Rajasthan News / क्या कांग्रेस ने छोड़ दिया पायलट का साथ? अब गहलोत के साथ करेंगे दो-दो हाथ

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सूब में सत्ता पर काबिज कांग्रेस को बीजेपी व अन्य के मुकाबले खुद के नेताओं से ही ज्यादा खतरा है. राजस्थान कांग्रेस में मचे बवाल की आग शांत होती नजर नहीं आ रही है. समय मिलते ही कांग्रेस नेता सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर देते हैं. वर्तमान में पायलट की एक मांग ने एक बार फिर कांग्रेस के अंदर ही घमासान पैदा कर दिया है.

Vikrant Shekhawat : Apr 10, 2023, 10:36 AM
Rajasthan News: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सूब में सत्ता पर काबिज कांग्रेस को बीजेपी व अन्य के मुकाबले खुद के नेताओं से ही ज्यादा खतरा है. राजस्थान कांग्रेस में मचे बवाल की आग शांत होती नजर नहीं आ रही है. समय मिलते ही कांग्रेस नेता सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर देते हैं. वर्तमान में पायलट की एक मांग ने एक बार फिर कांग्रेस के अंदर ही घमासान पैदा कर दिया है. 

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने राज्य विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने वर्तमान की अशोक गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी बीजेपी नेताओं के खिलाफ नरमी बरतने और उन्हें फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. दिसंबर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान है. पायलट के वर्तमान के कदम पर कांग्रेस में तनाव बढ़ गया है.

रंधावा का पायलट पर पलटवार 

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पायलट के तरीके पर सवाल खड़ा करते हुए इसे पूर्ण रूप से गलत बताया है. रंधावा का कहना है कि अगर कोई बात थी तो पहले उन्हें उनके सामने उठाना चाहिए था. पिछले साल दिसंबर में राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी बने रंधावा ने कहा कि उन्होंने दिसंबर से अब तक 20 बार से ज्यादा पायलट के साथ बैठक की है लेकिन कभी भी पायलट ने ऐसी कोई बात सामने नहीं रखी. हालांकि, उन्होंने कहा कि वो पायलट से मिलकर बात करेंगे. 

न्यूज एजेंसी पीटीआई से उन्होंने कहा, ‘हमने गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कार्रवाई की, यहां तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर किया. दूसरी बात यह है कि हमने राजस्थान में जो किया है, किसानों के कर्ज माफ करने, बिजली बिल पर, सिलेंडर पर सब्सिडी, पुरानी पेंशन योजना वापस लाने जैसी योजना, उन्हें (पायलट) उस बारे में बात करनी चाहिए थी और फिर कहना था कि अब हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. लेकिन यह उचित नहीं था.’

पायलट ने क्या कहा?

दरअसल, सचिन पायलट ने पहले की भाजपा सरकार में हुए ‘भ्रष्टाचार’ पर जांच की मांग को लेकर 11 अप्रैल को जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि महात्मा ज्योति बा फूले की जयंती वाले दिन शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करेंगे. ज्योतिबा फुले सैनी समुदाय से थे, गहलोत भी इसी समुदाय से आते हैं.

पायलट ने अपने निवास पर कहा, ‘पिछली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार पर (गहलोत सरकार द्वारा) कोई कार्रवाई नहीं की गई. विपक्ष में रहते हुए हमने वादा किया था कि 45,000 करोड़ रुपये के खदान घोटाले की जांच कराई जाएगी. चुनाव होने में 6-7 महीने बचे हैं, विरोधी भ्रम फैला सकते हैं कि कुछ मिलीभगत है. इसलिए कार्रवाई जल्द करनी होगी ताकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लगे कि हमारी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है.’

कांग्रेस आलाकमान किसके साथ?

सचिन पायलट के गहलोत सरकार पर आरोप लगाए जाने के बाद पार्टी आलाकमान ने गहलोत के पक्ष में कहा कि सरकार ने प्रदेश को नेतृत्व की स्थिति में लाया है. सरकार अपने कामों के बल पर जनता से वोट मांगेगी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि गहलोत की अगुवाई में राजस्थान सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाएं लागू की हैं. साथ ही नए पहल भी किए हैं. जयराम रमेश के बयान से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस आलाकमान मजबूती के साथ अशोक गहलोत के साथ खड़ा है.

बीजेपी ने भी साधा निशाना

पायलट द्वारा बीजेपी शासनकाल में भ्रष्टाचार के होने के आरोप लगाए जाने पर नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सचिन पायलट को कांग्रेस सरकार के 4 साल 4 महीने के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की भी निष्पक्ष जांच की मांग उठानी चाहिए थी. उन्होंने कहा, ‘पायलट को पूर्ववर्ती भाजपा शासन पर अनर्गल आरोप लगाने की बजाय, अपनी ही कांग्रेस सरकार के 4 साल 4 माह के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की भी निष्पक्ष जांच की मांग उठानी चाहिए थी. लेकिन दुर्भाग्य रहा कि उन्होंने अपनी ही सरकार के काले कारनामों पर एक शब्द भी नहीं बोला.’

बीजेपी ने गिनाए कांग्रेस के घोटाले

राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार का तांडव है. अच्छा होगा कि मुख्यमंत्री के कारनामों की भी जांच कराई जाए. उन्होंने कहा कि पायलट को अडानी समूह को आरटीपीपी अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए टेंडर के जरिये 1042 करोड़ रुपये से अब तक का सबसे महंगा 5.79 मिलियन टन कोयला खरीदने की मंजूरी देने के मामले में हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग करनी चाहिए. राठौड़ ने प्राइवेट बिजली उत्पादनकर्ताओं से महंगी बिजली खरीद घोटाला तथा जयपुर, जोधपुर व अजमेर डिस्कॉम मामले की भी जांच की मांग दोहराई.