UP News / आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव लड़ेंगी डिंपल यादव, अखिलेश जल्द करेंगे ऐलान

जिले में लोकसभा उपचुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, लेकिन बसपा को छोड़कर बीजेपी और सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम सबसे आगे चल रहा है। इस बीच पिछले दो दिनों से जनपद के रहने वाले एमएलसी यशवंत सिंह के नाम भी चर्चाओं में शामिल हो गया है।

Vikrant Shekhawat : Jun 01, 2022, 07:55 AM
आजमगढ़। जिले में लोकसभा उपचुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, लेकिन बसपा को छोड़कर बीजेपी और सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम सबसे आगे चल रहा है। इस बीच पिछले दो दिनों से जनपद के रहने वाले एमएलसी यशवंत सिंह के नाम भी चर्चाओं में शामिल हो गया है। वही सपा से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के चुनाव लड़ने की पूरी उम्मीद है। सूत्रों का दावा है कि जल्द ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव डिंपल के नाम पर मुहर लगायेगें।

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद आजमगढ़ संसदीय सीट को छोड़ दिया, जिस वजह से यहां उपचुनाव हो रहा है। अभी तक केवल बसपा से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली का टिकट फाइनल हुआ है। वह सोमवार को नामांकन के पहले दिन ही पर्चा खरिद लिए है, लेकिन बीजेपी व सपा के प्रत्याशियों पर सस्पेंस बरकरार है। भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव लड़वाया था। अखिलेश यादव ने निरहुआ को भारी मतों से हराया। हालांकि, बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को भी 3,61,704 मत पाकर कड़ी टक्कर दी थी।

बीजेपी से यशवंत सिंह का नाम भी चर्चा में

अखिलेश यादव के सीट छोड़ते ही दिनेश लाल निरहुआ लखनऊ से लेकर आजमगढ़ में दिखने लगे, लेकिन पिछले दस दिनों से वे मैदान में नहीं दिख रहे है। इसी बीच पिछले दो दिनों से एक और नाम की चर्चा काफी तेज हो गयी है। वह नाम है बीजेपी से हाल में ही निष्कासित किये गये एमएलसी यशवंत सिंह का। बीजेपी से निष्कासित होने के बाद भी उन्होंने अपने पुत्र विक्रांत सिंह रिशु को जीत दिलवाई। इसके अलावा यशंवत सिंह स्थानीय नेता है, जबकि निरहुआ बाहरी प्रत्याशी है। वहीं समाजवादी पार्टी की बात करें तो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव भी टिकट की रेस में थे। लेकिन राज्यसभा में डिंपल का टिकट कटते ही वह रेस से बाहर हो गये।

 कविता से अखिलेश पर कसा तंज

आजमगढ़। जिले में लोकसभा उपचुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, लेकिन बसपा को छोड़कर बीजेपी और सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम सबसे आगे चल रहा है। इस बीच पिछले दो दिनों से जनपद के रहने वाले एमएलसी यशवंत सिंह के नाम भी चर्चाओं में शामिल हो गया है। वही सपा से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के चुनाव लड़ने की पूरी उम्मीद है। सूत्रों का दावा है कि जल्द ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव डिंपल के नाम पर मुहर लगायेगें।

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद आजमगढ़ संसदीय सीट को छोड़ दिया, जिस वजह से यहां उपचुनाव हो रहा है। अभी तक केवल बसपा से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली का टिकट फाइनल हुआ है। वह सोमवार को नामांकन के पहले दिन ही पर्चा खरिद लिए है, लेकिन बीजेपी व सपा के प्रत्याशियों पर सस्पेंस बरकरार है। भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव लड़वाया था। अखिलेश यादव ने निरहुआ को भारी मतों से हराया। हालांकि, बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को भी 3,61,704 मत पाकर कड़ी टक्कर दी थी।

बीजेपी से यशवंत सिंह का नाम भी चर्चा में

अखिलेश यादव के सीट छोड़ते ही दिनेश लाल निरहुआ लखनऊ से लेकर आजमगढ़ में दिखने लगे, लेकिन पिछले दस दिनों से वे मैदान में नहीं दिख रहे है। इसी बीच पिछले दो दिनों से एक और नाम की चर्चा काफी तेज हो गयी है। वह नाम है बीजेपी से हाल में ही निष्कासित किये गये एमएलसी यशवंत सिंह का। बीजेपी से निष्कासित होने के बाद भी उन्होंने अपने पुत्र विक्रांत सिंह रिशु को जीत दिलवाई। इसके अलावा यशंवत सिंह स्थानीय नेता है, जबकि निरहुआ बाहरी प्रत्याशी है। वहीं समाजवादी पार्टी की बात करें तो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव भी टिकट की रेस में थे। लेकिन राज्यसभा में डिंपल का टिकट कटते ही वह रेस से बाहर हो गये।

10 विधायकों संग बैठक में अखिलेश ने डिंपल के नाम पर लगाई मुहर

कहा तो यह भी जा रहा है कि डिंपल के चुनाव लड़ने के सम्बन्ध में सपा अखिलेश यादव ने जनपद से चुने गये 10 विधायकों के साथ बैठक कर डिंपल के नाम पर मुहर लगा दी है। बस घोषणा करना बाकी है। वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र श्रीवास्तव कहते हैं कि उपचुनाव किसी भी पार्टी के लिए आसान नहीं है। उनका कहना है कि मौजूदा परिस्थियों में जिस प्रकार से बाहरी प्रत्याशी आये और जीत दर्ज कर चलते बने, उससे यहां के लोगों को निराशा हाथ लगी है। लोग स्थानीय प्रत्याशी को तरजीह देना चाह रहे है। इस खाके में न तो निरहुआ फिट बैठ रहे है और न डिंपल यादव। फिर भी उनका मानना है कि जो परिस्थितियां है उसमें त्रिकोणी लड़ाई होने की उम्मीद है। वहीं बीजेपी नेता विनित सिंह रिशु का कहना है कि इस बार समाजवादी पार्टी की राह आसान नहीं होगी, क्योकि वर्ष 2019 में अखिलेश यादव के साथ बहुजन समाज पार्टी के वोटर भी जुड़े थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। उनका मानना है कि अगर निरहुआ को टिकट इस बार मिलेगा तो यह सीट भाजपा की झोली में जा सकती है।