प्रत्येक व्रत अपने आप में बेहद खास होता है, लेकिन हरियाली तीज का व्रत भगावन शिव और माता पार्वती के पुर्नमिलन का का प्रतीक है। मान्यता है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठिन तप किया और भगवान शिव ने उनकी तपस्या स्वीकार कर उन्हें पत्नि रुप में स्वीकार किया वह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी।
Hariyali Teej 2020: प्रत्येक व्रत अपने आप में बेहद खास होता है, लेकिन हरियाली तीज का व्रत भगावन शिव और माता पार्वती के पुर्नमिलन का का प्रतीक है। मान्यता है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठिन तप किया और भगवान शिव ने उनकी तपस्या स्वीकार कर उन्हें पत्नि रुप में स्वीकार किया वह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी। इसलिए भगवान शिव ने इस तिथि को सुहागिन महिलाओं के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। तभी से सुहागिन महिला व्रत रखती हैं और अखंड सौभाग्य के लिए भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करती है। इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं को सौभाग्य और मन चाहे वर की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताएंगे कि हरियाली तीस साल 2020 में कब मनाई जाएगी, हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा, उसकी तारीख क्या रहेगी और हरियाली तीज की पूजा विधि क्या है। हरियाली तीज 2020 मे कब है। साल 2020 में हरियाली तीज का पर्व 23 जुलाई गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। हरियाली तीज 2020 शुभ मुहूर्त तृतीया तिथि का आरंभ 22 जुलाई 2020 बुधवार शाम 7 बजकर 21 मिनट होगा। तृतीया तिथि का समापन - 23 जुलाई 2020 गुरुवार शाम 5 बजकर 2 मिनट पर हरियाली तीज 2020 पूजा विधि हरियाली तीज या श्रावण तीज का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। सौभाग्य प्राप्ति के लिए रखने जाने वाला यह व्रत सावन के महीने में आने के कारण हरियाली तीज के नाम से काफी प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती पुर्नमिलन हुआ था, इस सौभाग्य और मन चाहे पति व्रत रखने की परंपरा है। सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन प्रातकाल उठकर घर और मंदिर की सफाई स्नान आदि से निवृत होकर घर को तोरण से सजाएं। इसके बाद सोलह श्रंगार कर ए चौकी पर साफ मिट्टी में गंगाजल मिलाकर भगवान गणेश, शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं और इनका श्रंगार करें। इस दिन सभी देवाताओं का आवाहृान कर विधिवत पूजा करें। सुहाग का सामान माता पार्वती को अर्पित कर तीज व्रत की कथा सुनें। अंत में मा गौरी से सुहाग की कामना करते हुए दिव्य पूजा संपन्न करें।