News18 : Jun 29, 2020, 07:54 PM
Delhi: बारहवीं सदी में इंग्लैंड के वूलपिट गांव (Woolpit in England) में अचानक दो बच्चे दिखे। वे दूसरों से एकदम अलग फैशन के कपड़े पहने हुए थे, जैसे किसी ने कभी नहीं देखे थे। वे अलग भाषा में बात कर रहे हैं, जो गांववालों ने कभी नहीं सुनी थी। वे सिर्फ हरी बीन्स या कच्ची हरी चीजें खाते। और सबसे अजीब बात, वे गहरे हरे रंग के थे। वे भेड़ियों को फंसाने वाले गड्ढे से निकले थे, जो जमीन से काफी गहरा था। उतनी गहरी और अंधेरी जगह किसी का भी बचना मुश्किल था। इन हरे रंग के बच्चों का रहस्य आज भी नहीं सुलझ सका है। लोगों का मानना है कि वे किसी दूसरे ग्रह से गलती से धरती पर आए थे और अब एलियन्स से संपर्क का बड़ा जरिया खत्म हो चुका है।
बच्चों को ग्रीन चिल्ड्रेन ऑफ वूलपिट नाम दिया गया क्योंकि वे वोल्फ यानी भेड़ियों को पकड़ने वाले गड्ढे से निकले थे। गांववाले भाषा न समझ पाने के कारण उनकी कुछ भी मदद नहीं कर पा रहे थे। इसी उधेड़बुन में उन्हें गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति Sir Richard de Calne के घर पर ठहराया गया। वे लगातार बच्चों से बात करने या उन्हें कुछ खिलाने की कोशिश करने लगे। छोटा लड़का, जो लगभग 4 साल का दिखता था, उसने सिर्फ हरी बीन्स खाईं। लड़की ने उस दौरान कुछ भी खाने से इनकार कर दिया। बाद में वो भी सर रिचर्ड के बगीचे में पहुंची और सीधे पेड़-पौधों से तोड़कर बीन्स और दूसरी सब्जियां खाने लगी।
हरे रंग के इन बच्चों का रहस्य आज भी नहीं सुलझ सका हैहिस्टोरिक।यूके।कॉम के मुताबिक बच्चे तीन-साल सालों तक उसी गांव में रहे। वे जल्दी ही अंग्रेजी में बात करने लगे। जब उनसे पूछा गया कि वे कहां रहते थे और यहां कैसे आए तो उन्होंने बड़ा अजीबोगरीब जवाब दिया। लड़की ने कहा कि वे St। Martin’s Land नाम की जगह पर रहते थे। वहां सबकुछ हरा था। यहां तक कि सारे लोग हरे रंग के थे। और हर वक्त वहां शाम का झुटपुटा-सा रहता था। धरती के सूरज और चांद को देखकर दोनों भाई-बहन काफी महीनों तक हैरान रहे थे। दोनों को ही पता नहीं था कि वे जमीन पर अलग रंग और अलग बोली बोलने वालों के बीच कैसे पहुंचे।जब बच्चे अंग्रेजी बोलने लगे तो गांववाले उनका बपतिस्मा कराने के लिए चर्च ले गए। वहां से लौटने के बाद बच्चा अचानक बीमार हुआ और रहस्यमयी तरीके से उसकी मौत हो गई। लड़की, जो लड़के से दो-तीन साल बड़ी लगती थी, जिंदा रही। उसका रंग कुछ सालों में हरे से बदलकर सफेद हो गया। उसे गांववालों ने एग्ने नाम दिया। हालांकि बाद में उसका कहीं कुछ पता नहीं चला।बच्चे कौन थे और हरे रंग के क्यों थे। इसके पीछे काफी माथापच्ची हुई। कुछ लोगों का मानना था कि बच्चे बेल्जियन डच मूल के माता-पिता की संतानें होंगी जो इंग्लैंड के किंग स्टीफन की बर्बरता के कारण मारी गई होंगी। बच्चे जंगल में रहते रहे होंगे। इसी दौरान उन्होंने कच्ची बीन्स खाना शुरू कर दिया होगा।
हालांकि इसके बाद भी उनकी अलग भाषा, जिसे सिर्फ वे दोनों ही समझते थे और गहरे हरे रंग के पीछे कोई कहानी नहीं बन सकी। ये चीजें रहस्य ही रहीं। बहुतेरे लोगों ने माना कि वे किसी दूसरे ग्रह से भटककर धरती पर आए बच्चे होंगे। हालांकि वूलपिट के लोगों को आखिर तक बच्चों का रहस्य पता नहीं चल सका। इसके बाद भी बच्चों की याद में गांव की सीमा पर एक बोर्ड लगा हुआ है। लोहे के इस बोर्ड पर बच्चों की हरे रंग की तस्वीर है।ने यह भी बताया कि 'सेंट मार्टिन लैंड' के सभी लोग हरे रंग के थे। अब ये घटना हकीकत है या कोई कहानी, ये तो कोई नहीं जानता, लेकिन वूलपिट के लोग इस घटना को बिल्कुल सच मानते हैं। तभी तो यहां लोहे का एक बोर्डनुमा खंभा लगाया गया है, जिसपर दोनों हरे बच्चों को दर्शाया गया है।
