‍लेग की वैक्‍सीन भी तैयार कर ली थी। वैज्ञानिकों ने 1890 से 1950 के बीच बीसीजी समेत कई वक्‍सीन बना ली थीं, जिनका आज भी इस्‍तेमाल किया जाता है। वैक्‍सीन बनाने के लिए खसरा (Measles), कंठमाला (Mumps) और रूबेला के स्‍ट्रेन्‍स को बार-बार अलग किया गया। माना जा रहा है कि आक्रामक टीकाकरण अभियान (Immunisation Programmes) के जरिये दुनिया से खसरा बीमारी को पूरी तरह खत्‍म किया जा सकता है।

टीकाकरण कार्यक्रमों से लोगों के स्वास्थ्य को होने वाले फायदों के लाखों सबूत मौजूद होने के बाद भी कुछ समूह हमेशा से वैक्‍सीन का विरोध करते आए हैं। तमाम फायदों के बाद भी 1970 के आखिर से लेकर 1980 के दशक में वैक्‍सीन निर्माताओं के खिलाफ मुकदमों की तादाद लगातार बढती गई और उनका मुनाफा लगातार घटता गया। इससे परेशान बहुत सी कंपनियों ने वैक्‍सीन उत्‍पादन बंद कर दिया। धीरे-धीरे वैक्‍सीन उत्‍पादन करने वाली कंपनियों की संख्‍या बहुत कम रह गई। वैक्‍सीन उत्‍पादन में तब एक साथ बड़ी गिरावट आई, जब 1986 में अमेरिका में नेशनल वैक्‍सीन इंजुरी कंपनसेशन प्रोग्राम लागू किया गया। इस दौर ने दुनिया को विरासत में वैक्‍सीन की कमी दी। रही-बची कसर हर तरफ से उठती वैक्‍सीन विरोधी लॉबी ने पूरी कर दी।