Vikrant Shekhawat : Jan 15, 2021, 08:16 PM
नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान का प्रदर्शन आज लगातार 51वें दिन जारी रहा। इस बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच नई दिल्ली में बैठक हुई। 9वें दौर की यह बैठक भी बेनतीजा रही। अब 19 जनवरी को चर्चा होगी।बैठक के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं से अपील की कि वे अपने रूख में लचीलापन लाएं। बता दें कि प्रदर्शनकारी किसान केंद्र सरकार से तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वहीं सरकार कानून में संशोधन की बात कह रही है।बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान यूनियन के साथ 9वें दौर की वार्ता हुई। तीनों क़ानूनों पर चर्चा हुई। आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई। यूनियन और सरकार ने तय किया की 19 जनवरी को 12 बजे फिर से चर्चा होगी।तोमर ने कहा, ''सरकार ने ठोस प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए किसान यूनियनों को अनौपचारिक समूह बनाने का सुझाव दिया ताकि औपचारिक वार्ता में इन प्रस्तावों पर चर्चा की जा सके।''उन्होंने आगे कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और उनके फैसले का स्वागत करते हैं। सरकार आमंत्रित किए जाने पर, न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के समक्ष अपना पक्ष रखेगी।तोमर ने कहा कि किसान यूनियनें सरकार के साथ बातचीत जारी रखना चाहती हैं और हमें इससे कोई समस्या नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति भी किसानों के कल्याण के लिए काम करेगी।बैठक के बाद क्या बोले किसान नेता?भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता ने सरकार से बातचीत के बाद कहा, ''सरकार से ही हम बात करेंगे। 2 ही बिंदु है। कृषि के 3 कानून वापस हो और MSP पर बात हो। हम कोर्ट की कमेटी के पास नहीं जाएंगे, हम सरकार से ही बात करेंगे।'' एक अन्य नेता ने कहा कि कोई समाधान नहीं निकला, न कृषि क़ानूनों पर न MSP पर। 19 जनवरी को फिर से मुलाकात होगी।बैठक के दौरान हुए लंच ब्रेक के पहले खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने आवश्यक वस्तु कानून में किए गए बदलावों पर किसानों के सवालों का जवाब दिया। कुछ किसान नेता पीयूष गोयल का जवाब नहीं सुनना चाहते थे क्योंकि उनका कहना था कि कानून को वापस लेने के अलावा और कोई बातचीत नहीं हो सकती है। हालांकि कुछ अन्य किसान सरकार की बातचीत सुनने के पक्ष में थे।12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी। साथ ही अदालत ने चार सदस्यों की कमेटी गठित की थी।इसमें भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन महाराष्ट्र के अध्यक्ष अनिल घनवट, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं। भूपिन्दर सिंह मान ने गुरुवार को कमेटी से खुद को अलग कर लिया था।किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी।