Positive Story / वकालत में नहीं लगा मन तो शुरू की फूलों की खेती, किसान मोइनुद्दीन कमा रहे 75 लाख सालाना

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के फूलों की खुशबू से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के बाजार गुलजार हैं। सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार से बागबानी मिशन के तहत मिले अनुदान की मदद से जिले में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती करने वाले किसान मोइनुद्दीन ने अपने इस हुनर से खुद के साथ जिले के सैकड़ों किसानों की तकदीर को बदल दिया है।

Vikrant Shekhawat : Jun 02, 2022, 08:54 PM
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के फूलों की खुशबू से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के बाजार गुलजार हैं। सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार से बागबानी मिशन के तहत मिले अनुदान की मदद से जिले में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती करने वाले किसान मोइनुद्दीन ने अपने इस हुनर से खुद के साथ जिले के सैकड़ों किसानों की तकदीर को बदल दिया है। देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी किसान मोइनुद्दीन से काफी प्रभावित हुए और उन्हें सम्मानित भी कर चुके हैं। इसके अलावा देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी मोइनुद्दीन की सराहना कर चुके हैं। वहीं, बाराबंकी के इस किसान ने यूपी में पहला पॉली हाउस लगाया, इसलिए उन्हें पॉली हाउस का जनक भी कहा जाता है।

यही नहीं, पॉली हाउस में जरबेरा के फूलों की खेती से उनका सालाना टर्न ओवर 70 से 75 लाख के आसपास है। आलम ये है कि मोइनुद्दीन की फसल को दिल्ली पहुंचाने के लिये भारतीय रेलवे ने फतेहपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का 10 मिनट का स्पेशल स्टॉपेज कर दिया है, जिसे उनके साथ गांव के बाकी किसानों का फूल भी दिल्ली पहुंच सके। वहीं, फूलों की खेती से कामयाबी मिलने के बाद उन्होंने प्रदेश सरकार से मिले अनुदान की मदद से एक कोल्ड स्टोरेजे भी लगा लिया है।


जानें कौन हैं मोइनुद्दीन

मोइनुद्दीन बाराबंकी जिले के अपने पुश्तैनी गांव देवा ब्लॉक के दफेदार पुरवा में फूलों की खेती करते हैं। लखनऊ से एलएलबी पास करने के बाद मोइनुद्दीन का मन जब वकालत की प्रैक्टिस में नहीं लगा, तो वह अपने गांव चले आये और यहां खेती की शुरुआत की। परम्परागत खेती में कोई खास फायदा न मिलने के बाद उन्होंने फूलों की खेती शुरू की। उन्होंने सबसे पहले एक बीघा खेत मे विदेशी ग्लेडियोलस फूलों की खेती शुरू की थी। इससे मिले अच्छे मुनाफे ने बाकी किसानों का ध्यान भी इस खेती की ओर खींचा। मोईनुद्दीन से सलाह और मार्गदर्शन लेकर गांव के कुछ किसानों ने भी इस खेती में अपना हाथ आजमाया और अच्छी आय ने उनका हौसला बढ़ाया। देखते ही देखते पूरा गांव ग्लेडियोलस की खेती करने लगा, जिसके चलते इस गांव को फूलों की खेती वाले गांव के नाम से भी जाना जाता है। गांव में 2002 में मोइनुद्दीन ने सबसे पहले ग्लेडियोलस के फूलों की खेती की, जिसमें दुगना मुनाफा हुआ। इसके बाद 2009 में यूपी का पहला पॉली हाउस लगाया और इसमें विदेशी फूल जरबेरा के फूलों की की खेती शुरू की। आज इस खेती में उन्हें काफी अच्छा मुनाफा मिल रहा है।


किसान मोइनुद्दीन ने कही ये बात

खुद किसान मोइनुद्दीन ने बताया कि ग्लेडियोलस फूलों की खेती के बाद उन्होंने फूलों की खेती के क्षेत्र में कुछ बड़ा करने का मन बनाया। इसके लिए उन्‍होंने उद्यान विभाग से बागबानी मिशन के तहत सरकारी सब्सिडी लेकर हॉलैंड के विदेशी फूल जरबेरा की खेती के लिए यूपी में पहला पाली हाउस लगाया। इस समय उन्होंने सरकारी अनुदान से 4000 वर्ग मीटर में कुल तीन पॉली हाउस लगवा लिये हैं। मोइनुद्दीन ने बताया कि इन पॉली हाउस में जरबेरा के फूलों की खेती से उनका सालाना टर्न ओवर 70 से 75 लाख के आसपास है। इस पॉली हाउस को एक हजार वर्ग मीटर जमीन पर लगाने की लागत लगभग 15 लाख रुपये आती है, जिसमें 35 से 50 फीसदी रकम राज्य सरकार बतौर सब्सिडी वापस करती है। आज मोइनुद्दीन ने न सिर्फ अपने खेतों में रंग बिरंगे विदेशी फूल उगाकर गांव के चारों तरफ उसकी महक बिखेरी है बल्कि उस महक के साथ-साथ अब तक हजारों लोगों को रोजगार भी दिया है।

मोइनुद्दीन को केंद्र और प्रदेश सरकार प्रगतिशील किसान होने के नाते सम्मानित भी कर चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने मोइनुद्दीन को वाइब्रेंट गुजरात अवार्ड से नवाजा था। इसके बाद 2018 में दिल्ली बुलाकर सम्मनित किया था। इसके अलावा भी वह कई अवार्ड पा चुके हैं। गांव वालों में कई बार मोइनुद्दीन को दफेदार पुरवा का ग्राम प्रधान भी बनाया। मोइनुद्दीन ने बताया कि पहले वह अपने फूलों को लेकर लखनऊ की मंडी जाते थे और वहां से दिल्ली भिजवाते थे, लेकिन अब उनके निवेदन पर भारतीय रेलवे ने फतेहपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का 10 मिनट का स्पेशल स्टॉपेज कर दिया है, ताकि उनके साथ गांव के बाकी किसानों का फूल भी दिल्ली पहुंच सके।