Gold Price Delhi / सिर्फ 4 महीने में Gold ने दिया 25% रिटर्न, क्या यही है खरीदने का सबसे सही वक्त?

साल 2025 के पहले चार महीनों में सोने ने 25% की तेजी दिखाई है। भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर और सुरक्षित निवेश की मांग ने इसकी कीमतों को रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचाया। एक्सपर्ट्स लॉन्ग टर्म में खरीदारी की सलाह देते हैं, लेकिन शॉर्ट टर्म में सतर्क रहने की चेतावनी भी दी है।

Gold Price Delhi: साल 2025 के पहले चार महीनों में सोना निवेशकों के लिए किसी सुनहरे मौके से कम नहीं रहा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) और कॉमेक्स (COMEX) दोनों पर सोने ने करीब 25% की जोरदार बढ़त दर्ज की है और यह अब तक के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच चुका है। इस तेजी के पीछे कई महत्वपूर्ण वजहें रही हैं, जिनमें भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर और वैश्विक स्तर पर बढ़ती महंगाई जैसी परिस्थितियां प्रमुख हैं।

सेफ हेवन की ओर झुकाव

जब दुनिया अनिश्चितता के दौर से गुजर रही हो, तब निवेशक अपने पैसे को सुरक्षित एसेट्स में लगाना पसंद करते हैं। सोना इस मामले में हमेशा से एक सेफ हेवन एसेट माना गया है। यही कारण है कि न केवल आम निवेशक बल्कि संस्थागत निवेशक और केंद्रीय बैंक भी इस समय सोने की खरीदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

विशेषज्ञों की राय: आउटलुक पॉजिटिव लेकिन रणनीति अहम

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के नवनीत दमानी के मुताबिक, वर्तमान की नीतिगत अनिश्चितता और भू-राजनीतिक हालात में सोना एक मजबूत विकल्प बना हुआ है। उनका मानना है कि जब तक वैश्विक तनावों का कोई ठोस समाधान नहीं निकलता, तब तक 'बाइंग ऑन डिप' यानी हर गिरावट पर खरीदारी की रणनीति अपनाना समझदारी होगी।

वहीं, वेंचुरा के एनएस रामस्वामी ने थोड़ी सतर्क राय दी है। उनका कहना है कि मौजूदा उच्च स्तर पर सोने में खरीदारी करना जोखिम भरा हो सकता है। वे सलाह देते हैं कि निवेशकों को प्राइस करेक्शन का इंतजार करना चाहिए, ताकि वे सही मौके पर एंट्री ले सकें। उनका मानना है कि शॉर्ट टर्म में सोने की तेजी अब अपने चरम पर हो सकती है।

निवेश की समझदारी: टुकड़ों में करें निवेश

वीटी मार्केट्स के रॉस मैक्सवेल की सलाह है कि अगर आप लॉन्ग टर्म वेल्थ प्रोटेक्शन के लिए या आर्थिक संकट से बचाव के लिए सोना खरीदना चाहते हैं, तो आपको एक साथ भारी निवेश करने की बजाय छोटे-छोटे हिस्सों में खरीदारी करनी चाहिए। इससे आप संभावित करेक्शन के जोखिम से भी बच पाएंगे और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।