देश / 'झड़प की वजह से चीन से रिश्ते प्रभावित हुए', मॉस्को में बोले एस जयशंकर

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि किसी भी पड़ोसी मुल्क के साथ रिश्तों का आधार है कि सीमा पर शांति और धैर्य बनी रहे। लेकिन यह आधार प्रभावित हुआ इसलिए रिश्ते भी। यहां विदेश मंत्री से जब पूछा गया कि चीन की उन्नति को भारत किस तरह देखता है? तब इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि औपनिवेशक शासकों से आजादी मिलने के बाद पूरी दुनिया में कई देश नई ताकत बनकर उभरे।

Vikrant Shekhawat : Jul 08, 2021, 09:48 PM
New Delhi: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को मॉस्को में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि साल 2020 में ईस्टर्न लद्दाख सीमा पर झड़प की वजह से भारत और चीन के रिश्ते प्रभावित हुए। विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान भारत और चीन के रिश्तों को लेकर चिंता बढ़ी है और चीन सीमा समझौते का कद्र भी नहीं करता है। प्राइमाकोव इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकनॉमी ऐंड इंटरनेशनल रिलेशन्स में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि 45 सालों में पहली बार बॉर्डर पर ऐसी घटना हुई जिसमें नुकसान हुआ। 

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि किसी भी पड़ोसी मुल्क के साथ रिश्तों का आधार है कि सीमा पर शांति और धैर्य बनी रहे। लेकिन यह आधार प्रभावित हुआ इसलिए रिश्ते भी। यहां विदेश मंत्री से जब पूछा गया कि चीन की उन्नति को भारत किस तरह देखता है? तब इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि औपनिवेशक शासकों से आजादी मिलने के बाद पूरी दुनिया में कई देश नई ताकत बनकर उभरे। चीन एक अपवाद है और वो इस ट्रेंड का एक हिस्सा भी है। जयशंकर ने आगे कहा कि भारत, चीन का पड़ोसी है और चीन की उन्नति भारत को प्रभावित करती है। चीन की उन्नति रूस और ब्रिक्स को भी प्रभावित करती है। 

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि 'पिछले 40 साल से चीन और हमारे रिश्ते स्थिर हैं। चीन हमारी दूसरा सबसे बड़ा इकोनॉमिक पार्टनर है।' अपने संबोधन के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि रूस के साथ भी भारत की रणनीतिक, डिप्लोमैटिक और सांस्कृतिक संबंध काफी जरुरी हैं। मिलिट्री से लेकर दवा, स्पेस और न्यूक्लियर जैसे अहम विषयों को लेकर हम यह कह सकते हैं कि भारत, रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर काफी मजबूत प्रतिबद्धता रखता है। 

आपको बता दें कि 9 जुलाई को मॉस्को में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ भारतीय विदेश मंत्री मीटिंग करेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की ओर से राजनीति मसलों के अलावा सुरक्षा, व्यापार, आर्थिक मसलों के अलावा तकनीकी सैन्य सहयोग, विज्ञान, संस्कृति व मानवीय पहलुओं पर विचार साझा होंगे।