देश / IBC संशोधन विधेयक लोकसभा में भी हुआ पास, अब कंपनी के साथ गारंटर पर भी हो सकेगी दिवाला कार्रवाई

इंसॉल्‍वेंसी एंड बैंकरप्सी (दूसरा संसोधन) विधेयक, 2020 राज्यसभा के बाद लोकसभा में भी पारित हो गया है। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि इस विधेयक में कर्ज भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों और गारंटरों के खिलाफ साथ-साथ दिवाला कार्रवाई चलाने का प्रावधान किया गया है।

News18 : Sep 22, 2020, 06:51 AM
नई दिल्‍ली। इंसॉल्‍वेंसी एंड बैंकरप्सी (दूसरा संसोधन) विधेयक, 2020 राज्यसभा के बाद लोकसभा में भी पारित हो गया है। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि इस विधेयक में कर्ज भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों और गारंटरों के खिलाफ साथ-साथ दिवाला कार्रवाई चलाने का प्रावधान किया गया है। चर्चा के बाद सदन ने संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। बता दें कि सरकार इंसॉल्‍वेंसी एंड बैंकरप्‍सी कोड (IBC) में संशोधन के लिए जून 2020 में अध्यादेश (Ordinance) लाई थी। इसके तहत प्रावधान किया गया था कि वैश्‍वित महामारी की वजह से 25 मार्च से छह महीने तक कोई नई दिवाला कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी।


25 मार्च से पहले चूक करने वालों पर जारी रहेगी दिवाला कार्रवाई

सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 की वजह से कंपनियों को संकट से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में हमने ऑर्डिनेंस लाकर आईबीसी की धारा-7, 9 और 10 को स्थगित करने का फैसला किया। इससे हम असाधारण हालात के कारण दिवाला होने जा रही कंपनियों को बचा पाए। आईबीसी की धारा 7, 9 और 10 किसी कंपनी के वित्तीय कर्जदाता, परिचालन के लिए कर्ज देने वालों को उसके खिलाफ बैंकरप्सी इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया शुरू करने से जुड़ी हैं। वित्त मंत्री ने साफ किया कि आईबीसी का मकसद कंपनियों को बंद करना नहीं बल्कि चलाए रखना है। लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने साफ किया कि 25 मार्च से पहले कर्ज भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया के तहत कार्रवाई जारी रहेगी।

25 मार्च के बाद कर्ज नहीं चुकाने वालों को डरने की जरूरत नहीं

IBC की धारा-7, 9 और 10 को सस्पेंड करने को आसान शब्‍दों में समझें तो अगर आपने कारोबार चलाने के लिए बैंक से कर्ज लिया है और 25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने बाद लोन नहीं चुका पाए (Loan Default) हैं तो आईबीसी के तहत कार्रवाई से डरने की जरूरत फिलहाल नहीं है। इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कर्ज नहीं चुकाने वाले बकायेदारों से निर्धारित समय के अंदर कर्ज वापसी के प्रयास किए जाते हैं। इस कोशिश से बैंकों की आर्थिक स्थिति में कुछ हद तक सुधार जरूर हुआ है। विधेयक के मुताबिक, 25 मार्च 2020 के बाद से अगले 6 महीने या 1 साल तक किसी भी कंपनी को आईबीसी में लेकर नहीं जाया जा सकता।

जून 2020 में क्‍यों लाना पड़ा आईबीसी में संशोधन का अध्‍यादेश

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने बताया कि जून के पहले सप्ताह में इसे लेकर एक अध्यादेश जा​री किया गया था। वैश्विक महामारी में लोगों की जान बचाने के लिए लॉकडाउन का फैसला लिया गया था। ऐसे में कारोबार को काफी नुकसान हुआ है। इसके ​परिणामस्वरूप बाजार पर भी असर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में कंपनियों के काम करने के तरीके में आने वाले रुकावटों को भी ध्यान में रखना होगा। ऐसी स्थिति में कंपनियों पर दिवालिया होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही रिजॉल्युशन प्रोफेशन्लस को बड़े स्तर पर समस्या होगी। यही कारण है कि आईबीसी के सेक्शन 7, 9 और 10 को सस्पेंड करने का फैसला लिया गया।