कोरोना अलर्ट / बेटे की बीमारी की खबर सुनकर दौड़ पड़ी 'मां', 2700 किमी का सफर कर पहुंची जोधपुर

कोविड-19 की इस महामारी के चलते जहां पूरे देश में सख्ती से लॉकडाउन लगा हुआ है, वहां एक मां की ममता के सामने प्रशासन को भी झुकना पड़ा। इस मां ने लॉकडाउन में भी अपने बीमार बेटे से मिलने के 2700 किमी का सफर तय कर डाला। इस मां को ना हिंदी भाषा आती है और ना ही इंग्लिश। फिर भी वह केरल से 6 राज्यों की सीमा पार करते हुए 2700 किलोमीटर का सफर कर अपने बेटे से मिलने के लिए आखिरकार राजस्थान के जोधपुर पहुंच ही गई।

News18 : Apr 18, 2020, 06:08 PM
जोधपुर। कोविड-19 (COVID-19) की इस महामारी के चलते जहां पूरे देश में सख्ती से लॉकडाउन (Lockdown) लगा हुआ है, वहां एक मां की ममता के सामने प्रशासन को भी झुकना पड़ा। इस मां ने लॉकडाउन में भी अपने बीमार बेटे से मिलने के 2700 किमी का सफर तय कर डाला। इस मां को ना हिंदी भाषा आती है और ना ही इंग्लिश। फिर भी वह केरल (Kerala) से 6 राज्यों की सीमा पार करते हुए 2700 किलोमीटर का सफर कर अपने बेटे से मिलने के लिए आखिरकार राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur) पहुंच ही गई।

केरल निवासी अरुण बीएसएफ में है

दरअसल इस मां सिलम्मा का बेटा अरुण बीएसएफ में है और वर्तमान में जैसलमेर में पदस्थापित है। अरुण केरल के कोट्टयम जिले के पनाकाचिर गांव का रहने वाला है। वह फरवरी माह में डयूटी पर लौटा था। यहां बीमार हो जाने पर बीएसएफ ने अरुण को एम्स में भर्ती करवाया और परिवार को सूचना दी। इस बीच भारतभर लॉकडाउन हो गया। उधर अरुण की तबीयत धीरे-धीरे और खराब होती गई। उसे मेडिसिन वार्ड से आईसीयू में शिफ्ट कर वेंटिलेटर पर लेना पड़ा।

3 दिन में 6 राज्यों की सीमा पार करते हुए जोधपुर पहुंची मां

अरुण की मां सिलम्मा को जैसे ही इसकी सूचना मिली तो उसने स्थानीय राजनेताओं की मदद से केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन तक अपनी बात पहुंचाई। सरकार के निर्देश पर कोटयम कलक्टर ने अरुण की मां और उसकी पुत्रवधू के लिए पास बनाए। निजी संगठन ने कार की व्यवस्था की। लेकिन मां और उसकी पुत्रवधू दोनों को ही ना तो अंग्रेजी आती है ना हिंदी। ऐसे में वह अपने साथ अंग्रेजी जानने वाले रिश्तेदार को लेकर आए। रिश्तेदार के जरिए ही बात कर 3 दिन में 6 राज्यों की सीमा पार करते हुए जोधपुर पहुंचे।

अरुण को अब वेंटिलेटर से हटाकर वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है

मां की ममता की छांव एम्स में पड़ते ही आईसीयू में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत से जूझ रहा उसका बेटा अब तेजी से ठीक होने लगा है। डॉक्टर्स ने अब उसे वेंटिलेटर से हटाकर वार्ड में शिफ्ट कर दिया है। अब बेटा मां से बतिया रहा है। बीएसएफ ने स्थानीय पुलिस की मदद से सिल्लमा और उसकी पुत्रवधू का रहने खाने का इंतजाम एम्स के पास स्थित माहेश्वरी धर्मशाला में किया है।

मांसपेशियों की बीमारी जीबी सिंड्रोम से पीड़ित है अरुण

दरअसल अरुण मांसपेशियों की बीमारी जीबी सिंड्रोम से पीड़ित है। इसमें मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। अंत में स्वश्न तंत्र की मांसपेशियां भी इसकी चपेट में आने लगती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। लेकिन अब जब अरुण को मां की छांव मिल चुकी है तो वह उसकी ममता पाकर वह धीरे-धीरे ठीक होने लगा है।