Coronavirus / अगर आपने की पैसे से जुड़ी ये 4 गलतियां, तो आपको लग सकता है लाखों-करोड़ों का चूना

अमीर बनने के लिए जरूरी नहीं है कि आपकी सैलरी बहुत ज्यादा हो या फिर आप हमेशा मुनाफे का बिजनेस करते हों। कम सैलरी और थोड़ी बचत के जरिए भी अमीर बना जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप सही जगह और सही समय पर पैसा लगाएं। इस साल अब तक शेयर मार्केट में 25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इसकी बड़ी वजह कोविड-19 महामारी रही है।

News18 : Apr 23, 2020, 08:26 AM
बिज़नेस डेस्क | अमीर बनने के लिए जरूरी नहीं है कि आपकी सैलरी बहुत ज्यादा हो या फिर आप हमेशा मुनाफे का बिजनेस करते हों। कम सैलरी और थोड़ी बचत के जरिए भी अमीर बना जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप सही जगह और सही समय पर पैसा लगाएं। इस साल अब तक शेयर मार्केट में 25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इसकी बड़ी वजह कोविड-19 महामारी रही है। हम में से कई लोगों को अपने निवेश को लेकर चिंता सता रही है। अक्सर हम लोग जल्दबाजी में फैसले ले लेते हैं जबकि सही तरीका शायद शांत रहकर बैठना होता है। निश्चित तौर पर आपको शायद यहां-वहां कुछ एडजस्टमेंट और रीबैलेंसिंग करनी पड़ सकती है, लेकिन सबकुछ मत बदल डालिए। यहां हम आपको ऐसी गलतियों के बारे में बता रहे हैं जिनसे बचना चाहिए।

शेयर बेचना

हाल में मार्केट में बड़ी गिरावट देखते हुए हम अपनी इक्विटी होल्डिंग को बेचने की कोशिश करने लगते हैं। मिसाल के तौर पर, एक कैटेगरी के तौर पर मल्टी-कैप फंड्स की ही बात करें। वैल्यूरिसर्च के मुताबिक, इसमें पिछले एक महीने में करीब 27 फीसदी की गिरावट आई है। आप शायद चाह रहे होंगे कि इन्हें बेचकर बॉन्ड फंड्स में शिफ्ट हो जाया जाए। मुंबई की प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के फाउंडर और चीफ फाइनेंशियल प्लानर विशाल धवन बताते हैं, ‘जब लोगों के पास ज्यादा खाली वक्त होता है तो वे अक्सर अपने पोर्टफोलियो खंगालने लगते हैं। ऐसे में जब नुकसान होता है तो आप भावनाओं के आधार पर कुछ फैसले करते हैं जो कि शायद आपकी वित्तीय सेहत के लिए ठीक न हो।’

पूरे स्टॉक्स बेचना आपको महंगा साबित हो सकता है। सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर पारुल माहेश्वरी कहती हैं, ‘इक्विटी से बॉन्ड पर शिफ्ट अब यह सुनिश्चित करता है कि आप मामूली लॉस की भरपाई कर पाएंगे। फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर ब्याज दरों में गिरावट के चलते आपके लिए इक्विटी में गंवाई गई पूंजी को रिकवर करने में काफी लंबा वक्त लग जाएगा।’ यह वक्त स्टॉक्स बेचने या इक्विटी फंड्स में अपनी सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) को रोकने का नहीं है। पारुल सलाह देती हैं कि आप अपने एसेट एलोकेशन पर टिके रहिए। फाइनेंशइयल प्लान के मुताबिक अगर आपका कोई नियर टर्म गोल है तभी इक्विटीज से फिक्स्ड इनकम की ओर शिफ्ट हों।

स्टॉक्स पर ज्यादा झुकाव

हम में से कुछ स्टॉक्स में ज्यादा पैसे लगाने की कोशिश भी करने लगते हैं। स्टॉक मार्केट्स में हालिया गिरावट के बाद कुछ इनवेस्टर्स इसमें छलांग लगाने के लिए बेकरार हो गए हैं। इक्विटीज लेने का यह एक अच्छा वक्त है, लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि यह खरीदारी नपे-तुले अंदाज में होनी चाहिए। स्टॉक्स को हड़बड़ी में नहीं खरीदना चाहिए। पहले की चूक को हड़बड़ाहट में खत्म नहीं किया जा सकता।

