Vikrant Shekhawat : Feb 09, 2021, 10:51 AM
उत्तराखंड के ऋषिगंगा में बाढ़ का कारण नंदा देवी ग्लेशियर के कुछ हिस्से का टूटना बताया जा रहा है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक और ग्लेशियर विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि दुर्घटना ग्लेशियर के गिरने के कारण नहीं बल्कि भूस्खलन के कारण हुई थी। आइए जानते हैं कि चमोली की घटना के बारे में ये वैज्ञानिक क्या दावा कर रहे हैं।
कैलगरी के भूविज्ञानी और ग्लेशियर विशेषज्ञ डॉ। डैन शुगर ने प्लैनेट लैब्स की उपग्रह छवियों की जांच करने के बाद दावा किया कि चमोली दुर्घटना ग्लेशियर टूटने के कारण नहीं हुई है। त्रिशूल पर्वत पर हुए इस भूस्खलन ने नीचे के ग्लेशियर पर दबाव डाला है।प्लेनेट लैब्स की सैटेलाइट तस्वीरों से साफ़ पता चलता है कि हादसे के समय त्रिशूल पर्वत पर काफी धूल उड़ रही है। घटना के पहले और बाद की तस्वीरों को देखने के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से ज्ञात है। ऊपर से धूल और गंदगी नीचे की ओर आई और उसके बाद फ्लैश में बाढ़ आ गई।डॉक्टर डैन शुगर ने अपने ट्वीट में कहा है कि ग्लेशियर के ऊपर W आकार में भूस्खलन हुआ है। जिसकी वजह से ऊपर लटका हुआ ग्लेशियर तेजी से नीचे आया है। जबकि पहले की रिपोर्टों में, यह खुलासा किया जा रहा था कि दुर्घटना ग्लेशियर के टूटने के कारण हुई। उपग्रह चित्रों से यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि दुर्घटना के समय, कोई ग्लेशियर झील नहीं थी। न ही इसकी वजह से कोई फ्लैश फ्लड हुआ है। सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर, डॉक्टर सुगर ने दावा किया है कि दुर्घटना से ठीक पहले त्रिशूल पर्वत के ऊपर हवा में एल आकार में धूल और नमी देखी गई है। सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि पहाड़ के ऊपरी हिस्से में किसी भी ग्लेशियर झील के बनने या टूटने का कोई सबूत नहीं है। भूस्खलन के कारण हिमस्खलन के कारण ऐसा हुआ होगा।
कैलगरी के भूविज्ञानी और ग्लेशियर विशेषज्ञ डॉ। डैन शुगर ने प्लैनेट लैब्स की उपग्रह छवियों की जांच करने के बाद दावा किया कि चमोली दुर्घटना ग्लेशियर टूटने के कारण नहीं हुई है। त्रिशूल पर्वत पर हुए इस भूस्खलन ने नीचे के ग्लेशियर पर दबाव डाला है।प्लेनेट लैब्स की सैटेलाइट तस्वीरों से साफ़ पता चलता है कि हादसे के समय त्रिशूल पर्वत पर काफी धूल उड़ रही है। घटना के पहले और बाद की तस्वीरों को देखने के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से ज्ञात है। ऊपर से धूल और गंदगी नीचे की ओर आई और उसके बाद फ्लैश में बाढ़ आ गई।डॉक्टर डैन शुगर ने अपने ट्वीट में कहा है कि ग्लेशियर के ऊपर W आकार में भूस्खलन हुआ है। जिसकी वजह से ऊपर लटका हुआ ग्लेशियर तेजी से नीचे आया है। जबकि पहले की रिपोर्टों में, यह खुलासा किया जा रहा था कि दुर्घटना ग्लेशियर के टूटने के कारण हुई। उपग्रह चित्रों से यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि दुर्घटना के समय, कोई ग्लेशियर झील नहीं थी। न ही इसकी वजह से कोई फ्लैश फ्लड हुआ है। सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर, डॉक्टर सुगर ने दावा किया है कि दुर्घटना से ठीक पहले त्रिशूल पर्वत के ऊपर हवा में एल आकार में धूल और नमी देखी गई है। सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि पहाड़ के ऊपरी हिस्से में किसी भी ग्लेशियर झील के बनने या टूटने का कोई सबूत नहीं है। भूस्खलन के कारण हिमस्खलन के कारण ऐसा हुआ होगा।
Satellite images from @planetlabs show that the disaster in Uttarakhand's Chamoli district on Sunday was caused by a large landslide onto a glacier, which transitioned into the flood. The first person to identify this was Dr Dan Shugar - @WaterSHEDLab https://t.co/3TCh2Cf0nt pic.twitter.com/ygmxU3uXqa
— Dave Petley (@davepetley) February 7, 2021
प्लैनेट लैब्स के सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट ने सैटेलाइट इमेज के आधार पर घटना की 3 डी इमेज बनाई। इसके बाद, उन्होंने ट्वीट किया कि त्रिशूल पर्वत के ऊपरी हिस्से में कीचड़ और धूल थी, जो भारी वजन के कारण बर्फ की मोटी परत पर गिर गया। इसके बाद तेज हिमस्खलन हुआ, जिससे फ्लैश फ्लड आई। कोपर्निकस सेंटिनल -2 उपग्रह से ली गई तस्वीरों में नंदा देवी ग्लेशियर के ऊपर दरारें देखी गईं। अगर आप इन तस्वीरों को देखेंगे तो पता चलता है कि त्रिशूल पर्वत के ऊपरी हिस्से में दरारें देखी गई हैं। उसी समय, बॉब ओ मैकनाब नाम के ट्विटर हैंडल से दो तस्वीरें पोस्ट की गई थीं, जिसमें कहा गया था कि 5 फरवरी को जो दरारें देखी गई थीं, वह 6 फरवरी को नहीं दिखाई दी थीं। इन सभी ट्वीट्स के अनुसार और विशेषज्ञ जिस बात का जिक्र कर रहे हैं, नंदादेवी ग्लेशियर के ऊपर त्रिशूल पर्वत पर चट्टानों की टुकड़ी हुई है। यानी लगभग 2 लाख वर्ग मीटर बर्फ, बर्फ की परत धूल और मिट्टी के नीचे गिरने के कारण सीधे 2 किलोमीटर नीचे गिर गई। इसके कारण घाटी के निचले हिस्से में बहुत दबाव था, जिसके बाद कीचड़, पानी, पत्थर और बर्फ हिमस्खलन के रूप में नीचे आ गए। जब हिमस्खलन तल में नंदादेवी ग्लेशियर से टकराया, तो इससे काफी दबाव और गर्मी पैदा हुई, जिससे ग्लेशियर लगभग 3.5 किलोमीटर चौड़ा हो गया। इसके बाद ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियाँ बहती हैंWOW - @planetlabs has updated image of #UttarakhandDisaster. Looks like massive dust deposition over much of W side of the valley and the trigger appears to be the landslide scar that I discovered a few minutes ago. So NOT a typical GLOF. @davepetley @BhambriRakesh @irfansalroo https://t.co/kXF2fNp2ui pic.twitter.com/m04DXLJnv1
— Dr Dan Shugar (@WaterSHEDLab) February 7, 2021