Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद वोटिंग प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सीपीआईएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने चुनाव आयोग (ECI) को पत्र लिखते हुए वोटिंग प्रतिशत में अनियमितताओं की ओर ध्यान दिलाया है। इससे पहले कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए चुनाव आयोग का रुख किया था।
शाम के बाद बढ़ा वोटिंग प्रतिशत: सवालों के घेरे में प्रक्रिया
ब्रिटास ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि शाम 5 बजे तक महाराष्ट्र में 58.22% वोटिंग दर्ज की गई थी, लेकिन रात 11:30 बजे तक यह आंकड़ा बढ़कर 65.02% हो गया। उन्होंने कहा कि इसके बाद मतगणना शुरू होने से कुछ घंटे पहले यह 66.05% तक पहुंच गया। यह कुल 7.83% की वृद्धि है, जो करीब 76 लाख अतिरिक्त वोट के बराबर है।ब्रिटास ने इस असामान्य वृद्धि की तुलना झारखंड के चुनावों से की, जहां वोटिंग प्रतिशत में मामूली वृद्धि हुई थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की वृद्धि केवल उन जगहों पर दर्ज की गई है, जहां एनडीए ने जीत हासिल की। उन्होंने ECI से इस मुद्दे पर तुरंत स्पष्टीकरण की मांग की है।
EVM छेड़छाड़ का दावा और आयोग का रुख
इस विवाद के बीच, सैयद शुजा नामक व्यक्ति ने दावा किया कि महाराष्ट्र चुनावों में EVM की फ्रीक्वेंसी में छेड़छाड़ कर उसे हैक किया गया। चुनाव आयोग ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए इसे झूठा और निराधार बताया। आयोग ने स्पष्ट किया कि EVM को किसी भी नेटवर्क (वाई-फाई या ब्लूटूथ) से जोड़ा नहीं जा सकता, जिससे इसमें छेड़छाड़ की संभावना नहीं है।मुख्य चुनाव अधिकारी ने सैयद शुजा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और कहा कि यह दावे सिर्फ अफवाह फैलाने के लिए किए जा रहे हैं।
महायुति की ऐतिहासिक जीत: विपक्ष को बड़ा झटका
इन विवादों के बीच, महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने 288 सीटों में से 230 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। बीजेपी ने 132 सीटें जीतीं, जबकि शिंदे गुट की शिवसेना को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं। दूसरी ओर, कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। कांग्रेस को केवल 16, एनसीपी को 10, और उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 20 सीटें मिलीं।
क्या कहता है चुनाव आयोग?
चुनाव आयोग ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में अपनाई गई सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी थीं। हालांकि, जॉन ब्रिटास और कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवाल अब एक व्यापक जांच की मांग कर रहे हैं।
वोटिंग प्रक्रिया पर पारदर्शिता की जरूरत
महाराष्ट्र चुनावों में वोटिंग प्रतिशत और EVM की प्रामाणिकता को लेकर उठे सवाल लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए एक अवसर हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि चुनावी प्रक्रियाएं पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष रहें ताकि जनता का विश्वास कायम रह सके।आगे की स्थिति क्या मोड़ लेती है, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या चुनाव आयोग इन आरोपों पर विस्तृत जांच करेगा, या यह मामला केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप बनकर रह जाएगा?