कोविड-19 के चलते होने वाले आर्थिक नुकसान का अभी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। ग्लोबल इकनॉमिक रिकवरी में भी अभी काफी वक्त लग सकता है।ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और सीईओ पंकज मठपाल कहते हैं, ‘इस बात में कोई शक नहीं है कि वैल्यूएशन अट्रैक्टिव स्तर पर हैं। लेकिन, इनमें एकदम से पैसा लगाना, मसलन स्मॉल कैप इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में एक बार में सारा पैसा लगाने से बचना चाहिए।’

आपको अपने पोर्टफोलियो में डेट और इक्विटी का क्या अनुपात रखना है- इसके साथ ही यह भी देखिए कि आप कितना जोखिम ले सकते हैं। अपने इमर्जेंसी फंड की समीक्षा करने का भी यह एक अच्छा वक्त है। JRL मनी के को-फाउंडर विजय मंत्री के मुताबिक, ‘कम से कम एक साल के खर्चों के बराबर पैसा आपके पास होना चाहिए जो कि एक सुरक्षित बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट की शक्ल में होना चाहिए जहां क्रेडिट रिस्क न के बराबर हो।’

लोन मोरेटोरियम का चुनाव

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उधार लेने वालों को तीन महीने का मोरेटोरियम दिया है। मोरेटोरियम का मतलब यह है कि आपको इतने वक्त तक लोन की ईएमआई चुकाने से छूट मिल जाती है। यह ऐसे उधार लेने वालों के लिए एक बड़ी राहत है जो कि नौकरी छूटने या कैशफ्लो में कमी आने के चलते वित्तीय रूप से मुश्किल का सामना कर रहे हैं। हालांकि, अगर आपको आपकी सैलरी मिल रही है और आप लोन की इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट्स (EMI) चुकाने की स्थिति में हैं तो मोरेटोरियम का चुनाव मत कीजिए। मोरेटोरियम फ्री नहीं होता।

याद रखिए EMI चुकाने से आपको केवल तीन महीने की छूट मिल रही है और बाद में आपको यह पूरा पैसा चुकाना पड़ेगा। यहां तक कि ब्याज भी आपको चुकाना होगा। ब्याज को माफ नहीं किया जा रहा है। फिनसेफ इंडिया के फाउंडर और फाइनेंशियल एजूकेटर मृण अग्रवाल के मुताबिक, ‘रीपेमेंट पर वापस लौटने के लिए आपका एक सख्त बजट होना चाहिए। साथ ही आपको अपने बेवजह के खर्च बंद कर देने चाहिए। इसके अलावा, आपको अगर कारोबार से या आपके एंप्लॉयर की तरफ से कोई सरप्लस फंड या बोनस मिलता है तो इसका इस्तेमाल लोन खत्म करने में होना चाहिए।’

आप अपने पोर्टफोलियो के नॉन-परफॉर्मिंग इनवेस्टमेंट्स को बेचकर भी अपनी ईएमआई चुकाने पर विचार कर सकते हैं। अपने वित्तीय लक्ष्य पूरा करने के लिए पैसों की बचत कीजिए। भले ही लोन आसानी से उपलब्ध हैं, मगर इनका सहारा लेने से हमेशा बचना चाहिए।

अपने रिटायरमेंट फंड्स का इस्तेमाल

आपका बोझ कम करने के मकसद से फाइनेंस मिनिस्टर ने एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) से पैसा निकालने की इजाजत दी है ताकि आप लिक्विडिटी के मसलों का सामना कर सकें। मेडिकल ट्रीटमेंट, शादी, घर खरीदने, शिक्षा और होम लोन रीपेमेंट जैसी कई दूसरी वजहों के लिए आप ईपीएफ का पैसा निकाल सकते हैं।

अब आप कोविड-19 महामारी के दौरान होने वाली नकदी की कमी से निपटने के लिए भी पैसे निकाल सकते हैं। अग्रवाल चेतावनी देते हैं, ‘अगर आप अभी ईपीएफ से आंशिक निकासी करते हैं तो आप भविष्य के कंपाउंडिंग इफेक्ट को गंवा देंगे। यह रिटायरमेंट के वक्त आपके हाथ में एक मोटी रकम के रूप में आता है।’ ऐसे में बेहतर यही है कि आप अपने ईपीएफ बैलेंस को हाथ न लगाएं। अगर आपके पास पर्याप्त पूंजी है तो रिटायरमेंट फंड के तौर पर जुड़ रहे इस पैसे को बने रहने दें। यह आपको भविष्य में किसी और पर वित्तीय रूप से निर्भर होने से बचाएगा।