Anand Mohan / आनंद मोहन होगा रिहा! रिहाई में पेच फंसाने वाला वो कानून जिसे बदला गया और आगे क्या, जानिए?

बिहार की सहरसा जेल में बंद पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. बिहार सरकार ने कानून में संसोधन करते उस रुकावट को ही खत्म कर दिया है जो रिहाई में बाधा बन रही थी. आनंद मोहन पर गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी जो बाद में उम्रकैद में तब्दील कर दी गई थी.आनंद मोहन को फरवरी में बेटी की शादी में शामिल होने की पैरोल दी गई थी.

Vikrant Shekhawat : Apr 15, 2023, 02:40 PM
Anand Mohan: बिहार की सहरसा जेल में बंद पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. बिहार सरकार ने कानून में संसोधन करते उस रुकावट को ही खत्म कर दिया है जो रिहाई में बाधा बन रही थी. आनंद मोहन पर गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी जो बाद में उम्रकैद में तब्दील कर दी गई थी.आनंद मोहन को फरवरी में बेटी की शादी में शामिल होने की पैरोल दी गई थी. पैरोल खत्म होने के बाद उसे वापस जेल भेज दिया गया था.

जानिए बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई में सबसे बड़ी बाधा क्या थी, बिहार सरकार ने कानून में क्या बदलाव किया और इससे कितना फर्क पड़ेगा.

क्या था वो कानून जिसके कारण रिहाई का पेच फंसा था?

आनंद मोहन की रिहाई में सबसे बड़ी बाधा थी बिहार की रिमिशन (परिहार) पॉलिसी-1984. साल 2002 में इसमें परिवर्तन किए गए थे. बदलाव के मुताबिक, 5 अलग-अलग तरह की कैटेगरी के आरोप में सजा काट रहे कैदियों की रिहाई न करने का प्रावधान था. इन पांच कैटेगरी में एक से अधिक हत्या, बलात्कार, डकैती, आतंकी साजिश को अंजाम देना या रचने और गवर्नमेंट ऑफिसर की हत्या के दोषियों को शामिल किया गया था

जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन पिछले 14 साल की सजा काट चुका है, लेकिन सरकार के पुराने प्रावधान के कारण रिहाई नहीं हो पा रही थी. यही सबसे बड़ा पेच था. जिसे बिहार सरकार ने खत्म कर दिया है.

कानून में क्या बदलाव हुआ कि रिहाई का रास्ता साफ हुआ?

बिहार सरकार ने कानून में संशोधन किया है. दरअसल, पिछले कानून की पांचवी कैटेगरी थी सरकारी अधिकारी की हत्या, जिसे अंजाम देने वाले कैदी की रिहाई न होने का प्रावधान था, उसमें 10 अप्रैल, 2023 को बदलाव किया गया.

बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में बदलाव करके उस लाइन को हटा दिया गया है जिसमें सरकारी अधिकारी की हत्या को शामिल किया गया था. अब नौकरी पर तैनात सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिनी जाएगी. इसे साधारण हत्या माना जाएगा. यही वजह है कि अब आनंद मोहन की रिहाई आसान हो जाएगी क्योंकि पांचवी कैटेगरी को अपवाद नहीं सामान्य माना जाएगा. इसलिए हत्या के दूसरे मामलों की तरह कैदी की रिहाई हो सकेगी.

बिहार में कानून में हुए संशोधन की प्रति.

इसका असर क्या होगा?

कानून में संशोधन का व्यापक असर पड़ेगा. इससे उन कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ होगा जिनपर सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की हत्या का आरोप है. कानून में संशोधन के बाद सरकारी कर्मचारी की हत्या को लेकर जो अपराधिकयों में जो डर होता था वो खत्म होगा क्योंकि उसे सामान्य हत्या के मामले की तरह ही माना जाएगा.