Vikrant Shekhawat : Jul 01, 2020, 07:38 PM
Jaipur | राजस्थान का गाड़ोलिया लोहार समाज भी महाराणा प्रताप के गलत चित्रण करने वाले कुछ भांड लेखकों को इतिहासकार बताकर उनकी लिखी मिथ्या जानकारियों को सरकारी पुस्तकों में जगह देने के विरोध में आ गया है। स्कूली पाठ्यक्रमों में जगह पाने वाली इस तरह की ऐतिहासिक सिलेबस वाली पुस्तकों का पाठ्यक्रम बदलने की मांग करते हुए प्रदेशभर में ज्ञापन सौंपे गए हैं। इससे पूर्व भी प्रदेशभर में क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन समेत अलग—अलग दर्जनों संगठन लगातार ज्ञापन देकर प्रदेश में पाठ्यक्रम को बदलने की मांग कर रहे हैं।ट्विटर ट्रेंड में नम्बर वन #प्रताप_विरोधी_कांग्रेस, राजस्थान से शुरू हुआ विरोध देश में पहुंचा
संघर्ष करने वाला समाज है गाड़ोलिया लोहार
जिनका होता है गाड़ी में घर, वो कहलाते हैं गाड़िया लोहार। बैलगाड़ी इनका घर है और लोहारी इनका पेशा। इसीलिए इनको 'गाड़िया लोहार' कहा जाता है। राजस्थान व देश के अन्य हिस्सों में इन्हें गाड़ोलिया लोहार के नाम से भी जाना जाता है। इतिहास प्रसिद्ध गाड़िया लोहार महाराणा प्रताप की सेना के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चले थे। प्रताप की सेना के लिए घोड़ों की नाल, तलवार और अन्य हथियार बनाते थे। आज वे दर-दर की ठोकरें खाते हुए एक घुमक्कड़ जिन्दगी बिता रहे हैं। ‘Akbar’ महान या ‘Maharana Pratap’? अब Vasundhara Raje की नाराजगी, Ashok Gehlot सरकार पर साधा निशानामेवाड़ में महाराणा प्रताप ने जब मुगलों से लोहा लिया और मेवाड़ मुगलों के कब्जे में आ गया। तब महाराणा की सेना में शामिल गाड़िया लोहारों ने प्रण लिया कि जब तक मेवाड़ मुगलों से आजाद नहीं हो जाता और महाराणा गद्दी पर नहीं बैठते, तब तक हम कहीं भी अपना घर नहीं बनाएंगे और अपनी मातृभूमि पर नहीं लौटेंगे। तब से आज तक अपने प्रण का पालन करते हुए गाड़िया लोहार यायावरी का जीवन बिता रहे हैं। सरकारी योजनाओं के नाम पर आने वाला बजट इन तक पहुंचते—पहुंचते खर्च हो जाता है। ऐसे में यह समाज आज भी संघर्ष ही कर रहा है। 'हल्दी लगी महिलाएं युद्ध में लड़ीं, इसलिए उस जगह को हल्दीघाटी कहते हैं' मेवाड़ का इतिहास कलंकित करने की कोशिश
गाड़ोलिया लोहारों का महाराणा प्रताप के प्रति प्रेम ही है कि उनके समय में ली गई पूर्वजों की सौगंध को ये आज भी निभा रहे हैं। ऐसे में अपने आदर्श महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र से खिलवाड़ इन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा है और पाठ्यक्रम को बदलने की मांग की है। राजस्थान गाड़िया लोहार युवा विकास संस्था, पुष्कर (अजमेर) के तत्वावधान में चितौडगढ़, नागौर, श्री गंगानगर, जैसलमेर, पाली, देवगढ़ (राजसमंद), प्रतापगढ़, रायपुर (भीलवाड़ा), उदयपुर, डूंगरपुर, चूरू, बूंदी, सवाईमाधोपुर, दौसा, पीलीबंगा (हनुमानगढ़), ब्यावर (अजमेर) और बांसवाड़ा में ज्ञापन दिए गए हैं।
संघर्ष करने वाला समाज है गाड़ोलिया लोहार
जिनका होता है गाड़ी में घर, वो कहलाते हैं गाड़िया लोहार। बैलगाड़ी इनका घर है और लोहारी इनका पेशा। इसीलिए इनको 'गाड़िया लोहार' कहा जाता है। राजस्थान व देश के अन्य हिस्सों में इन्हें गाड़ोलिया लोहार के नाम से भी जाना जाता है। इतिहास प्रसिद्ध गाड़िया लोहार महाराणा प्रताप की सेना के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चले थे। प्रताप की सेना के लिए घोड़ों की नाल, तलवार और अन्य हथियार बनाते थे। आज वे दर-दर की ठोकरें खाते हुए एक घुमक्कड़ जिन्दगी बिता रहे हैं। ‘Akbar’ महान या ‘Maharana Pratap’? अब Vasundhara Raje की नाराजगी, Ashok Gehlot सरकार पर साधा निशानामेवाड़ में महाराणा प्रताप ने जब मुगलों से लोहा लिया और मेवाड़ मुगलों के कब्जे में आ गया। तब महाराणा की सेना में शामिल गाड़िया लोहारों ने प्रण लिया कि जब तक मेवाड़ मुगलों से आजाद नहीं हो जाता और महाराणा गद्दी पर नहीं बैठते, तब तक हम कहीं भी अपना घर नहीं बनाएंगे और अपनी मातृभूमि पर नहीं लौटेंगे। तब से आज तक अपने प्रण का पालन करते हुए गाड़िया लोहार यायावरी का जीवन बिता रहे हैं। सरकारी योजनाओं के नाम पर आने वाला बजट इन तक पहुंचते—पहुंचते खर्च हो जाता है। ऐसे में यह समाज आज भी संघर्ष ही कर रहा है। 'हल्दी लगी महिलाएं युद्ध में लड़ीं, इसलिए उस जगह को हल्दीघाटी कहते हैं' मेवाड़ का इतिहास कलंकित करने की कोशिश
गाड़ोलिया लोहारों का महाराणा प्रताप के प्रति प्रेम ही है कि उनके समय में ली गई पूर्वजों की सौगंध को ये आज भी निभा रहे हैं। ऐसे में अपने आदर्श महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र से खिलवाड़ इन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा है और पाठ्यक्रम को बदलने की मांग की है। राजस्थान गाड़िया लोहार युवा विकास संस्था, पुष्कर (अजमेर) के तत्वावधान में चितौडगढ़, नागौर, श्री गंगानगर, जैसलमेर, पाली, देवगढ़ (राजसमंद), प्रतापगढ़, रायपुर (भीलवाड़ा), उदयपुर, डूंगरपुर, चूरू, बूंदी, सवाईमाधोपुर, दौसा, पीलीबंगा (हनुमानगढ़), ब्यावर (अजमेर) और बांसवाड़ा में ज्ञापन दिए गए हैं।