AajTak : Apr 11, 2020, 08:55 AM
Coronavirus: कोरोना वायरस के बढ़ते मामले पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। इस वायरस से लाखों लोग संक्रमित हैं और लगातार मौतें हो रही हैं। इटली, अमेरिका जैसे विकसित देशों में तो सैकड़ों लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। इस बीच कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि संक्रमण का संबंध वायु प्रदूषण से भी है।दरअसल, शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि वायु प्रदूषण आपकी जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह अध्ययन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मेडरिक्स (published in medRxiv) में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि वाहनों, कारखानों से निकलने वाले पीएम 2.5 ( particulate matter) कण हवा में मिल जाते हैं और ये प्रदूषित हवा हमारे फेफड़ों लिए बेहद खतरनाक साबित होती है। वहीं हवा में मौजूद ये हनिकारक कण कोरोना वायरस रोगियों को भी गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।जानकारी के मुताबिक शोधकर्ताओं ने अध्ययन में बताया, 'हमने शोध में पाया है कि PM 2.5 कणों में केवल 1μg / m3 की बढ़त भी कोरोना वायरस के मरीजों के साथ जुड़ी हुई है। इसकी वजह से कोरोना वायरस की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। शोधकर्ताओं ने अमेरिका के लगभग 3000 इलाकों (counties) के वायु प्रदूषण आंकड़ों की जांच की। उन्होंने वायु प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाली अमेरिका की 98 प्रतिशत आबादी को उन जगहों के आंकड़ों से मिलाया जहां कोरोना वायरस के मामले सबसे ज्यादा पाए गए थे। यही नहीं शोधकर्ताओं ने गरीबी, धूम्रपान के स्तर, मोटापे के साथ-साथ अस्पताल के बिस्तर की उपलब्धता जैसे मापदंडों की भी जांच की। गहन विश्लेषण और जांच के बाद उन्होंने पाया कि ज्यादा दिनों तक वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों में कोरोना वायरस से मरने की संभावना बढ़ जाती हैं। हार्वर्ड डेटा साइंस इनिशिएटिव (Harvard data science initiative) के सह-निदेशक फ्रांसेस्का डोमिनिकी का कहना है कि हमने पाया कि वायु प्रदूषण मनुष्य के फेफड़ों और दिल पर गहरा असर डालता है। इससे कोरोना वायरस के संक्रमण और कोरोना मरीज की मौत के खतरे की आशंका बढ़ जाती है।