Vikrant Shekhawat : Feb 14, 2021, 05:40 PM
चमोली, उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के फटने से हुई तबाही के बाद खोज और बचाव अभियान जारी है। इस बीच आज 12 शव निकाले गए। इसके साथ, अब बरामद शवों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है। चमोली की डीएम स्वाति भदोरिया का कहना है कि सुरंग में बचाव अभियान तेज किया जाएगा। हालांकि, मौसम विभाग के अनुसार, 14 से 16 फरवरी तक पूरे इलाके में मौसम खराब रहेगा। बारिश की संभावना है, ऐसे में बचाव दल की परेशानी बढ़ सकती है।
जबकि उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि 7 फरवरी से तपोवन सुरंग में बचाव अभियान चल रहा है। रविवार को सुरंग से दो शवों को निकाला गया। उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान बचाव कार्य में लगे हुए हैं। एनडीआरएफ अब कैमरे के माध्यम से सुरंग के भीतर लोगों को खोजने की कोशिश करेगा।डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि आपदा के बाद, ऋषि गंगा की ऊपरी धारा में बनी झील से फिलहाल कोई खतरा नहीं है। इस झील से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। इस झील की उपस्थिति के कारण खतरे की संभावना थी। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने इसकी जांच की। टीम ने झील के स्थलीय निरीक्षण के बाद झील की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, और शीर्ष अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी है।
डीजीपी ने झील के किनारे एक चेतावनी स्वचालित अलार्म प्रणाली स्थापित करने के लिए भी कहा है। यह सिस्टम तब इस्तेमाल में आएगा जब झील से बड़ा खतरा होगा, तब सिस्टम ऑटोमैटिक अलार्म देकर लोगों को अलर्ट करेगा। यह प्रणाली पेंग गांव, रैनी और तपोवन में स्थापित की जाएगी। डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि जब तक अलार्म सिस्टम नहीं मिलेगा तब तक एसडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है, जो अलार्म सिस्टम के रूप में काम करेंगी। टीम तीनों गांवों में रहेगी।
गौरतलब है कि रविवार (7 फरवरी) को उत्तराखंड के चमोली में ऋषि गंगा नदी में ग्लेशियर फटने से तबाही हुई थी। बाढ़ ने कई गांवों में तबाही मचाई। तब से, आपदा में फंसे सैकड़ों लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान दिन-रात चल रहा है।
जबकि उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि 7 फरवरी से तपोवन सुरंग में बचाव अभियान चल रहा है। रविवार को सुरंग से दो शवों को निकाला गया। उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान बचाव कार्य में लगे हुए हैं। एनडीआरएफ अब कैमरे के माध्यम से सुरंग के भीतर लोगों को खोजने की कोशिश करेगा।डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि आपदा के बाद, ऋषि गंगा की ऊपरी धारा में बनी झील से फिलहाल कोई खतरा नहीं है। इस झील से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। इस झील की उपस्थिति के कारण खतरे की संभावना थी। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने इसकी जांच की। टीम ने झील के स्थलीय निरीक्षण के बाद झील की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, और शीर्ष अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी है।
डीजीपी ने झील के किनारे एक चेतावनी स्वचालित अलार्म प्रणाली स्थापित करने के लिए भी कहा है। यह सिस्टम तब इस्तेमाल में आएगा जब झील से बड़ा खतरा होगा, तब सिस्टम ऑटोमैटिक अलार्म देकर लोगों को अलर्ट करेगा। यह प्रणाली पेंग गांव, रैनी और तपोवन में स्थापित की जाएगी। डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि जब तक अलार्म सिस्टम नहीं मिलेगा तब तक एसडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है, जो अलार्म सिस्टम के रूप में काम करेंगी। टीम तीनों गांवों में रहेगी।
गौरतलब है कि रविवार (7 फरवरी) को उत्तराखंड के चमोली में ऋषि गंगा नदी में ग्लेशियर फटने से तबाही हुई थी। बाढ़ ने कई गांवों में तबाही मचाई। तब से, आपदा में फंसे सैकड़ों लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान दिन-रात चल रहा है।