बच्चों को ग्रीन चिल्ड्रेन ऑफ वूलपिट नाम दिया गया क्योंकि वे वोल्फ यानी भेड़ियों को पकड़ने वाले गड्ढे से निकले थे। गांववाले भाषा न समझ पाने के कारण उनकी कुछ भी मदद नहीं कर पा रहे थे। इसी उधेड़बुन में उन्हें गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति Sir Richard de Calne के घर पर ठहराया गया। वे लगातार बच्चों से बात करने या उन्हें कुछ खिलाने की कोशिश करने लगे। छोटा लड़का, जो लगभग 4 साल का दिखता था, उसने सिर्फ हरी बीन्स खाईं। लड़की ने उस दौरान कुछ भी खाने से इनकार कर दिया। बाद में वो भी सर रिचर्ड के बगीचे में पहुंची और सीधे पेड़-पौधों से तोड़कर बीन्स और दूसरी सब्जियां खाने लगी।
हरे रंग के इन बच्चों का रहस्य आज भी नहीं सुलझ सका हैहिस्टोरिक।यूके।कॉम के मुताबिक बच्चे तीन-साल सालों तक उसी गांव में रहे। वे जल्दी ही अंग्रेजी में बात करने लगे। जब उनसे पूछा गया कि वे कहां रहते थे और यहां कैसे आए तो उन्होंने बड़ा अजीबोगरीब जवाब दिया। लड़की ने कहा कि वे St। Martin’s Land नाम की जगह पर रहते थे। वहां सबकुछ हरा था। यहां तक कि सारे लोग हरे रंग के थे। और हर वक्त वहां शाम का झुटपुटा-सा रहता था। धरती के सूरज और चांद को देखकर दोनों भाई-बहन काफी महीनों तक हैरान रहे थे। दोनों को ही पता नहीं था कि वे जमीन पर अलग रंग और अलग बोली बोलने वालों के बीच कैसे पहुंचे।जब बच्चे अंग्रेजी बोलने लगे तो गांववाले उनका बपतिस्मा कराने के लिए चर्च ले गए। वहां से लौटने के बाद बच्चा अचानक बीमार हुआ और रहस्यमयी तरीके से उसकी मौत हो गई। लड़की, जो लड़के से दो-तीन साल बड़ी लगती थी, जिंदा रही। उसका रंग कुछ सालों में हरे से बदलकर सफेद हो गया। उसे गांववालों ने एग्ने नाम दिया। हालांकि बाद में उसका कहीं कुछ पता नहीं चला।बच्चे कौन थे और हरे रंग के क्यों थे। इसके पीछे काफी माथापच्ची हुई। कुछ लोगों का मानना था कि बच्चे बेल्जियन डच मूल के माता-पिता की संतानें होंगी जो इंग्लैंड के किंग स्टीफन की बर्बरता के कारण मारी गई होंगी। बच्चे जंगल में रहते रहे होंगे। इसी दौरान उन्होंने कच्ची बीन्स खाना शुरू कर दिया होगा।
हालांकि इसके बाद भी उनकी अलग भाषा, जिसे सिर्फ वे दोनों ही समझते थे और गहरे हरे रंग के पीछे कोई कहानी नहीं बन सकी। ये चीजें रहस्य ही रहीं। बहुतेरे लोगों ने माना कि वे किसी दूसरे ग्रह से भटककर धरती पर आए बच्चे होंगे। हालांकि वूलपिट के लोगों को आखिर तक बच्चों का रहस्य पता नहीं चल सका। इसके बाद भी बच्चों की याद में गांव की सीमा पर एक बोर्ड लगा हुआ है। लोहे के इस बोर्ड पर बच्चों की हरे रंग की तस्वीर है।ने यह भी बताया कि 'सेंट मार्टिन लैंड' के सभी लोग हरे रंग के थे। अब ये घटना हकीकत है या कोई कहानी, ये तो कोई नहीं जानता, लेकिन वूलपिट के लोग इस घटना को बिल्कुल सच मानते हैं। तभी तो यहां लोहे का एक बोर्डनुमा खंभा लगाया गया है, जिसपर दोनों हरे बच्चों को दर्शाया गया है।