World News / पहले पाक-श्रीलंका और अब बांग्लादेश, जानें चीन कैसे कर रहा मुल्कों को तबाह

भारत हमेशा से पड़ोसी देशों से मधुर संबंध रखता रहा है और समय-समय पर पड़ोसियों की मदद भी करता रहा है. लेकिन दूसरी ओर, चाहे पाकिस्तान हो या बांग्लादेश या फिर म्यामार या श्रीलंका चीन ने पहले उनके साथ अच्छे संबंध बनाए हैं और उन संबंधों आड़ में उन देशों को आर्थिक रूप से दिवालिया बना दे रहा है. पहले उन देशों को आर्थिक मदद करता है और कर्ज के बोझ में लाद देता है और फिर उसकी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से पंगु बना देता है.

Vikrant Shekhawat : Mar 10, 2024, 08:30 AM
World News: भारत हमेशा से पड़ोसी देशों से मधुर संबंध रखता रहा है और समय-समय पर पड़ोसियों की मदद भी करता रहा है. लेकिन दूसरी ओर, चाहे पाकिस्तान हो या बांग्लादेश या फिर म्यामार या श्रीलंका चीन ने पहले उनके साथ अच्छे संबंध बनाए हैं और उन संबंधों आड़ में उन देशों को आर्थिक रूप से दिवालिया बना दे रहा है. पहले उन देशों को आर्थिक मदद करता है और कर्ज के बोझ में लाद देता है और फिर उसकी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से पंगु बना देता है. अगर आप भारत के आसपास के किसी भी पड़ोसी देश पर नजर डालें तो पाएंगे कि उन्होंने चीन से कर्ज ले रखा है. दरअसल, चीन ने पैसे की ताकत से दक्षिण एशिया को अपने कब्जे में करना चाहता है, लेकिन चीन ने इसके लिए रणनीति बनाई है.

पाकिस्तान आर्थिक कर्ज में डूब रहा है. हालात ऐसे हैं कि सरकार चलाने के लिए पैसे नहीं हैं. पाकिस्तान की सरकार और जनता बदहाल है. जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को कर्ज दिया है, वैसे ही चीन ने भी आर्थिक मदद दी है. लेकिन ऋण के रूप में.

ऐसी ही एक तस्वीर 2023 की शुरुआत में श्रीलंका में देखी गई थी. श्रीलंका में वित्तीय ढांचा पूरी तरह चरमरा गया था. इतना भयानक वित्तीय संकट क्यों पैदा हुआ, इसका उत्तर खोजने में पता चलता है कि श्रीलंका ने चीन से भारी भरकम वित्तीय ऋण लिया था. इस बार बांग्लादेश उसी जाल में फंसते जा रहा है.

कर्ज की जाल में देशों को फंसाता है चीन

आंकड़ों के मुताबिक, 2020 से 2021 के बीच चीन ने कुल 165 निम्न और मध्यम वर्ग के देशों को कर्ज दिया है. कर्ज का आंकड़ा 1.38 ट्रिलियन डॉलर है. रूस ने चीन से सबसे बड़ा कर्ज 170 अरब डॉलर लिया. वेनेजुएला दूसरे स्थान पर है. चीन से उनका ऋण और अनुदान 113 अरब डॉलर है. पाकिस्तान तीसरे स्थान पर है. कर्ज की रकम 70 अरब डॉलर के करीब है. उसने पाकिस्तान के साथ लंबे समय से प्रतीक्षित बेल्ट रोड परियोजना पर भी काम शुरू कर दिया है.

हालांकि, पश्चिमी देशों की शिकायत है कि यह चीन का कर्ज नहीं, बल्कि मौत का जाल है. चीन ने आर्थिक रूप से कमजोर देशों को उनकी चुकाने की क्षमता से अधिक कर्ज देने के जाल में फंसा लिया है. बाद में जब कर्ज न चुकाने के बाद देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई तो चीन ने हाथ जोड़ लिये. कर्ज में डूबे देशों ने चीन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इस तरह चीन एक के बाद एक देश पर नियंत्रण स्थापित करता जा रहा है.

कैसे फंस रहा है बांग्लादेश?

बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार धीरे-धीरे कम हो रहा है. पिछले डेढ़ साल से भंडार में लगातार गिरावट आ रही है. दूसरी ओर, चीन ने बांग्लादेश को विभिन्न विकास परियोजनाओं में वित्तीय सहायता प्रदान की है. पद्मा ब्रिज से लेकर, कर्णफुली नदी के नीचे सुरंग, चीन ने ढाका रैपिड ट्रांजिट जैसी विभिन्न विकास परियोजनाओं में वित्तीय सहायता प्रदान की है. स्वाभाविक रूप से, बांग्लादेश ने अमेरिका की तुलना में चीन को अधिक समर्थन दिखाया है.

चीन ने कहा है कि वह जरूरत पड़ने पर मदद करेगा, क्योंकि बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी को लेकर सरकार के अंदर चिंता है. इससे कैसे मदद मिलेगी? चीन उन सभी कंपनियों के बिल का भुगतान कर सकता है जो बांग्लादेश चीन से आयात करता है.

बांग्लादेश क्रेडिट लाइन के माध्यम से भी ऋण प्रदान कर सकता है, लेकिन इस मामले में एक बड़ी समस्या है, क्योंकि बांग्लादेश पहले ही आईएमएफ से कर्ज ले चुका है. ऐसे में अगर वे चीन से नया कर्ज लेने जाएंगे तो यह भी सवाल है कि वे इसे स्वीकार करेंगे या नहीं. लेकिन अगर बांग्लादेश भारत के पड़ोसियों पाकिस्तान या श्रीलंका के हालात पर नजर डालेगा, तो निश्चित रूप से इस बारे में दोबारा सोचेगा.