Vikrant Shekhawat : Jan 14, 2021, 08:32 AM
मध्य प्रदेश विद्युत विभाग द्वारा आम लोगों को बड़ी राशि के बिल देना आम बात है। लेकिन हद तो तब हो गई जब बिजली बोर्ड ने जिला पंचायत के माध्यम से जिले भर की 177 से 227 पंचायतों को 17 करोड़ 17 लाख से अधिक के बिल थमा दिए। बिल देने के बाद, बिजली बोर्ड ने 31 तारीख तक बिल जमा करने के निर्देश दिए हैं। बड़ी बात यह है कि जो सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, उससे भी भारी बिल के कारण पंचायतों में दहशत का माहौल है।
पलाड़ा ग्राम पंचायत के सचिव साजन सिंह का कहना है कि गाँव में न तो नलजल योजना है और न ही स्ट्रीट लाइट, इसलिए लाख का बिल। दरअसल, पलड़ा गांव में न तो नल जल योजना है और न ही स्ट्रीट लाइट। ग्रामीण कुएं से पानी भरते हैं। इसके अलावा, गाँव में स्थापित ट्यूबवेल से पानी भरा जाता है। कुछ ग्रामीणों ने गाँव के बीच में एक कुएँ में अपनी निजी मोटर लगाई है और इसके माध्यम से वे घरों तक पानी पहुँचा रहे हैं। ऐसे में गाँव के वाटर वर्क्स का बिजली बिल 6,89,544 रुपये और स्ट्रीट लाइट का 4,34,356 रुपये का बिल कई सवाल खड़े करता है।वहीं, ग्राम पंचायत घंटे के सचिव बाबूलाल सूर्यवंशी का कहना है कि गांव में स्ट्रीट लाइट का कोई निशान नहीं है। लेकिन कुल बिल 9,32,954 आया है। ग्राम पंचायत के सचिव इसे लेकर काफी परेशान दिखे।बैजनाथ निपनिया के सचिव गोपाल शर्मा का कहना है कि गांव में स्ट्रीट लाइट नहीं है। ग्रामीणों को भी बहुत नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में, बिजली विभाग ने 1-2 से अधिक नहीं, बल्कि 25 लाख से अधिक के बिजली बिल भेजे हैं, जिसमें स्ट्रीट लाइट की मात्रा 18 लाख 81 हजार के करीब है। ऐसा नहीं है कि यह समस्या केवल 2-4 ग्राम पंचायतों के लिए है, जिले की सभी ग्राम पंचायतों को ऐसे बिल मिले हैं, जिन्हें देखकर पंचायत सचिवों और सरपंचों के होश उड़ गए हैं।इस पूरे मामले को लेकर न केवल गांवों के सरपंच सचिव बल्कि जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैरान हैं। अधिकारी की मानें, तो बिजली बोर्ड ने 17 करोड़ 17 लाख का बिल दिया है। लेकिन जहां नल-जल योजना नहीं है, वहां बिल भी आए हैं। जहां स्ट्रीट लाइट नहीं है वहां बिल भी दिए गए हैं। साथ ही, कई पंचायत कार्यालयों में कनेक्शन नहीं हैं। वहां भी बिल दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जेई स्तर के व्यक्तियों पर सवाल उठाए हैं और वास्तविक स्थिति को देखे बिना उन्हें बिल देने के लिए कहा है।आम लोगों को बिना किसी जाँच के लंबे बिल देते हुए सुना गया, लेकिन पंचायतों को ऐसे बिल देना सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करता है। वहीं, आजतक ने इस मामले पर मालवा जिले के कार्यकारी अभियंता से बात की। वह कहते हैं कि पंचायतें कभी-कभी स्ट्रीट लाइट और पानी के काम के लिए कनेक्शन का उपयोग करती हैं। लेकिन वह बिल जमा नहीं करती है। वहीं, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई चूक हुई है, तो सुधार किया जा सकता है।
पलाड़ा ग्राम पंचायत के सचिव साजन सिंह का कहना है कि गाँव में न तो नलजल योजना है और न ही स्ट्रीट लाइट, इसलिए लाख का बिल। दरअसल, पलड़ा गांव में न तो नल जल योजना है और न ही स्ट्रीट लाइट। ग्रामीण कुएं से पानी भरते हैं। इसके अलावा, गाँव में स्थापित ट्यूबवेल से पानी भरा जाता है। कुछ ग्रामीणों ने गाँव के बीच में एक कुएँ में अपनी निजी मोटर लगाई है और इसके माध्यम से वे घरों तक पानी पहुँचा रहे हैं। ऐसे में गाँव के वाटर वर्क्स का बिजली बिल 6,89,544 रुपये और स्ट्रीट लाइट का 4,34,356 रुपये का बिल कई सवाल खड़े करता है।वहीं, ग्राम पंचायत घंटे के सचिव बाबूलाल सूर्यवंशी का कहना है कि गांव में स्ट्रीट लाइट का कोई निशान नहीं है। लेकिन कुल बिल 9,32,954 आया है। ग्राम पंचायत के सचिव इसे लेकर काफी परेशान दिखे।बैजनाथ निपनिया के सचिव गोपाल शर्मा का कहना है कि गांव में स्ट्रीट लाइट नहीं है। ग्रामीणों को भी बहुत नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में, बिजली विभाग ने 1-2 से अधिक नहीं, बल्कि 25 लाख से अधिक के बिजली बिल भेजे हैं, जिसमें स्ट्रीट लाइट की मात्रा 18 लाख 81 हजार के करीब है। ऐसा नहीं है कि यह समस्या केवल 2-4 ग्राम पंचायतों के लिए है, जिले की सभी ग्राम पंचायतों को ऐसे बिल मिले हैं, जिन्हें देखकर पंचायत सचिवों और सरपंचों के होश उड़ गए हैं।इस पूरे मामले को लेकर न केवल गांवों के सरपंच सचिव बल्कि जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैरान हैं। अधिकारी की मानें, तो बिजली बोर्ड ने 17 करोड़ 17 लाख का बिल दिया है। लेकिन जहां नल-जल योजना नहीं है, वहां बिल भी आए हैं। जहां स्ट्रीट लाइट नहीं है वहां बिल भी दिए गए हैं। साथ ही, कई पंचायत कार्यालयों में कनेक्शन नहीं हैं। वहां भी बिल दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जेई स्तर के व्यक्तियों पर सवाल उठाए हैं और वास्तविक स्थिति को देखे बिना उन्हें बिल देने के लिए कहा है।आम लोगों को बिना किसी जाँच के लंबे बिल देते हुए सुना गया, लेकिन पंचायतों को ऐसे बिल देना सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करता है। वहीं, आजतक ने इस मामले पर मालवा जिले के कार्यकारी अभियंता से बात की। वह कहते हैं कि पंचायतें कभी-कभी स्ट्रीट लाइट और पानी के काम के लिए कनेक्शन का उपयोग करती हैं। लेकिन वह बिल जमा नहीं करती है। वहीं, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई चूक हुई है, तो सुधार किया जा सकता है।