Vikrant Shekhawat : Sep 04, 2022, 09:38 PM
असम के एक अस्पताल में कान खड़े कर देना वाला मामला सामने आया है। जहां के एक अस्पताल में स्त्रीरोग विशेषज्ञ ने गर्भवती महिला का डिलीवरी के समय से तीन महीने पहले ही ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन के बाद जब डॉक्टर ने पता चला कि भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है तो उसने फिर से टांके लगा दिए। यह ऑपरेशन असम के करीमगंज सिविल अस्पताल में यह ऑपरेशन हुआ। मामला सामने आने के बाद अस्पताल के अधिकारियों ने कहा है कि जांच कराई जा रही है।संबंधित डॉक्टर ने कथित रूप से इस मामले को दबाने का प्रयत्न किया और गर्भवती महिला के परिवार के सदस्यों से इसके बारे में किसी को नहीं बताने को कहा। लेकिन अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जब मरीज का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा तब उसके रिश्तेदारों एवं पड़ोसियों को इसके बारे में पता चल गया। अस्पताल प्रशासन ने कहा, 'हमें ऐसी घटना के बारे में रिपोर्ट मिली है। हम तथ्यों को सुनिश्चित कर लेने के लिए जांच कर रहे हैं। डॉक्टर या किसी अन्य के दोषी पाये जाने पर उसके विरूद्ध कार्रवाई जांच रिपोर्ट के आधार पर ही की जाएगी।'परिवार ने लगाया यह गंभीर आरोपइसने कहा कि मामले की जांच के लिए 11 सदस्यीय समिति गठित की गई है और शुक्रवार को प्राथमिक रिपोर्ट सौंपी गई। उन्होंने कहा, 'हमने प्राथमिकी रिपोर्ट गुवाहाटी में स्वास्थ्य विभाग को भेज दी है। हम पूर्ण रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।' परिवार के अनुसार गर्भवती महिला को तबीयत सही नहीं लग रही थी जिसके बाद उसे 21 अगस्त को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि दो दिनों तक निगरानी में रखने के बाद डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराए बिना ही 23 अगस्त को उसका ऑपरेशन कराने का फैसला किया जबकि उसे पता था कि दिसंबर के प्रारंभ में वह बच्चे को जन्म देने वाली है। भ्रूण को अंदर छोड़कर लगाए टांकेउनका दावा है कि ऑपरेशन करने के बाद जब डॉक्टर को अहसास हुआ कि भ्रूण अभी अविकसित है तब उसने भ्रूण को अंदर छोड़कर टांके लगा दिए। उनका कहना है कि 31 अगस्त को महिला को छुट्टी दे दी गयी और डॉक्टर ने परिवार से कथित रूप से कहा कि वह इसके बारे में किसी न बताए। परिवार के सदस्यों के मुताबिक घर लौटने के बाद मरीज की तबीयत बिगड़ने लगी और उसके पड़ोसियों एवं रिश्तेदारों को सारी बातें पता चल गई।