Vikrant Shekhawat : Sep 27, 2021, 04:08 PM
नई दिल्ली: पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से दुनियाभर में कोरोना संक्रमण का कहर जारी है। अब तक आई कोरोना की दो लहरों में 47.62 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण दुनियाभर में जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं, वह काफी चिंताजनक हैं। कोरोना के जीवन पर होने वाले प्रभावों को जानने के लिए अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की टीम ने बड़ा खुलासा किया है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों का कहना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार कोरोना महामारी के चलते लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी जीवन प्रत्याशा में काफी कमी देखने को मिल रही है। दुनिया के तमाम देशों में इस महामारी के चलते लाखों लोगों की जानें गई हैं, यह बड़ी ही भयावह स्थिति है। जीवन प्रत्याशा, एक दी गई उम्र के बाद जीवन में शेष बचे वर्षों की औसत संख्या है। इससे एक व्यक्ति के औसत जीवनकाल का अनुमान लगाया जाता है।शोधकर्ताओं ने यूरोप और अमेरिका के करीब 29 देशों में महामारी के कारण हुई मौतों के आंकड़ों का अध्ययन किया। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि साल 2020 में इन 29 में से 27 देशों में लाइफ एक्सपेक्टेंसी में कमी देखने को मिली है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस महामारी ने दुनियाभर में जैसा नकारात्मक असर डाला है, उससे निकलने में काफी समय लग जाएगा।कोरोना महामारी ने डाला है जीवन पर बुरा असरऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि कोरोना महामारी के कारण पुरुष और महिला दोनों की जीवन प्रत्याशा में कमी आई है, हालांकि पुरुषों पर इसका ज्यादा असर देखा जा रहा है। ऑक्सफोर्ड के लीवरहुल्मे सेंटर फॉर डेमोग्राफिक साइंस (एलसीडीएस) के प्रमुख और अध्ययन के लेखकों में से एक जोस मैनुअल एबर्टो कहते हैं, पश्चिमी यूरोपीय देशों जैसे स्पेन, इंग्लैंड और वेल्स, इटली, बेल्जियम के डेटा बताते हैं कि लोगों की जीवन प्रत्याशा पर इस महामारी ने गंभीर असर डाला है। पिछली बार ऐसे हालात द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देखने को मिले थे।पुरुषों पर देखा जा रहा है ज्यादा असरअध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं पाया कि आठ देशों में महिलाओं और 11 देशों में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा में इस महामारी के कारण करीब एक साल की कमी आई है। सभी देशों से प्राप्त डेटा के अध्ययन में अध्ययनकर्ताओं ने यह भी पाया कि जीवन प्रत्याशा में कमी, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक देखने को मिल रही है। जीवन प्रत्याशा में सबसे बड़ी गिरावट अमेरिका के पुरुषों में देखी गई, उनमें साल 2019 के स्तर के मुकाबले 2.2 साल की गिरावट आई है।क्या हैं अध्ययन के निष्कर्ष?अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि अमेरिका में मृत्युदर में वृद्धि मुख्यरूप से कामकाजी उम्र के लोगों, जबकि यूरोप में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में देखने को मिला है। अध्ययन की सह लेखिका रिद्धि कश्यप कहती हैं, हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कोविड-19 की मौतों की गिनती से जुड़े भी कई मुद्दे हैं, जैसे कि अपर्याप्त परीक्षण या गलत वर्गीकरण। तमाम स्तर पर किए गए अध्ययन से यही निष्कर्ष निकलता है कि कोरोना महामारी ने दुनिया के लिए एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जिसके बारे में पहले से किसी को कोई अनुमान नहीं था।