Vikrant Shekhawat : Apr 03, 2022, 02:33 PM
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सियासी भविष्य का फैसला लगभग हो गया है। पाकिस्तान नेशनल असेंबली में स्पीकर ने खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। खास बात है कि कार्यकाल में खान ने दूसरी बार अविश्वास की चुनौती को पार किया है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में पीएम को अविश्वास का सामना करना पड़ा हो। एक बार इतिहास पर नजर डालते हैं...प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, साल 19891989 में तत्कालीन पीएम भुट्टो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि, उस दौरन उन्होंने सांसदों का भरोसा जीतने में सफलता हासिल की थी। उस दौरान भुट्टो के खाते में 125 वोट आए थे। जबकि, उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले नवाज शरीफ को 107 मत ही मिल सके थे। 33 साल पहले सरकार कुल 12 वोटों से बची थी।प्रधानमंत्री शौकत अजीज, साल 2006बेनजीर भुट्टो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल होने के करीब 17 साल बाद पाकिस्तान में एक और पीएम ने इस मुश्किल का सामना किया था। भुट्टो की तरह अजीज भी अविश्वास प्रस्ताव के बीच सरकार बचाने में सफल हो गए थे। उन्हें उस दौरान 201 वोट मिले थे। जबकि, विपक्ष के खाते में 136 वोट आए थे।इमरान खान को प्रस्ताव को लेकर वोटिंग का सामना नहीं करना पड़ा। डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी अनुच्छेद 5 के विपरीत बताते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया। हालांकि, अब भी विपक्ष के पास कुछ विकल्प खुले हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में खान ने अपनी सरकार बचा ली है। खास बात है कि पाकिस्तान में अभी तक कोई भी पीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। वहीं, अगर वोटिंग होती और खान मत गंवा देते, तो वे अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार गंवाने वाले पहले पीएम होते।अब, एक ओर जहां विपक्ष 175 सांसदों का समर्थन होने का दावा कर रहे थे। वहीं, खान लगातार यह संकेत दे रहे थे कि उनके पास सरकार बचाने के एक से ज्यादा रास्ते हैं। साथ ही उनका कहना है कि वह अंत तक इसका सामना करेंगे।