Diwali Saral Puja Vidhi / दिवाली की सबसे सरल विधि, लक्ष्मी पूजा में रखें 10 बातों का ध्यान

दीपावली के अवसर पर जानिए दिवाली पूजा की सबसे सरल विधि और यह भी जानिए कि पूजन के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस बार दीवाली का त्योहार 12 नवंबर 2023 रविवार को मनाया जाएगा।

Vikrant Shekhawat : Nov 12, 2023, 04:30 PM
Diwali Saral Puja Vidhi : दीपावली के अवसर पर जानिए दिवाली पूजा की सबसे सरल विधि और यह भी जानिए कि पूजन के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस बार दीवाली का त्योहार 12 नवंबर 2023 रविवार को मनाया जाएगा।


दिवाली की सबसे सरल पूजा विधि ( Diwali puja vidhi ) : 


1. ईशान कोण या उत्तर दीशा में साफ सफाई करके स्वास्तिक बनाएं। उसके उपर चावल की ढेरी रखें। अब उसके उपर लकड़ी का पाट बिछाएं। पाट के उपर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। तस्वीर में गणेश और कुबेर की तस्वीर भी हो। माता के दाएं और बाएं सफेद हाथी के चित्र भी होना चाहिए।


2. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। इसके बाद धूप-दीप चलाएं। सभी मूर्ति और तस्वीरों को जल छिड़ककर पवित्र करें।


3. अब खुद कुश के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।


4. माता लक्ष्मी सहित सभी के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी अंगुली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि) लगाना चाहिए। इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें। पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप करें।


 

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।

ॐ महालक्ष्म्यै नमो नम: धनप्रदायै नमो नम:‍ विश्‍वजनन्यै नमो नम:।


5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। इस दिन लक्ष्मीजी को मखाना, सिंघाड़ा, बताशे, ईख, हलुआ, खीर, अनार, पान, सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर-भात आदि अर्पित किए जाते हैं। पूजन के दौरान 16 प्रकार की गुजिया, पपड़ियां, अनर्सा, लड्डू भी चढ़ाएं जाते हैं। आह्वान में पुलहरा चढ़ाया जाता है। इसके बाद चावल, बादाम, पिस्ता, छुआरा, हल्दी, सुपारी, गेंहूं, नारियल अर्पित करते हैं। केवड़े के फूल और आम्रबेल का भोग अर्पित करते हैं।  


6. पूजा करने के बाद अंत में खड़े होकर उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है। पूजा के बाद कपूर आरती जरूर करें। कर्पूर गौरम करुणा का श्लोक बोलें। आरती को सबसे पहले उसे अपने आराध्य के चरणों की तरफ चार बार, इसके बाद नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ घुमाएं। ऐसा कुल सात बार करें। आरती करने के बाद उस पर से जल फेर दें और प्रसाद स्वरूप सभी लोगों पर छिड़कें।


7. मुख्‍य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं।


8. पूजा और आरती के बाद ही किसी से मिलने जाएं, मिठाई बांटे या पटाखें फोड़े।


9. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।


पूजा में रखें 10 बातों का ध्यान

1. दिवाली के पूजा रात्रि के विशेष मुहूर्त में की जाती है। मान्यता अनुसार चौघड़िया का महायोग और शुभ कारक लग्न देखकर रात्रि में लक्ष्मी पूजा का प्रचलन प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। लक्ष्मी कारक योग में पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है तो दूसरी ओर अच्छी और शुद्ध भावना से लक्ष्मी की पूजा से धन और समृद्धि बढ़ती है।

2. इस दिन प्रात: उठकर नित्यकर्म से निवृ‍त्त होकर पूजा की तैयारी कर लें। पूजा के समय घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर ही पूजा करें। पूजा जमीन पर ऊनी आसन पर बैठकर ही करनी चाहिए।


3. पूजा के दौरान किसी भी प्रकार शोर न करें और ना ही किसी अन्य प्रकार की गतिविधियों पर ध्यान दें। ईश्वर के लिए जलाए जाने वाले दीपक के नीचे चावल अवश्य रखने चाहिए। पूजा के दौरान कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए।


4. तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए और न ही पतला चंदन देवी-देवताओं को लगाएं। 


5. पूजा के पूर्व घर आंगन को अच्‍छे से सजाएं। द्वार देहरी पर रंगोली और मांडने बनाएं। द्वार पर वंदनवार लगाएं, नियम से उचित संख्या में दीए लगाएं और मां लक्ष्मी के पदचिह्न मुख्य द्वार पर ऐसे लगाएं कि कदम बाहर से अंदर की ओर जाते हुए प्रतीत हों। 


6. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। लक्ष्मी पूजा के समय सात मुख वाला घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।  


7. इस दिन किसी भी प्रकार का व्यसन करना या जुआ खेलना वर्जित है। मान्यता अनुसार इस दिन किसी के घर नहीं जाते। दिवाली मिलन का कार्य पड़वा के दिन किया जाता है।


8. आरती के बाद हमेशा दोनों हाथ से उसे ग्रहण करें। 


9. पूजा-पाठ बगैर आसन के नहीं करना चाहिए। 


10. पूजा के बाद अपने आसन के नीचे दो बूंद जल डालें और उसे माथे पर लगा तभी उठना चाहिए, अन्यथा आपकी पूजा का फल देवराज इंद्र को चला जाता है।