Vikrant Shekhawat : Jun 01, 2021, 09:08 PM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए बच्चों को उससे बचाने के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। आशंका जताई जा रही है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों ने इससे बचाव के लिए तमाम तरह की व्यवस्थाएं शुरू कर दी हैं। बच्चों के लिए बनाई गई टेस्टिंग वैनइस बीच दिल्ली के एक टेस्टिंग लैब ने बच्चों की टेस्टिंग के लिए एक वैन तैयार कर ली है। ये वैन बच्चों की पसंद को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई है। वैन कुछ इस तरह से तैयार की गई है कि अगर बच्चे को इसमें RT-PCR टेस्ट कराना हो तो उसे किसी तरह का डर न लगे।टेस्टिंग वैन की खासियतस्टार इमेजिंग लैब के समीर भाटी ने कहा कि बच्चे को लैब में आने की जरूरत न पड़े और वह संक्रमित माहौल से दूर रहे इसे देखते हुए टेस्टिंग वैन को डिजाइन किया गया है। वैन में बच्चों के लिए खिलौने रखे गए हैं जिससे कि उनका ध्यान बंटा रहे। इस वैन को बच्चों के RT-PCR टेस्ट के लिए घर पर बुलाया जा सकता है।बच्चों को लेकर चिंताकोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम होने के साथ ही तीसरी लहर की चिंताएं सताने लगी हैं। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इस बीच नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा, बच्चों में कोरोना (Corona) हमारे ध्यान में है। चूंकि ज्यादातर बच्चों को कोई गंभीर बीमारी नहीं होती इसलिए वे असिम्प्टोमैटिक ही रहते हैं। सरकार ने कर ली तैयारीउन्होंने यह भी कहा कि वायरस अपना व्यवहार बदल सकता है, तो हो सकता है प्रकोप बढ़ जाए। लेकिन सरकार बच्चों को ध्यान में रखते हुए पूरी तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा, एक्सपर्ट्स का एक ग्रुप बनाया गया है जिसके द्वारा कुछ गाइडलाइन्स दी गई हैं, जो एक-दो दिन में लागू कर दी जाएंगी।बच्चों में दो तरह से आता है कोरोनाडॉ पॉल ने कहा, बच्चों में कोरोना जब आता है तो दो रूप में आता है। एक, निमोनिया की शक्ल में जो अस्पताल में भर्ती होता है। दूसरा, कोरोना होने के बाद दो से छह हफ्ते बाद कुछ बच्चों को दोबारा फीवर आता है। आंखों में सूजन आ जाती है। सांस फूल जाती है। पूरे शरीर में कुछ होने लगता है। MIS कहते हैं यह एक नई बीमारी है लेकिन इसका इलाज कठिन नहीं है।