Vikrant Shekhawat : Apr 25, 2023, 01:39 PM
Anand Mohan: बिहार के कानून विभाग ने सोमवार को मुजफ्फरपुर में 1994 में आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की पीट-पीट कर हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह समेत छूट पर रिहा होने वाले कैदियों की सूची जारी की. सूची में आनंद मोहन का नाम 11वें पायदान पर था. वह फिलहाल अपने बेटे और RJD विधायक चेतन आनंद की शादी के लिए पैरोल पर है.हत्या के मामले में 14 साल जेल की सजा काट चुके पूर्व सांसद को अच्छे व्यवहार के आधार पर रिहा किया गया है. गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी कृष्णया की हत्या उस समय हुई जब अंडरवल्र्ड डॉन छोटन शुक्ला के शव को श्मशान घाट ले जा रहे उनके समर्थकों ने उनकी कार पर हमला कर दिया और पीट-पीटकर मार डाला. एक ट्रायल कोर्ट ने बाहुबली नेता को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन उन्होंने पटना हाईकोर्ट में अपील की, जिसने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की थी लेकिन इसने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. आनंद मोहन के अलावा, 26 और लोगों को रिहाई के लिए निर्धारित किया गया, जिसमें एक अन्य बाहुबली नेता राज बल्लभ यादव भी शामिल हैं, जो दुष्कर्म के एक मामले में जेल की सजा काट रहे हैं.आनंद मोहन की रिहाई पर विवाद जेल नियमावली को बदलने के कदम की आलोचना करते हुए उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने हाल में ट्वीट किया था, आंध्रप्रदेश (अब तेलंगाना) के महबूबनगर के दलित समुदाय के बेहद ईमानदार आईएएस अधिकारी की निर्मम हत्या के मामले में आनंद मोहन को रिहा करने के लिए नियमावली में बदलाव की नीतीश सरकार की तैयारी देशभर में दलित विरोधी कारणों से दलितों के बीच चर्चा का विषय है. उन्होंने कहा कि देशभर में दलितों की भावनाएं इस कदम से आहत हुई हैं. इसे नीतीश कुमार की ‘अपराध के पक्ष में’ और ‘दलित के विरोध में ’ करार देते हुए मायावती ने बिहार सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है.मायावती के आरोपों पर सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता और राज्य के ग्राम विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा, समाज के सभी वर्गों के कल्याण को ध्यान में रखकर राजय सरकार द्वारा निर्णय लिये जाते हैं. अन्य जदूय नेता और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि मायावती को नीतीश कुमार पर बोलने का ‘ कोई नैतिक अधिकार नहीं’ है क्योंकि उन्होंने दलितों एवं अन्य कमजोर तबकों की भावनाओं का ‘शोषण’ किया जबकि बिहार के मुख्यमंत्री ने उनके विकास का काम किया.