Vikrant Shekhawat : Nov 11, 2019, 05:12 PM
जयपुर | राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि कृषि में नवाचार करके और आधुनिक तकनीक को अपनाकर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते है। उन्होंने कहा कि खेती के जरिये ही किसान अपने बच्चों को स्वावलम्बी भी बना सकते है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिको को किसानों का सहयोगी बनना होगा।राज्यपाल मिश्र सोमवार को जोबनेर में कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित उद्यमिता विकास एवं किसानों के सशक्तिकरण के लिए जैविक खाद उत्पादन एवं बायोगैस तकनीक मेें नवीनतम प्रगति हेतु 21 दिवसीय शीतकालीन प्र्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारम्भ सामारोह को सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया। मिश्र ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित कर्ण नरेन्द्र सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रंद्धाजलि दी। राज्यपाल ने नवनिर्मित सौर ऊर्जा संयंत्र और वर्षा जल संचयन संरचना का शुभारम्भ किया। राज्यपाल ने गिर गाय संवर्धन एवं संरक्षण केन्द्र में गायों को गुड व चारा खिलाया। राज्यपाल ने परिसर में मौल का पौधा भी लगाया।राज्यपाल ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। उन्हांेने कहा कि अन्न उत्पादन ही खेती नही है। अब खेती के माध्यम से अनेक कुटीर उद्योग-धन्धें चलाये जा सकते हैं और उन्हे बाजार में विभिन्न प्रकार से पेश कर किसान अपनी आजीविका को बढ़ा सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि आटा, आलू की चिप्स, टमाटर साॅस, बेकरी आदि ऐसे अनेक उद्योग-धन्धें है, जिनका लाभ किसान आसानी से उठा सकते हैं। राज्यपाल ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इन उद्योग-धन्धों को किसानों द्वारा नही किये जाने से इनका लाभ बड़ी-बड़ी कम्पनियां उठा रही है। कृषि वैज्ञानिको को किसानों को कुटीर उद्योग-धन्धांे के लिए प्रेरित करना होगा।राज्यपाल ने कहा कि पानी का कम से कम उपयोग किया जाए और अधिक से अधिक जल का संरक्षण किया जावे। उन्होंने कहा कि इससे भू-जल बढे़गा और पैदावार भी अधिक हो सकेगी। राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिको का आव्हान किया कि वे अनुसंधान करें कि सूखी मिट्टी से पैदावार कैसे प्राप्त की जा सकती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने और पशुपालन की दिशा में किसानों को जोड़ने के तरीके भी कृषि वैज्ञानिको को ढूंढने होगें। राज्यपाल ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को ग्रे वाटर को खेती में उपयोग के लिए शोध करने की आवश्यकता है।राज्यपाल ने कहा कि कृषि में गुणवत्ता पर जोर देना होगा और व्यावहारिक दृष्टिकोण से कार्य करना होगा। उद्यमिता के माध्यम से किसानों के सशक्तिकरण के लिए कृषको को जागरूक बनाना होगा। कुलाधिपति मिश्र ने कहा कि इस विश्वविद्यालय को देश का आदर्श विश्वविद्यालय बनायें। विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक, अधिकारी और कर्मचारी मिलजुल कर सकारात्मक मानसिकता और कार्य के प्रति चिन्ता व निरन्तरता बनायेगें तो निश्चित तौर पर विश्वविद्यालय प्रगति करेगा और देश के सामने मिशाल बन सकेगा।राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय प्रांगण को देखा। राज्यपाल ने गिर गाय संवर्धन एवं संरक्षण केन्द्र को भी देखा, जहा 104 गिर गाय प्रजाति के गौवंश का संधारण किया जा रहा है। राज्यपाल ने वर्षा जल संरक्षण संरचना का अवलोकन किया, जिसकी जल संरक्षण क्षमता 4 करोड़ लीटर है। यहां 50 करोड लीटर की जल संचयन इकाइयों का विकास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय परिसर को ग्रीन कैम्पस बनाने के लिए 45 किलोवाट क्षमता का ग्रिड फोटोवाॅल्टिक पावर प्लान्ट को कुलाधिपति मि़श्र ने सराहा। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का भी अवलोकन किया। इस पुस्तकालय में आर एफ आई डी सिस्टम विकसित किया गया है, जहां दस लाख किताबों को डिजिटल मोड पर उपलब्ध कराया गया है।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि शिक्षा के सहायक महानिदेशक एम.के. अग्निहोत्री ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमांे से कृषि वैज्ञानिको के साथ छात्र-छात्राएं भी किसानों और कृषि की विभिन्न समस्याओं को समझ सकते है। कुलपति प्रोफेसर जीत सिंह संधू ने स्वागत उद्बोधन में बताया कि विश्वविद्यालय में चालीस प्रतिशत छात्राएं अध्ययन कर रही है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कृषि की 169 नई प्रजातियां की किस्मों को तैयार किया है। अनुसंधान निदेशक डाॅ. अशोक कुमार गुप्ता ने 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। समारोह में कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यो के लिए सात प्रगतिशील किसानों को राज्यपाल मिश्र ने प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। कुलाधिपति मिश्र को विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कृषि अनुसंधान की पुस्तिकाएं भेंट की गई।