Vikrant Shekhawat : Feb 06, 2022, 03:43 PM
पंजाब में कांग्रेस के CM चेहरे को लेकर बड़ा पेंच फंस गया है। चरणजीत चन्नी और नवजोत सिद्धू में से किसी एक के नाम पर सहमति नहीं बन रही है। राहुल गांधी को 2 बजे इसकी घोषणा करनी थी। वह करीब 12 बजे लुधियाना पहुंच गए थे। इसके बाद करीब डेढ़ घंटे से वह लुधियाना के होटल में दोनों को मना रहे हैं। जिस वजह से रैली में भी करीब सवा घंटे की देरी हो चुकी है। वहीं यह भी चर्चा होने लगी है कि अगर कांग्रेस ने CM चेहरा न बनाया तो नवजोत सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान पद से इस्तीफा दे सकते हैं। कांग्रेस ने उन्हें उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में स्टार प्रचारक तक नहीं बनाया।सिद्धू ने राहुल के आने से पहले दिखाए तेवरराहुल गांधी के आने से पहले नवजोत सिद्धू ने तेवर दिखा दिए। सिद्धू ने कांग्रेस हाईकमान को इशारा कर दिया कि बिना फैसले के कुछ बड़ा नहीं पा सकते। पंजाब में CM चेहरा तय करेगा कि कांग्रेस को 60 सीटें किसके नाम पर मिलेंगी। इससे साफ है कि सिद्धू किसी दूसरे के नाम पर राजी होने को तैयार नहीं हैं।पंजाब में CM चेहरे के लिए कांग्रेस के 4 विकल्पपहला मौजूदा CM चरणजीत चन्नी को ही आगे CM चेहरा बनाया जा सकता है, ताकि पंजाब में 32% दलित वोट बैंक में कांग्रेस का दबदबा बनाया जा सके।दूसरा विकल्प पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू हैं। नवजोत सिद्धू जट्टसिख कम्युनिटी से हैं और इसकी पंजाब में 19% वोट हैं। वहीं सिद्धू की पंजाब में कांग्रेस के कद्दावर नेता की छवि है।तीसरे विकल्प के तौर पर सरकार बनने के बाद चन्नी और सिद्धू को रोटेशन पर ढाई-ढाई साल के लिए CM की कुर्सी सौंपी जा सकती है। पहले कौन बनेगा, इसका फैसला चुनकर आए MLA करेंगे। हालांकि चरणजीत चन्नी इस फॉर्मूले के विरोध में हैं।चौथा विकल्प कोई चेहरा न देने का है। राहुल ने स्टेज पर चन्नी और सिद्धू के साथ सुनील जाखड़ को भी बुला रखा है। इनके जरिए संयुक्त लीडरशिप का ऐलान किया जा सकता है।सिद्धू और चन्नी ही ठोक रहे दावापंजाब कांग्रेस में CM चेहरे के लिए नवजोत सिद्धू और चरणजीत चन्नी दावा ठोक रहे हैं। सिद्धू का कहना है कि पंजाब अगर इस दुविधा से बाहर निकल जाएगा तो कांग्रेस को 60 से 70 सीटें मिलनी तय हैं। चरणजीत चन्नी CM की कुर्सी को अलादीन का चिराग बताते हुए 111 दिन के बाद पूरे 5 साल मांग रहे हैं। सुनील जाखड़ की तरफ से ऐसा कोई दावा नहीं किया जा रहा। वह चन्नी के पक्ष में हैं।सांसद CM चेहरे के पक्ष में नहींकादियां से चुनाव लड़ रहे सांसद प्रताप सिंह बाजवा और श्री आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी CM चेहरे के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि CM चेहरे की घोषणा से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा। मौजूदा स्थिति में ही कांग्रेस को चुनाव लड़ना चाहिए।कांग्रेस में CM कुर्सी की जंग हर बार रही, लेकिन ऐसे हालात पहली बारपंजाब कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के वक्त CM कुर्सी की जंग हर बार रही। हालांकि, नवजोत सिद्धू और चरणजीत चन्नी के बीच ऐसा घमासान पहली बार देखा जा रहा है। जिससे कांग्रेस की छवि बिगड़ रही है।2002 : कैप्टन अमरिंदर सिंह CM की कुर्सी के सबसे बड़े दावेदार थे क्योंकि वह पंजाब कांग्रेस के प्रधान भी थे। उनके अलावा पूर्व CM राजिंदर कौर भट्ठल, प्रताप सिंह बाजवा, शमशेर दूलो इस कुर्सी पर दावा ठोक रहे थे। अंत में कैप्टन CM बने।2007 : कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ प्रताप बाजवा और राजिंदर कौर भट्ठल दौड़ में थे। इस चुनाव में कांग्रेस हार गई। पंजाब में शिअद-भाजपा गठबंधन की सरकार बन गई।2012 : कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ राजिंदर कौर भट्ठल, प्रताप बाजवा CM बनने की दौड़ में थी। तभी मनप्रीत बादल ने अकाली दल छोड़ पीपल पार्टी ऑफ पंजाब (PPP) बना ली। इससे ऐसा समीकरण बिगड़ा कि कांग्रेस पिछड़ गई और शिअद-भाजपा फिर सत्ता में आ गई।2017 : कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में चुनाव लड़ा गया। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने प्रचार का जिम्मा संभाला। पूरा प्रचार कैप्टन के ईर्द-गिर्द ही रहा। कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही।