Vikrant Shekhawat : Oct 11, 2020, 07:47 AM
गुवाहाटी: असम सरकार ने सरकारी पैसे से धार्मिक शिक्षा को रोकने का फैसला क्या किया। असम सरकार का कहना है कि अब जनता के पैसे की बर्बादी नहीं होगी। असम सरकार ने कहा है कि सार्वजनिक धन से धार्मिक शिक्षा का कोई प्रावधान नहीं है। यह आदेश असम के संस्कृत स्कूलों पर भी लागू होगा। वहीं, विपक्ष के नेता ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। बदरुद्दीन अजमल ने कहा है कि अगर सरकार आती है, तो निर्णय वापस कर दिया जाएगा।
अगले महीने जारी होगा नोटिफिकेशनअसम के मंत्री, हेमंत बिस्वा शर्मा ने घोषणा की है कि राज्य के सभी सरकारी मदरसे बंद रहेंगे। उन्होंने कहा है कि सार्वजनिक धन से धार्मिक शिक्षा देने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए सरकारी मदरसों का संचालन नहीं किया जाएगा। साथ ही सरकारी मदद से चलने वाले संस्कृत विद्यालय भी अब बंद हो जाएंगे। इस संबंध में अधिसूचना अगले महीने जारी की जाएगी।
बन सकता है चुनावी मुद्दाअसम सरकार के इस बयान पर एआईयूडीएफ प्रमुख और लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि अगर भाजपा की राज्य सरकार सरकारी मदरसों को बंद कर देती है, तो उनकी सरकार उन्हें फिर से खोल देगी। बता दें कि अगले साल अमास में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाने के लिए तैयार है।
अगले महीने जारी होगा नोटिफिकेशनअसम के मंत्री, हेमंत बिस्वा शर्मा ने घोषणा की है कि राज्य के सभी सरकारी मदरसे बंद रहेंगे। उन्होंने कहा है कि सार्वजनिक धन से धार्मिक शिक्षा देने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए सरकारी मदरसों का संचालन नहीं किया जाएगा। साथ ही सरकारी मदद से चलने वाले संस्कृत विद्यालय भी अब बंद हो जाएंगे। इस संबंध में अधिसूचना अगले महीने जारी की जाएगी।
बन सकता है चुनावी मुद्दाअसम सरकार के इस बयान पर एआईयूडीएफ प्रमुख और लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि अगर भाजपा की राज्य सरकार सरकारी मदरसों को बंद कर देती है, तो उनकी सरकार उन्हें फिर से खोल देगी। बता दें कि अगले साल अमास में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाने के लिए तैयार है।