बयाना के गांव अड्डा में शनिवार को आरक्षण संबंधी छह मांगों को लेकर हुई गुर्जर आक्रोश महापंचायत को लेकर पुलिस की ओर से एक बार फिर से गुर्जर नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की औपचारिकता की गई।
गुर्जर महापंचायत को लेकर बयाना एसएचओ मदनलाल मीना की ओर से गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला व उनके पुत्र विजय बैंसला समेत तीन दर्जन गुर्जर नेताओं तथा आयोजन समिति के सदस्यों को नामजद करते हुए 2500-3000 लोगों के खिलाफ बिना अनुमति सभा करने, सभा में एक नवम्बर को राजस्थान जाम करने का आव्हान करने व कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं करने का आरोप लगाते हुए आईपीसी, आपदा प्रबंधन अधिनियम तथा राजस्थान महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी जब-जब गुर्जर आरक्षण आंदोलन के कार्यक्रम हुए, हर बार मुकदमे दर्ज किए गए। कोई कार्रवाई नहीं होने से ऐसी एफआईआर औपचारिक रह जाती हैं। क्योंकि आंदोलनों के बाद सरकार से समझौतों में दर्ज मुकदमों को वापस लेने का बिन्दु भी अवश्य शामिल होता है।
एफआईआर में ये नेता हुए नामजद
एफआईआर में कर्नल बैंसला, विजय बैंसला, भूरा भगत, हरीराम अमीन, राजाराम अडडा, यादराम सरपंच, विजयराम, नरोत्तम, अतरुप, रामहंस, तोताराम पहलवान, कैप्टन हरप्रसाद, कैप्टन जगमोहन, पूर्व उपजिला प्रमुख रामस्वरूप कामर, झालाराम नगर, दयाराम, पुष्पेन्द्र करीली, पिंटू चैंची, जगराम देवलेन, मटोल, मोहन सिंह, निहाल सिंह, मोहन सिंह, तोताराम, करतार सिंह, वीरेन्द्र गुर्जर, दरबारी, आरामी, सुगर सिंह खेर्रा, रामकेश छिंगा, शीशराम मास्टर, हाकिम सिंह, हंसराज गुर्जर आदि को नामजद किया गया है।
वहीं महापंचायत में शामिल 2500-3000 लोगों को भी शामिल किया गया है। एफआईआर में बताया गया है कि सभा के संबंध में आयोजकों की ओर से प्रशासन से पूर्व में कोई अनुमति नहीं ली गई थी और ना ही जिला कलेक्टर को कोई अंडरटेकिंग दी गई थी।
वहीं वर्तमान में कोरोना महामारी के संबंध में बने नियमों की भी पालना नहीं की गई। महापंचायत को गैर-कानूनी बताते हुए कहा है कि इसके संबंध में कलेक्टर की ओर से 16 अक्टूबर को सार्वजनिक सूचना जारी कर आगाह भी किया गया था। फिर भी नेताओं ने महापंचायत में अधिक से अधिक लोगों को बुलाने के लिए पर्चे छपवाकर वितरित किए गए तथा नरोत्तम, हंसराज, अतरुप व राजाराम ने टैंट व माइक आदि की व्यवस्था की।