Corona Crisis / कोरोना के चलते यहां बेरोजगार हुईं लड़कियां, प्राइवेट तस्वीरें बेचने को मजबूर

कोरोना (Coronavirus) महामारी ने लोगों को बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से भी प्रभावित किया है। कई लोगों को अपनी नौकरी (Jobs) से हाथ धोना पड़ा है, तो कई पहले से कम सैलरी में काम करने को मजबूर हैं। इस ‘मजबूरी’ में लोग ऐसे काम भी करने लगे हैं, जिसे समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता। ब्रिटेन (UK) में आर्थिक तंगी के चलते कॉलेज जाने वालीं लड़कियां जिस्मफरोशी के दलदल में उतर रही हैं।

Vikrant Shekhawat : Apr 14, 2021, 01:45 PM
लंदन: कोरोना (Coronavirus) महामारी ने लोगों को बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से भी प्रभावित किया है। कई लोगों को अपनी नौकरी (Jobs) से हाथ धोना पड़ा है, तो कई पहले से कम सैलरी में काम करने को मजबूर हैं। इस ‘मजबूरी’ में लोग ऐसे काम भी करने लगे हैं, जिसे समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता। ब्रिटेन (UK) में आर्थिक तंगी के चलते कॉलेज जाने वालीं लड़कियां जिस्मफरोशी के दलदल में उतर रही हैं। यह खुलासा एक संस्था ने किया है, जो प्रॉस्टीट्यूट्स (Prostitutes) के लिए काम करती है। 

तीन गुना तक बढ़े Calls

‘इंग्लिश कलेक्टिव ऑफ प्रॉस्टीट्यूट’ (English Collective of Prostitutes) नाम की संस्था के मुताबिक, उसे लगातार यूनिवर्सिटी और कॉलेज से सेक्स वर्क (Sex Work) को लेकर कॉल्स आ रहे हैं। इस साल यह कॉल तीन गुना तक बढ़ गए हैं। ज्यादातर ऐसी स्टूडेंट्स (Students) जिस्मफरोशी के धंधे में उतरने के लिए कॉल कर रही हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। इन स्टूडेंट्स के लिए खर्चे चलाना मुश्किल हो गया है, इसलिए वे सेक्स वर्क के जरिए पैसा कमाना चाहती हैं।

कोई दूसरा Option नहीं

संस्था की प्रवक्ता लॉरा वॉटसन ने ‘मिरर' वेबसाइट के साथ बातचीत में कहा कि कोरोना ने कई तरह से लोगों को प्रभावित किया है। ऐसे में कॉलेज-यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी की वजह से स्टूडेंट्स के सामने समस्या खड़ी हो गई है। कुछ स्टूडेंट्स जो पार्ट टाइम जॉब आदि करके अपना खर्चा चला रही थीं, उनमें से कई की नौकरी भी जा चुकी है। ऐसी स्थिति में उनके पास प्रॉस्टीट्यूशन के सहारे पैसा कमाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।  

Jobs पर पड़ा है बुरा प्रभाव

वॉटसन ने कहा कि महामारी के चलते इन स्टूडेंट्स के लिए पारंपरिक जॉब्स (Traditional Jobs) भी काफी कम हो चुकी हैं। उन्होंने आगे कहा कि आमतौर पर स्टूडेंट्स मॉल्स, शॉप्स या पब-बार में काम करते रहे हैं, लेकिन महामारी के चलते इन पार्ट टाइम प्रोफेशन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। लिहाजा, ऑप्शन की कमी के चलते ही कई स्टूडेंट्स सेक्स वर्क में शामिल होने के लिए मजबूर हुई हैं। आपको बता दें कि इस संस्था की शुरुआत साल 1975 में हुई थी। इसका मुख्य मकसद सेक्स वर्कर्स को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना और सेक्स वर्कर्स की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।