Islamic NATO / 25 देशों का मुस्लिम NATO, ग्लोबल समीकरण बदलेगा.. क्या होगा भारत पर असर

अब नए मुस्लिम NATO जैसे सैन्य गठबंधन की संभावनाओं पर विचार हो रहा है, जो 25 मुस्लिम देशों को जोड़ सकता है। तुर्किए और सऊदी अरब, पाकिस्तान सहित कई देश शामिल हो सकते हैं। इस संगठन का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा मजबूत करना है, लेकिन इसके प्रभाव पर चर्चा जारी है।

Vikrant Shekhawat : Oct 30, 2024, 06:20 PM
Islamic NATO: 1949 में बना नाटो (North Atlantic Treaty Organization) 32 देशों का सैन्य गठबंधन है, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों की सुरक्षा को मजबूत करना है। इसी तर्ज पर अब एक "मुस्लिम नाटो" का प्रस्ताव उठ रहा है, जिसमें मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल 25 देशों के एकजुट होकर एक संगठित सैन्य मोर्चा बनाने का विचार है। इस संगठन को "मुस्लिम नाटो" या "मुस्लिम मिलिट्री अलायंस ऑर्गनाइजेशन" (MMAO) कहा जा सकता है। अगर यह गठबंधन अस्तित्व में आता है, तो यह नाटो के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य संगठन हो सकता है।

इस्लामिक सैन्य गठबंधन का निर्माण

इस प्रस्तावित गठबंधन का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना और बाहरी खतरों से निपटने के लिए एकजुट होना है। वर्तमान में, मध्य पूर्व और खाड़ी क्षेत्र राजनीतिक और सैन्य संघर्षों का केंद्र बने हुए हैं। प्रमुख मुस्लिम देश, जैसे सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्किए, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मलेशिया और जॉर्डन संभावित रूप से इस नए मुस्लिम नाटो के मुख्य सदस्य हो सकते हैं। इनके अलावा, ईरान, इराक, ओमान, कतर, इंडोनेशिया और कई अन्य देशों के शामिल होने की संभावना है।

मुस्लिम नाटो की आवश्यकता और उद्देश्य

तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने इस प्रस्तावित गठबंधन का विचार प्रस्तुत किया है। उनका मानना है कि इज़राइल और अन्य बाहरी खतरों का मुकाबला करने के लिए मुस्लिम देशों को एकजुट होना चाहिए। साथ ही, एर्दोआन ने इसे एक इस्लामी रक्षा संरचना के रूप में परिभाषित किया है। उनका मानना है कि इस तरह के गठबंधन के ज़रिए मुस्लिम बहुल देश अपने सामूहिक सुरक्षा उपायों को और भी अधिक सुदृढ़ कर सकते हैं।

पिछले प्रयास और वर्तमान प्रयासों में अंतर

इससे पहले 2015 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोएलिशन (IMCTC) नाम का एक गठबंधन बना था, जिसमें 42 मुस्लिम बहुल देश आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए शामिल हुए थे। हालांकि, IMCTC का प्रभाव सीमित रहा और यह अपने उद्देश्यों को पूरी तरह से हासिल नहीं कर सका।

विश्व राजनीति पर संभावित प्रभाव

  • अमेरिका और नाटो के साथ टकराव: अमेरिका और नाटो देशों के मध्य पूर्व में स्थायी सैन्य ठिकाने हैं, जो इस नए गठबंधन के अस्तित्व में आने से चुनौती में आ सकते हैं। अमेरिका के लिए यह नए समीकरण कठिनाइयाँ खड़ी कर सकता है क्योंकि मध्य पूर्व की स्थिरता और सुरक्षा में उसका महत्वपूर्ण योगदान है।

  • भारत पर असर: भारत के लिए इस गठबंधन का असर सीमित हो सकता है, लेकिन यह कुछ मामलों में महत्वपूर्ण होगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्किए जैसे देशों का एकजुट सैन्य शक्ति के रूप में उभरना क्षेत्रीय सुरक्षा और कश्मीर विवाद को प्रभावित कर सकता है। यह संभावना है कि ऐसे गठबंधन के माध्यम से पाकिस्तान अधिक समर्थन जुटाने की कोशिश करेगा, जो कि भारत के लिए एक चुनौती हो सकती है।

क्या मुस्लिम नाटो हकीकत बन सकता है?

विश्लेषकों का मानना है कि इतने विभिन्न राजनीतिक हितों और दृष्टिकोण वाले देशों का एकजुट होकर एक प्रभावी संगठन बनाना कठिन है। इसके बावजूद, एर्दोआन की महत्वाकांक्षाएं और मध्य पूर्व में एकजुट मुस्लिम शक्ति का सपना इस विचार को कुछ वर्षों तक चर्चा में बनाए रख सकता है।