Vikrant Shekhawat : May 08, 2021, 12:26 PM
नई दिल्ली: COVID-19 महज फेफड़े की बीमारी नहीं है जैसा कि पहले की अवधारणा थी, बल्कि इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है, जिसे तुरंत हटाने की जरूरत होगी ताकि कुछ मामलों में अंगों को बचाया जा सके। यह बात विशेषज्ञों ने कही है। वैश्विक स्तर पर किए गए शोध में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 14 से 28 फीसदी रोगियों में रक्त थक्का जमने की बात सामने आई है, जिसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) के नाम से जाना जाता है। वहीं दो से पांच फीसदी रोगियों में आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस का मामला सामने आया।विशेषज्ञों ने बताया कि संक्रमण फेफड़े के साथ रक्त कोशिकाओं से भी जुड़ा हुआ है। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के वाहिका एवं अंत:वाहिका सर्जन डॉ। अंबरीश सात्विक ने कहा, ‘‘हम औसतन हर हफ्ते इस तरह के पांच-छह मामलों को देख रहे हैं। इस हफ्ते प्रतिदिन इस तरह का एक मामला सामने आ रहा है।''दक्षिण पश्चिम द्वारका के आकाश हेल्थकेयर में हृदय विभाग के डॉ। अमरीश कुमार ने कहा कि कोविड-19 के ऐसे रोगियों में रक्त थक्का जमने का मामला आ रहा है, जिनमें टाईप-टू मधुमेह मिलेटस है, हालांकि निश्चित कारण अभी तक पता नहीं चला है।डीवीटी एक गंभीर स्थिति है, जिसमें शरीर के अंदर स्थित नाड़ियों में रक्त थक्का जम जाता है। आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस धमनियों में थक्का जमने से जुड़ा हुआ है। सात्विक ने इस हफ्ते की शुरुआत में ट्वीट कर कोविड-19 का रक्त थक्का बनने से संबंध की तरफ ध्यान आकर्षित किया था, जिसमें उन्होंने कोविड-19 से पीड़ित एक रोगी के अंग की धमनी में बने रक्त थक्के की तस्वीर पोस्ट की थी।