Vikrant Shekhawat : Dec 12, 2021, 05:58 PM
नई दिल्ली. खाने के तेल यानी एडिबल ऑयल (Edible Oil) की कीमतों में पिछले कुछ दिनों में कमी देखने को मिली है. दरअसल, आयात शुल्क (Import Duties) में कमी के कारण खाने की तेल की कीमतों में पिछले एक महीने में 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है. इंडस्ट्री बॉडी साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन यानी एसईए (SEA) के मुताबिक, आने वाले महीनों में तिलहन के अधिक घरेलू प्रोडक्शन और ग्लोबल मार्केट में मंदी के रुख के कारण एडिबल ऑयल के दाम 3-4 रुपये प्रति किलो और नीचे आ सकते हैं.एसईए के प्रेसिडेंट अतुल चतुर्वेदी ने कहा, ”पाम, सोया और सूरजमुखी जैसे सभी तेलों की बहुत ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण पिछले कुछ महीने भारतीय खाद्य तेल कंज्यूमर के लिए काफी परेशानी भरे रहे हैं. एसईए ने दिवाली से पहले अपने सदस्यों को कीमतों को यथासंभव कम करने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा कि केंद्र ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क भी कम कर दिया है. हमें इस बात की पुष्टि करते हुए खुशी हो रही है कि कई उपायों के कारण पिछले 30 दिन में खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी आई है.”3 से 4 रुपये प्रति किलो तक गिर सकते हैं दामएसईए ने कहा कि उसके सदस्य उपभोक्ताओं को कम कीमतों का लाभ देने के लिए पहले भी कदम उठाते रहे हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि उसके सदस्यों ने तेल की कम लागत का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए सहमति जताई है. हमें लगता है कि हमारे सदस्यों द्वारा निकट भविष्य में कीमतों में लगभग 3-4 रुपये प्रति किलोग्राम की और कमी की जाएगी. इससे हमारे खाद्य तेल उपभोक्ताओं को फेस्टिव सीजन के दौरान राहत मिलनी चाहिए.बढ़ेगा सरसों के तेल का उत्पादनलगभग 120 लाख टन सोयाबीन की फसल और 80 लाख टन से अधिक मूंगफली की फसल के साथ चतुर्वेदी ने उम्मीद जताई कि खाद्य तेलों की कीमतें अब नियंत्रण में रहेंगी. उन्होंने कहा कि सरसों तेल खली की इतनी अधिक मांग है कि किसानों को अच्छा दाम मिलने से आपूर्ति की स्थिति बेहतर हुई है और उन्होंने (किसानों ने) अब तक के सबसे अधिक रकबे (करीब 77.62 लाख हेक्टेयर) में सरसों की बुवाई की है. यह आंकड़ा पहले के मुकाबले लगभग 30 फीसदी ज्यादा है और आने वाले वर्ष में घरेलू सरसों तेल की उपलब्धता आठ से 10 लाख टन तक बढ़ सकती.चतुर्वेदी ने कहा कि खाद्य तेल की कीमतों का वैश्विक रुख अपेक्षाकृत मंदी वाला है और हमें लगता है कि कीमतों में गिरावट जारी रहेगी. एसईए के अनुसार, भारत की खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता लगभग 2.2-2.25 करोड़ टन की कुल खपत का लगभग 65 फीसदी है. मांग और घरेलू आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने के लिए भारत 1.3-1.5 करोड़ टन खाद्य तेल का आयात करता है.बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)सरसों तिलहन – 8,800 – 8,825 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपयेमूंगफली – 5,700 – 5,785 रुपयेमूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 12,500 रुपयेमूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,840 – 1,965 रुपये प्रति टिनसरसों तेल दादरी- 17,150 रुपये प्रति क्विंटलसरसों पक्की घानी- 2,640 -2,665 रुपये प्रति टिनसरसों कच्ची घानी- 2,720 – 2,830 रुपये प्रति टिनतिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700 – 18,200 रुपयेसोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,950 रुपयेसोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,700 रुपयेसोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,540सीपीओ एक्स-कांडला- 10,980 रुपयेबिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,700 रुपयेपामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,580 रुपयेपामोलिन एक्स- कांडला- 11,450 (बिना जीएसटी के)सोयाबीन दाना 6,550 – 6,650, सोयाबीन लूज 6,400 – 6,450 रुपयेमक्का खल (सरिस्का) 3,850 रुपये